गोपीनाथन ने २१ अगस्त २०१९ को आईएएस पद से इस्तीफा दिया। यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा २०१९ को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल ३७० हटाने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद लगाए गए सख्त प्रतिबंधों के विरोध में था। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी पर लगी पाबंदियां असहनीय थीं, और वे अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति की आजादी वापस चाहते थे। इस्तीफे के बाद सरकार ने इसे रद्द करने की कोशिश की, लेकिन गोपीनाथन ने इनकार कर दिया। यह घटना देशभर में चर्चा का विषय बनी, क्योंकि यह एक सिविल सर्वेंट का दुर्लभ विद्रोह था।
नई दिल्ली- पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन जिन्होंने २०१९ में जम्मू-कश्मीर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगी पाबंदियों के विरोध में नौकरी छोड़ दी थी, आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।
उन्होंने कहा कि इस्तीफे के बाद देश के ८०-९० जिलों में घूमकर लोगों और नेताओं से बातचीत करने पर उन्हें यकीन हो गया कि कांग्रेस ही देश को सही दिशा दे सकती है। गोपीनाथन ने कहा, “मैंने २०१९ में नौकरी से इस्तीफा दिया और तब ये पता था कि सरकार देश को जिस दिशा में लेकर जा रही है, वह रास्ता गलत है। मुझे यह भी पता था कि इस ‘गलत’ के खिलाफ लड़ना है।” यह फैसला उन्हें सेवा करने और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का मंच देगा।
जन्म १२ दिसंबर १९८५ को केरल में जन्मे कन्नन गोपीनाथन २०१२ बैच के आईएएस अधिकारी थे, जो अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर से जुड़े थे। उन्होंने दादरा और नगर हवेली में शहरी विकास एवं नगर एवं ग्रामीण नियोजन विभागों में सचिव के रूप में सेवा दी। गोपीनाथन को एक सिद्धांतवादी प्रशासक के रूप में जाना जाता है, जो लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रताओं के लिए हमेशा मुखर रहे।
गोपीनाथन ने २१ अगस्त २०१९ को आईएएस पद से इस्तीफा दिया। यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा २०१९ को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल ३७० हटाने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद लगाए गए सख्त प्रतिबंधों के विरोध में था। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी पर लगी पाबंदियां असहनीय थीं, और वे अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति की आजादी वापस चाहते थे। इस्तीफे के बाद सरकार ने इसे रद्द करने की कोशिश की, लेकिन गोपीनाथन ने इनकार कर दिया। यह घटना देशभर में चर्चा का विषय बनी, क्योंकि यह एक सिविल सर्वेंट का दुर्लभ विद्रोह था।
सरकार की नीतियों पर लगातार उठाते रहे सवाल
इस्तीफे के बाद गोपीनाथन एक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहे हैं, वे कश्मीर मुद्दे, मानवाधिकार, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), किसान कानूनों और कोविड-१९ प्रबंधन पर सरकार की आलोचना के लिए जाने जाते हैं।हाल ही में, सितंबर२०२५ में उन्होंने चुनाव आयोग के वोटर पोर्टल में सुरक्षा खामियों को उजागर किया और फॉरेंसिक जांच की मांग की।
गोपीनाथन ने कहा कि इस्तीफे के बाद देश भर में यात्रा करने पर उन्हें एहसास हुआ कि वर्तमान सरकार सवाल उठाने वालों को देशद्रोही ठहराती है। उन्होंने कांग्रेस को ही वह पार्टी पाया जो न्याय और समावेशी समाज के लिए लड़ रही है। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि गोपीनाथन की मौजूदगी संविधान, स्वतंत्रता और समावेशी सामाजिक ढांचे की रक्षा के आंदोलन को मजबूती देगी। गोपीनाथन ने वादा किया कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे ईमानदारी से निभाएंगे।
पक्ष में उत्साह का वातावरण
कन्नन गोपीनाथन जैसे उच्च शिक्षित और अपने सिद्धांतो से समझौता न करने वाले लोग कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं इसके लिए पक्ष में उठा का वातावरण हैं,तो इस मामले पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करके लोग भाजपा और कांग्रेस में शामिल होनेवाले लोगों की तुलना भी कर रहे हैं…