दलित आईपीएस वाई पुरन कुमार की मौत के मामले में हरियाणा सरकार और आला पुलिस अफसर लगातार विवादों में घिरते जा रहे हैं। पुरन कुमार की रहस्यमय मौत के मामले में उनकी पत्नी और सीनियर आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अमनीत ने पुलिस की ‘जल्दबाजी’ और शव के साथ ‘अपमानजनक’ व्यवहार पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने खुद को दलित विधवा बताते हुए कहा कि पुलिस ने परिवार की सहमति के बिना शव को सेक्टर-१६ अस्पताल से पीजीआई ले जाकर महत्वपूर्ण सबूत नष्ट करने का प्रयास किया।
चंडीगढ़ : अमनीत ने कहा, “परिवार की सहमति बेकार है तो चंडीगढ़ पुलिस शव के साथ जो चाहे कर ले। मैं अब तक चुप रही हूं, लेकिन यह सब हाथ से बाहर हो गया है। इतनी जल्दबाजी क्यों? पुलिस अपनी करतूतों की सफाई दे।” उन्होंने आरोप लगाया कि शव को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते समय संभावित सबूत नष्ट हो सकते हैं, और इसकी पूरी जिम्मेदारी चंडीगढ़ पुलिस की होगी। परिवार ने घटनाक्रम से गहरा आघात महसूस किया है, जबकि शव अभी भी पीजीआई में है। पोस्टमॉर्टम हो रहा है। समझा जाता है कि आज अंतिम संस्कार हो जाएगा।
परिवार ने हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरनिया समेत कई अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की मांग की। अमनीत ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को शिकायत सौंपी, जिसमें सुसाइड नोट और उत्पीड़न के सबूतों का हवाला दिया गया। ९ अक्टूबर को सीएम से मुलाकात के दौरान परिवार ने साफ कहा कि एफआईआर दर्ज होने और बेटी के अमेरिका से लौटने तक पोस्टमॉर्टम या अंतिम संस्कार नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने घर पर आकर आरोपी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा लेकिन वहां से लौटने के बाद उन्होंने चुप्पी साध ली।
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद का कड़ा बयान, घर जाएंगे
सांसद और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने शनिवार को इस मामले में कड़ा बयान दिया। चंद्रशेखर ने कहा कि पुरन कुमार के परिवार से मिलने चंडीगढ़ जाएंगे। उन्होंने कहा- सबसे गंभीर और पीड़ादायक यह है कि उनके निधन के बाद शव को ज़बरदस्ती पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया, जबकि उनकी पत्नी अमनीत, जो हरियाणा कैडर की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, की सहमति के बिना यह कार्रवाई करने की कोशिश की गई। यह बेहद अमानवीय, असंवेदनशील और कई सवाल खड़े करने वाली घटना है, जिसे किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त करने लायक नहीं माना जा सकता। मैं हरियाणा के सीएम से मांग करता हूं कि इस पूरे मामले की त्वरित, निष्पक्ष और पारदर्शी सीबीआई जाँच कराई जाए तथा दोषियों को सख़्त से सख़्त दंड दिया जाए।
पुरन कुमार केस में रोहतक के एसपी बिजरनिया को हटाया
पुरन कुमार की आत्महत्या के मामले में परिवार द्वारा “कार्रवाई” की मांग के चार दिन बाद, हरियाणा सरकार ने शनिवार को रोहतक के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नरेंद्र बिजरनिया को उनके पद से हटाकर सुरिंदर सिंह भोरिया को नियुक्त कर दिया। आईपीएस अधिकारी का सुसाइड नोट मिलने के बाद, परिवार ने शुरुआत में डीजीपी और रोहतक के एसपी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की थी। हालाँकि, अभी यह साफ नहीं है कि एफआईआर में आरोपी अधिकारियों के नाम शामिल किए गए हैं या नहीं। विपक्ष का कहना है कि पूरी सरकार डीजीपी शत्रुजीत कपूर को बचाने में जुटी है।
एसआईटी का गठन लीपापोती, एक्शन क्यों नहीं
१० अक्टूबर को चंडीगढ़ पुलिस ने आईपीसी की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और एससी/एसटी एक्ट के तहत हरियाणा डीजीपी कपूर और रोहतक एसपी बिजरनिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। छह सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया, जिसका नेतृत्व आईजी पुष्पेंद्र कुमार करेंगे। एसआईटी को निष्पक्ष और समयबद्ध जांच का जिम्मा सौंपा गया है। हालांकि दलित संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि एसआईटी का गठन सरकार ने लीपापोती के लिए किया है। हरियाणा पुलिस के अधिकारी अपने डीजीपी के खिलाफ कैसे जांच कर पाएंगे। जब तक डीजीपी को हटाया नहीं जाता है, तब तक निष्पक्ष जांच संभव ही नहीं है। पुरन कुमार की पत्नी अमनीत इसीलिए बार-बार डीजीपी और एसपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी कर जातिगत भेदभाव के आरोपों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। दलित संगठनों के लोग पुरन कुमार के आवास पर आकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं और हरियाणा सरकार की कारगुज़ारी की निन्दा कर रहे हैं। पुरन कुमार 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे, जो हाल ही में रोहतक रेंज से पीटीसी सुनारिया जेल ट्रांसफर किए गए थे। परिवार का आरोप है कि यह ‘सजा’ पोस्टिंग थी, जो मानसिक दबाव का कारण बनी। इस घटना ने पुलिस विभाग में जातिगत भेदभाव और कार्यस्थल उत्पीड़न पर बहस छेड़ दी है।