Awaaz India Tv

भिंड दलित उत्पीड़न मामला : जाटव समाज पर सामूहिक बहिष्कार …दिग्विजय सिंह ने सरकार और कानून व्यवस्था पर उठाये सवाल

भिंड दलित उत्पीड़न मामला : जाटव समाज पर सामूहिक बहिष्कार …दिग्विजय सिंह ने सरकार और कानून व्यवस्था पर उठाये सवाल

भिंड जिले में दलित पेशाब कांड मामला शांत होने की बजाय अब एक बार फिर बड़ा रूप लेता दिखाई दे रहा है. प्रशासन लगातार शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है, लेकिन दूसरी ओर सवर्ण समाज ने खुलकर दलितों के सामाजिक बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. माहौल तनावपूर्ण है और हालात को कंट्रोल में रखने के लिए पुलिस अलर्ट मोड पर आ गई है.

भिंड जिले में दलित पेशाब कांड मामला शांत होने की बजाय अब एक बार फिर बड़ा रूप लेता दिखाई दे रहा है. प्रशासन लगातार शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है, लेकिन दूसरी ओर सवर्ण समाज ने खुलकर दलितों के सामाजिक बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. माहौल तनावपूर्ण है और हालात को कंट्रोल में रखने के लिए पुलिस अलर्ट मोड पर आ गई है.

महापंचायत में लिया गया बहिष्कार का फैसला
गांव में सवर्ण समाज ने बड़े स्तर पर महापंचायत बुलाई, जिसमें सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे. इस सभा में एक आवाज में शपथ ली गई कि अब दलित समाज से किसी भी तरह का सामाजिक, आर्थिक या पारिवारिक संबंध नहीं रखा जाएगा. साफ शब्दों में कहा गया कि अब न लेन-देन होगा, न खरीद-बिक्री, और न ही उनके सामाजिक कार्यक्रमों में भागीदारी.

भीम आर्मी पर मामले को राजनीतिक रूप से उछालने का आरोप
महापंचायत में शामिल सवर्ण समाज के लोगों ने आरोप लगाया कि जिस दलित ड्राइवर के साथ पेशाब कांड हुआ, उसके आरोपी सोनू बरुआ के परिवार से उनके पहले से निजी संबंध रहे हैं. लेकिन पूरी घटना को भीम आर्मी ने जातीय रंग देकर राजनीतिक फायदा उठाने के लिए हवा दी. आरोप यह भी लगाया गया कि “भीम आर्मी बार-बार सवर्ण समाज को झूठे मामलों में फंसाकर पैसा वसूलने की कोशिश कर रही है.”

भीम आर्मी की रणनीति का कानूनी जवाब देने की तैयारी
सभा में मौजूद समाज प्रतिनिधियों ने कहा कि अब वे भीम आर्मी की कथित उकसाने वाली गतिविधियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. साथ ही प्रशासन से यह मांग भी रखी जाएगी कि अगर कोई भी व्यक्ति जातीय तनाव बढ़ाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ तुरंत और सख्त कार्रवाई की जाए.

प्रशासन सख्त, हालात पर लगातार निगरानी
महापंचायत के बाद जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया. एएसपी संजीव पाठक ने बताया कि संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और लगातार गश्त बढ़ा दी गई है. उन्होंने चेतावनी दी कि अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. हालात तनावपूर्ण जरूर हैं, लेकिन प्रशासन के मुताबिक फिलहाल नियंत्रण में हैं.

दिग्विजय सिंह ने पूछा क्या एमपी में SC /ST एक्ट लागू है या नहीं है?
दिग्विजय सिंह ने पोस्ट में लिखा- आरएसएस ने पहले मुसलमानों को बहिष्कार करने की शपथ ली। अब दलित SC समाज को बहिष्कार करने की शपथ ली। क्या एमपी में SC /ST एक्ट लागू है या नहीं है? पुलिस कार्यवाही क्यों नहीं करती है? इस प्रकार के पुलिस कर्मियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिसका कानून में प्रावधान है। बता दें कि ग्वालियर संभाग के भिंड जिले में सुरपुरा गांव में सवर्ण समाज ने महापंचायत में दलितों का सामाजिक बहिष्कार करने की शपथ ली है। सवर्ण समाज ने जाटव समाज (दलित) से सामाजिक और आर्थिक संबंध खत्म करने का संकल्प लिया है।साथ ही दलितों को खेती बंटाई पर भी जमीन नहीं देने का प्रण लिया है।

