कांग्रेस नेता डॉ. उदित राज ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद दिल्ली के सरकारी बंगले से जबरन निकाला गया. उन्होंने आगे कहा “सुरक्षा छीनी, अब घर से सामान फेंका गया. उन्होंने कहा यह कार्रवाई अदालत के नोटिस के बावजूद की गई है, जो दलित और पिछड़े वर्गों की आवाज उठाने वाले एक विपक्षी नेता को निशाना बनाने की साजिश का हिस्सा लगती है।
नई दिल्ली: कांग्रेस के दलित नेता और पूर्व सांसद डॉ. उदित राज ने दावा किया है कि दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास से उनका और उनकी पत्नी का सामान जबरन बाहर फेंक दिया गया है. उन्होंने X पर तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि अदालत में मामला लंबित होने के बावजूद यह कार्रवाई की गई.पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई “मनुवाद से लड़ाई” की सजा के तौर पर की गई है. उन्होंने कहा, “जो मनुवाद के खिलाफ ईमानदारी से लड़ता है. उसे हर जुल्म के लिए तैयार रहना पड़ता है.” उदित राज का कहना है कि भाजपा नेताओं के इशारे पर उन्हें जबरदस्ती घर से निकाला गया, जबकि कोर्ट में २८ अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई तय है.
पंडारा पार्क का घर और विवाद की जड़
डॉ. उदित राज और उनकी पत्नी सीमा राज, जो कि पूर्व IRS अधिकारी हैं. दिल्ली के C-1/38, पंडारा पार्क आवास में रह रहे थे. यह मकान सीमा राज के नाम पर आवंटित था क्योंकि वह इनकम टैक्स विभाग से नवंबर २०२४ में रिटायर हुई थीं. विभाग की ओर से उन्हें छह महीने का एक्सटेंशन मिला था, जो अब समाप्त हो चुका है. इसके बाद मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स के तहत आने वाले डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स की टीम बंगला खाली कराने पहुंची. टीम ने घर का सामान बाहर निकाल दिया. उदित राज के अनुसार, “२८ अक्टूबर को कोर्ट में तारीख है, कुछ दिन का वक्त मिल जाता तो क्या फर्क पड़ जाता?”
अदालत में मामला, फिर भी कार्रवाई क्यों?
पूर्व सांसद का कहना है कि उन्होंने अदालत में एक महीने का अतिरिक्त समय मांगा था ताकि नया घर खोजने का समय मिल सके. लेकिन कोर्ट की सुनवाई से पहले ही विभाग ने कार्रवाई कर दी. उन्होंने आरोप लगाया, “खाली कराने वाले अधिकारी ने कहा कि ऊपर से आदेश आया है कि २८ तारीख से पहले मकान खाली करा लिया जाए, क्योंकि स्टे मिल सकता है.”
उदित राज का आरोप- भेदभाव और मनुवादी मानसिकता
कांग्रेस नेता ने X पर पोस्ट कर लिखा, “जो मनुवाद से लड़ता है, उसे हर तरह के जुल्म के लिए तैयार रहना पड़ता है. कुछ कथित दलित-पिछड़े नेता हैं जो आरएसएस-बीजेपी से लड़ने का दिखावा करते हैं. लेकिन असल में उनसे मिले हुए हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि “मेरी सुरक्षा पहले छीनी गई और अब घर से भी निकाल दिया गया.”
सीमा राज का पक्ष: पिता बीमार, नया घर नहीं मिला
डॉ. सीमा राज ने बताया कि उनके पिता की तबीयत खराब थी, इसलिए वह समय पर नया आवास नहीं ढूंढ पाईं. उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ एक महीने का समय और दिया जाता तो वह खुद मकान खाली कर देतीं. सीमा राज ने कहा, “अगर मार्केट रेट पर किराया देना पड़ता तो हम देने को तैयार थे, बस थोड़ा वक्त चाहिए था.”उदित राज दलित/ओबीसी/अल्पसंख्यक/आदिवासी संगठनों के कन्फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.उन्होंने कहा , “नवंबर के अंत तक हम अपना नया घर लेने वाले हैं। यहां का किराया इतना अधिक है कि हम मजबूरी में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि निवास खाली करने के लिए एक महीने के अतिरिक्त समय के लिए कोर्ट के माध्यम से मोहलत मांगी गई है और 28 अक्टूबर को इसकी सुनवाई है, लेकिन कोर्ट के नोटिस के बावजूद भाजपा के नेताओं के इशारे पर आज जबरदस्ती सामान रोड पर फेंका जा रहा है।”
निदेशालय छुट्टियों के दौरान जबरन बेदखली का लगाया आरोप
गुरुवार को संपदा निदेशालय (Directorate of Estates) , शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अधिकारियों ने उनके घर पहुंचकर सूचित किया कि शुक्रवार सुबह बेदखली की जाएगी। अधिकारियों ने सलाह दी कि मंत्रालय के निदेशक या संयुक्त सचिव से बात करें, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। राज की पत्नी ने मंत्रालय को पत्र लिखकर थोड़े समय के विस्तार की गुहार लगाई थी। आपको बता दें, श्रीमती सीमा राज ने पटियाला हाउस कोर्ट में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष अपील दायर की, जिसे स्वीकार कर लिया गया था। कोर्ट ने निदेशालय को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 28 अक्टूबर को निर्धारित की। बावजूद इसके डॉ राज के अनुसार, भाजपा नेताओं के इशारे पर आज जबरन सामान सड़क पर फेंक दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि निदेशालय छुट्टियों के दौरान जबरन बेदखली कर रहा है ताकि कोई उपाय न हो सके।
उदित राज लंबे समय से दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं। वे विपक्षी दलों के साथ सक्रिय हैं और बढ़ती जातिगत हिंसा के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे हैं। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है, जहां विपक्षी नेता इसे ‘चुनिंदा उत्पीड़न’ बता रहे हैं। निदेशालय ऑफ एस्टेट्स ने अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।


