आज,१३ अक्टूबर को, परिवार न्याय के इंतज़ार में बैठा है और इसी कारण अब तक वाई. पुरन कुमार जी को अंतिम विदाई भी नहीं दी जा सकी है। न्याय की माँग को लेकर समाज ने महापंचायत की थी, जिसने सरकार को ४८ घंटे का समय दिया था। परंतु २४ घंटे बीत जाने के बाद भी न्याय नहीं मिला है।हरियाणा प्रदेश की भाजपा सरकार के राज में जब इतने उच्च अधिकारी को न्याय नहीं मिल रहा है, तो पुलिस का एक सामान्य अधिकारी या कर्मचारी किस मनोयोग से काम कर पाएगा? महापंचायत द्वारा दिए गए समय में अब भी २४ घंटे शेष हैं — समय समाप्त होने के बाद अपने भाई को न्याय दिलाने के लिये हम चंडीगढ़ कूच करेंगे।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पुरन कुमार केस में अब तक परिवार की मांगो को पूरा नहीं किया गया है. इस प्रकरण पर रोशनी डालने के लिए भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद ने x पर ताज़ा जानकारी देते हुए कहा कि ७ अक्टूबर को हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पुरन कुमार जी ने जातीय भेदभाव और प्रताड़ना से त्रस्त होकर खुद को गोली मार ली, जिससे उनका निधन हो गया। ११ अक्टूबर को मैंने चंडीगढ़ में अपने इस परिवार से मुलाकात की उन्होंने कहा कि परिवार और उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार यह कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि एक षड्यंत्र द्वारा कानून को ताक पर रखकर की गई कार्रवाई का नतीजा है। उनके साथ जो बर्ताव हुआ, उसमें न किसी नियम या कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया, न ही सत्य की खोज की गई. बल्कि झूठे गवाह तैयार किए गए ताकि एक ईमानदार अधिकारी को भ्रष्टाचार में लिप्त साबित किया जा सके। अंततः उन्हें बदनाम कर देने की इस कोशिश ने उन्हें अपने सम्मान की रक्षा के लिए बलिदान देने को मजबूर किया — जैसा कि उनके सुसाइड नोट में स्पष्ट रूप से दर्ज है।
सिस्टम में सत्य बोलने वाले हर अधिकारी के सम्मान और सुरक्षा का सवाल है
आज,१३ अक्टूबर को, परिवार न्याय के इंतज़ार में बैठा है और इसी कारण अब तक वाई. पुरन कुमार जी को अंतिम विदाई भी नहीं दी जा सकी है।
न्याय की माँग को लेकर समाज ने महापंचायत की थी, जिसने सरकार को ४८ घंटे का समय दिया था। परंतु २४ घंटे बीत जाने के बाद भी न्याय नहीं मिला है।
हरियाणा प्रदेश की भाजपा सरकार के राज में जब इतने उच्च अधिकारी को न्याय नहीं मिल रहा है, तो पुलिस का एक सामान्य अधिकारी या कर्मचारी किस मनोयोग से काम कर पाएगा? महापंचायत द्वारा दिए गए समय में अब भी २४ घंटे शेष हैं — समय समाप्त होने के बाद अपने भाई को न्याय दिलाने के लिये हम चंडीगढ़ कूच करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि मैं एक बार फिर त्वरित, निष्पक्ष और पारदर्शी न्यायिक जाँच की माँग करता हूँ। यह केवल एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि सिस्टम में सत्य बोलने वाले हर अधिकारी के सम्मान और सुरक्षा का सवाल है।