सोशल मीडिया पर बढ़ता आक्रोश : दलित समाज के बहिष्कार की खबर स्तब्ध कर देने वाली
आज़ादी के ७५ साल बाद भी किसी पूरे समाज को जाति के नाम पर बहिष्कृत करना सभ्य समाज के माथे पर कलंक है। यह न सिर्फ़ मानवता, बल्कि हमारे संविधान का भी खुला उल्लंघन है। ऐसे जघन्य सामाजिक अपराधों व देश विरोधी ताकतों के खिलाफ खड़े होना वर्तमान समय में अनिवार्य हो चुका है

सवाल यही है कि प्रशासन कहाँ है? क्या कानून सिर्फ कागज़ों पर हैं? ऐसा सवाल रविंदर भाटी (राष्ट्रीय महासचिव, आजाद समाज पार्टी) (राष्ट्रीय अध्यक्ष, गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति) ने पूछा है. इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी उन्होंने आग्रह किया है कि x पर वायरल वीडियो के आधार पर पहचान करके सभी दोषियों को राष्ट्रद्रोह की धारा के अंतर्गत जेल भेजा जाए और भिंड समेत पूरे मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था की बहाली के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।

ज्ञात हो कि भिंड जिले के सुरपुरा थाना क्षेत्र के अजुद्दीपुरा गांव में विगत सोमवार दोपहर इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई । यहां अनुसूचित समाज के ३३ वर्षीय युवक ज्ञान सिंह जाटव पुत्र विजय जाटव को कुछ दबंगों ने घर से किडनैप कर न केवल बेरहमी से पीटा बल्कि उसे जबरन पेशाब पिलाने जैसी अमानवीय हरकत भी की। पीड़ित के अनुसार, सोमवार दोपहर करीब ३ बजे वह अपने घर के बाहर बैठा था। तभी सोनू बरुआ निवासी सुरपुरा, आलोक पाठक और छोटू ओझा बोलेरो गाड़ी से आए।तीनों ने मिलकर उसे जबरदस्ती गाड़ी में डाल लिया और सेमरपुरा मोड़ तक ले गए। वहां पहुंचकर आरोपितों ने उसके साथ लात-घूंसों और डंडों से मारपीट की तथा उसे जबरन पेशाब पिलाई।
मध्यप्रदेश के भिंड जिले के एक गांव में सवर्ण समाज द्वारा झूठे मामले में फंसाने के कारण दलित समाज का बहिष्कार कर दिया है। सवर्ण समाज ने बकायदा महापंचायत कर यह निर्णय लिया है। सवर्ण की महापंचायत में दलितों के बहिष्कार की खबर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाते हुए सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सरकार से सवाल किये हैं। सवर्णो की RSS और दलितों की मुस्लिमों से तुलना की है।

क्या कहता है संविधान?

भारत का संविधान हर नागरिक को भेदभाव-रहित जीवन जीने का मौलिक अधिकार देता है। छुआछूत, जातिगत बहिष्कार और सामाजिक अलगाव को यह गैर-कानूनी घोषित करता है, साथ ही राज्य पर यह दायित्व भी डालता है कि वह समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराए। ऐसे में किसी भी समुदाय के साथ अपमान, उत्पीड़न या बहिष्कार न केवल मानवीय मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि सीधे-सीधे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन भी है।

यह वीडियो इसलिए और गंभीर माना जा रहा है, क्योंकि यह सामूहिक बहिष्कार को वैध ठहराने का प्रयास दिखाता है- यह वही सामाजिक व्यवस्था है जिसे डॉ. भीमराव आंबेडकर ने सामाजिक दासता का आधार बताया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *