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पूरन कुमार प्रकरण में पुलिस ने अब जोड़ी उम्रकैद की धारा, ६ दिन बाद भी नहीं हुआ पूरन कुमार का पोस्टमार्टम

पूरन कुमार प्रकरण में पुलिस ने अब जोड़ी उम्रकैद की धारा, ६ दिन बाद भी नहीं हुआ पूरन कुमार का पोस्टमार्टम

ADGP पूरन कुमार आत्महत्या मामले में चंडीगढ़ पुलिस की जांच ने अब नया मोड़ ले लिया है. आईपीएस अधिकारी की पत्नी अमनीत पी. कुमार द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर में अब नई और गंभीर धारा जोड़ी गई है. पहले जो SC-ST एक्ट की धारा लागू की गई थी, उसमें अधिकतम 5 साल की सजा का प्रावधान था. लेकिन अब चंडीगढ़ पुलिस ने SC/ST Act की Section 3(2)(v) को एफआईआर में जोड़ा है, जिसके तहत उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है.

चंडीगढ़.ADGP पूरन की पत्नी अमनीत पी. कुमार ने हाल ही में पुलिस को दोबारा एक एप्लीकेशन दी थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि केस में और गंभीर धाराएं जोड़ी जाएं. इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अब SC/ST Act की Section 3(2)(v) को एफआईआर में शामिल कर लिया है. यह धारा तब लागू होती है जब कोई अपराध अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति के साथ उनकी जाति के कारण किया गया हो और उसमें गंभीर शारीरिक नुकसान या मौत का कारण बना हो.

आगे और धाराएं जुड़ने की संभावना

पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह केस अभी और गंभीर रूप ले सकता है. मामले की जांच के दौरान एफआईआर में और धाराएं जोड़ी जा सकती हैं. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पोस्टमार्टम के बाद क्या तथ्य सामने आते हैं और SIT की शुरुआती जांच में क्या खुलासे होते हैं.

6 दिन बाद भी पोस्टमार्टम नहीं, परिवार की सहमति का इंतजार
इस मामले में एक और अहम पहलू यह है कि ADGP का शव अभी तक पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजा गया है. आज इस घटना को 6 दिन हो चुके हैं, लेकिन परिवार की ओर से अभी तक सहमति नहीं मिली है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, शव का डिकंपोज (सड़ने) होने का खतरा बढ़ रहा है, जिससे जांच में जरूरी सबूत नष्ट हो सकते हैं. पुलिस चाहती है कि जल्द से जल्द सहमति बन जाए ताकि पोस्टमार्टम करवाकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जा सके और स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) जांच को आगे बढ़ा सके.

देश के विविध हिस्सों से आ रही प्रतिक्रियाएं

x पर लिखी अपनी एक पोस्ट में योगेश सोमकुंवर ने कहा है कि पुराण कुमार आयपीएस अधिकारी थे, उनकी पत्नी IAS अधिकारी, उनकी पत्नी के भाई MLA, भाई बिजनेस मैन, इन सब के बावजूद पुराण कुमार जातिगत उत्पीड़न का शिकार हुए. ऐसी घटनाओं से ख़ासकर उन लोगों को ज़रूर सीख लेनी चाहिए जो एससी, एसटी आरक्षण को आर्थिक स्थिति से जोड़ कर देखते हैं, क्योंकि धन व पद पा लेने के बाद भी जातिवाद उनका पीछा नहीं छोड़ता है और हर स्तर पर जातिवादी शोषण, अत्याचार व उत्पीड़न लगातार जारी रहता है.

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