धम्मचक्र प्रवर्तन दिन पर दीक्षाभूमि में 2 अक्टूबर को आयोजन की धीमी गति और निकृष्ठ दर्जे के काम को लेकर अनुयायियों में रोष का वातावरण हैं. जागरूक भीम अनुयायियों की वजह से प्रशासन अब जगा है . मनपा आयुक्त अभिजीत चौधरी और जिलाधिकारी विपिन इटनकर ने दीक्षाभूमि परिसर का दौरा कर काम जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए. तो समिति के अध्यक्ष की निष्क्रियता की वजह से लोगो ने उनसे पद छोड़ने की मांग भी की है.
नागपुर : नागपुर में धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस पर दीक्षाभूमि में 2 अक्टूबर को होने वाले आयोजन को लेकर अब प्रशासन सक्रिय हो गया है। मनपा आयुक्त अभिजीत चौधरी और जिलाधिकारी विपिन इटनकर ने दीक्षाभूमि परिसर का दौरा किया जिसके बाद यहां चल रही सफाई में तेजी लाकर पूरा परिसर जल्द साफ करने की हिदायतें दीं। मगर प्रशासन तब जाकर हरकत में आया जब नागपुर के अनुयायियों ने दीक्षाभूमि की सफाई और तैयारी की जिम्मेदारी खुद के कंधो पर उठाकर काम को शुरुवात कर दी थी.

घांस काटने से लेकर सफाई करने तक अग्रसर रहे अनुयायी
२ अक्टुबर का दिन नज़दीक आ रहा है पर दीक्षाभूमि समिति की तरफ से तैयारी की कोई हलचल नज़र न आने पर, नागपुर के लोगों ने ही श्रमदान का आवाहन कर दीक्षाभूमि में घांस निकालकर फेंकना शुरू कर दिया. इस काम में बच्चों से लेकर महिलाये, युवक तथा पुरुषो ने भी बढ़ -चढ़ कर भाग लिया. साथ ही समिति के अध्यक्ष फुलझेले से,जल्द से जल्द काम शुरू करने को कहा गया. मगर समिति ने इस बारे में उदासीनता ही दिखाई.

गड्ढे भरने के लिए किया गया ग़डर के मलबे का उपयोग
अंडरग्राउंड पार्किंग का विरोध होने के बाद काम तो बंद कर दिया गया मगर दीक्षाभूमि के मैदान को जैसे थे की स्थिति में छोड़ दिया गया था , जिस वजह से कही पर गड्ढे , कहीं लोहा पड़ा हुआ , कही कॉन्क्रीट पड़ा हुआ , जैसी हालत में मैदान था. इसको व्यवस्थित करने का जब दबाव बनाया गया तो गड़र की मिट्टी लाकर यह काम शुरू किया गया. अनुयायियों के ध्यान में यह बात आई तो क्रोधित होकर वह मिट्टी समिति के अध्यक्ष फुलझेले की टेबल पर रखकर अनुयायियों ने उनसे जवाब माँगा। लोगो के आक्रोश को देखते हुए बदबू और सड़े हुए सामान से भरी मिटटी को हटाने के आदेश दिए गए.


मनपा आयुक्त चौधरी ने दिए निर्देश
इसी दौरान प्रशासन की भी नींद खुली और मनपा आयुक्त चौधरी ने निर्देश दिया कि 2 अक्टूबर को होने वाले धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के मुख्य समारोह और अन्य दिनों में दीक्षाभूमि में प्रवेश करने वाले बौद्ध अनुयायियों के लिए संपूर्ण दीक्षाभूमि क्षेत्र में नागरिक सुविधाएं और स्वच्छता प्रदान करने को प्राथमिकता दी जाए। आयुक्त एवं जिलाधिकारी ने डॉ बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति के पदाधिकारियों के साथ पूरे क्षेत्र का निरीक्षण किया। बताया जाता है कि मनपा द्वारा 30 सितंबर से 4 अक्टूबर तक दीक्षाभूमि में अनुयायियों को सभी आवश्यक नागरी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
निरंतर पानी और बिजली की आपूर्ति
आयुक्त एवं जिलाधिकारी ने अन्य अधिकारियों के साथ दीक्षाभूमि के संपूर्ण क्षेत्र, मुख्य समारोह स्थल, डॉ। अंबेडकर प्रबंधन अध्ययन एवं शोध संस्थान, भवन के पीछे अस्थायी शौचालय व्यवस्था, माता कचहरी क्षेत्र एवं राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीआई), सामाजिक न्याय भवन क्षेत्र में पार्किंग स्थल पर शौचालय व्यवस्था एवं अन्य नागरिक सुविधाओं का जायजा लिया।
आयुक्त ने दीक्षाभूमि स्तूप के साथ-साथ सभी सड़कों एवं शौचालयों की विद्युत आपूर्ति अबाधित रूप से जारी रखने, शौचालयों में विद्युत आपूर्ति के साथ-साथ निरंतर जलापूर्ति सुनिश्चित करने तथा सभी शौचालयों में स्वच्छता हेतु हाथ धोने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया। तो समय से पहले काम पूर्ण कर देश विदेश से आने वाले अनुयायियों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखने की मांग अनुयायियों द्वारा की जा रही है.

‘ए-ग्रेड’ पर्यटन स्थल घोषित होने के बावजूद विकास कार्य ठन्डे बस्ते में
महाराष्ट्र सरकार ने 7 मार्च 2016 को नागपुर की दीक्षाभूमि को ‘ए-ग्रेड’ पर्यटन स्थल घोषित किया, जिससे इसके विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया. यह घोषणा डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर की गई थी और इसका उद्देश्य दीक्षाभूमि को एक महत्वपूर्ण पर्यटन और तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करना था.यह स्थान ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है.डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को यहीं पर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी और अपने लाखों अनुयायियों को भी दीक्षा दिलाई थी.इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने यह निर्णय लिया था मगर ऐसा होने के बावजूद दीक्षाभूमि पर विकास कार्य तो दूर की बात उसका सही रख – रखाव करने में प्रशासन असमर्थ साबित हो रहा हैं।