उत्तर प्रदेश के अयोध्या में मंगलवार को राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहराई गई। देश के अलग-अलग कोनों से अयोध्या आए, भगवान राम के करीब 7000 भक्तों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभ मुहूर्त में ध्वजारोहण किया। ध्वजारोहण के साथ ही मंदिर परिसर ‘जय श्री राम’ के नारों से गूंज उठा। ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी ने कहा कि यह ध्वज मंदिर निर्माण के संघर्ष की कहानी है। यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। वहीं, पीएम मोदी के ध्वजारोहण करने पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने पीएम मोदी को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से सेक्युलरिज्म सीखने की सलाह दी है। वहीं, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि शास्त्रों में कहीं ध्वजारोहण जैसी चीज मंदिरों के लिए है ही नहीं. ध्वज बदलने की परंपरा है. यहां सिर्फ और सिर्फ सब मनमाने तरीके से किया जा रहा है. शास्त्रों का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है.
राम मंदिर ध्वजारोहण पर प्रतिक्रिया देते हुए राशिद अल्वी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री किस हैसियत से वहां जाकर एक मंदिर का झंडा फहरा रहे हैं। संविधान के मुताबिक, भारत देश का कोई मजहब या धर्म नहीं है। संविधान के मुताबिक, व्यक्तिगत किसी आदमी का धर्म है। हमारे प्रधानमंत्री देश के प्रधानमंत्री हैं। क्या वह किसी मस्जिद के ऊपर झंडा फहराएंगे? क्या वह किसी गुरुद्वारे या चर्च का झंडा फहराएंगे? वो सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने के लिए राम मंदिर का झंडा फहरा रहे हैं। ताकि, आने वाले चुनावों में, खासतौर पर यूपी के चुनाव में उन्हें फायदा मिल सके। वह देश के धार्मिक जज्बात को भड़काकर राजनीति करना चाहते हैं। अगर उन्हें सेक्युलरिज्म सीखना है, तो पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से सीखिए।’

आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहराकर यह भी संदेश दिया गया है कि अब मंदिर निर्माण का कोई कार्य शेष नहीं बचा है। मंगलवार को ध्वजारोहण के लिए अयोध्या पहुंचे पीएम मोदी ने पहले साकेत यूनिवर्सिटी से राम मंदिर तक रोड शो किया और इसके बाद सप्तमंदिर में सप्त ऋषियों के दर्शन किए। मंदिर में भगवान राम की पूजा-अर्चना करने के बाद पीएम मोदी ने मंत्रोच्चार के बीच शिखर पर ध्वजारोहण किया। इस दौरान उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे।

इस संदर्भ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि किसी मंदिर में ध्वजारोहण होता ही नहीं है. भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर में प्रतिदिन ध्वज बदला जाता है. एक व्यक्ति ध्वज लेकर ऊपर जाता है और उसे बदलता है उसका आरोहण नहीं होता है. द्वारिका जी में एक दिन में तीन से चार ध्वज बदला जाता है. वहां भी ध्वजारोहण नहीं होता है. ध्वज का बदला जाना तब होगा, जब पहले वहां ध्वज और शिखर की प्रतिष्ठा हो. ऐसी कोई बात कही नहीं जा रही की शिकार की प्रतिष्ठा हो शास्त्र के अनुसार या उचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम में हमारे भाग लेने का कोई तात्पर्य ही नहीं है. अयोध्या के ट्रस्ट का मन कुछ भी शास्त्र अनुसार करने का नहीं दिखाई पड़ रहा है. उनका कहना है कि इस पूरे आयोजन में शंकराचार्य को बुलाया ही नहीं गया है. मैंने तो शास्त्रों में ऐसा उल्लेख पढ़ा ही नहीं है, जो वहां होने जा रहा है. वहां पर सब कुछ मनमाना किया जा रहा है.
अहमदाबाद में तैयार हुआ है धर्म ध्वज
राम मंदिर के शिखर पर फहराए गए इस ध्वज को अहमदाबाद में तैयार किया गया था। करीब 22 फीट लंबे और 11 फीट चौड़े इस धर्म ध्वज को विशेष पैराशूट फैब्रिक और रेशमी धागों से तैयार किया गया है। ध्वज का वजन लगभग तीन किलो है। यह ध्वज हवा की तेज रफ्तार के साथ-साथ हर तरह के मौसम की मार झेल सकने में सक्षम है। ध्वज को मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर लगे 42 फीट ऊंचे ध्वजदंड पर फहराया गया है।


