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डंके की चोट पर OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाएंगे” के बयान पर CM मोहन यादव का विरोध, ‘रामद्रोही’ हैशटेग के जरिए ट्रोलिंग !

डंके की चोट पर OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाएंगे” के बयान पर CM मोहन यादव का विरोध, ‘रामद्रोही’ हैशटेग के जरिए ट्रोलिंग !

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरम हो गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में सर्वदलीय बैठक कर घोषणा की थी और मंच से कहा था कि “डंके की चोट पर हम ओबीसी को २७ प्रतिशत आरक्षण दिलाएंगे”। इस बयान के बाद प्रदेशभर में जहां पिछड़ा वर्ग और उनके संगठनों ने सरकार की सराहना की, वहीं सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के खिलाफ विरोध की लहर तेज हो गई है।

गुरुवार से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर #RamDrohiMohanYadav हैशटैग ट्रेंड करने लगा। हजारों लोग इस हैशटैग के साथ पोस्ट कर रहे हैं। विरोध करने वालों ने मोहन यादव को “जातिवादी” और “हिंदू विरोधी” करार दिया, जबकि समर्थन करने वाले लोग इसे संविधान सम्मत कदम बता रहे हैं।

ओबीसी महासभा के नेता एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाहा ने कहा, “जो लोग सोशल मीडिया पर ट्रेंड चला रहे हैं, वह मनुवादी सोच से ग्रसित हैं। ये संविधान विरोधी हैं। उनके विरोध से कुछ होने वाला नहीं है। पिछड़ा वर्ग को उनका अधिकार जरूर मिलेगा। कुशवाहा ने कहा, कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सही कदम उठाया है और OBC समाज इस घोषणा के साथ खड़ा है।

“हिंदू बनाम गैर-हिंदू” का मुद्दा बनता ओबीसी आरक्षण

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव का बयान, जहां OBC समुदाय के लिए बड़ी राहत है, वहीं भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में असंतोष की लहर पैदा कर रहा है। खासकर सामान्य वर्ग से जुड़े संगठन और व्यक्ति इसे अपने खिलाफ उठाया गया कदम मान रहे हैं।
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पहले से ही २७ % आरक्षण की मांग करती रही हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री की इस घोषणा ने भाजपा के भीतर भी गुटबाजी और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। प्रदेश में आने वाले समय में जब यह नीति लागू होगी, तब राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। OBC समाज इसे अपने हक की जीत मानकर समर्थन कर रहा है, लेकिन विरोध करने वाले समूह अब इसे “हिंदू बनाम गैर-हिंदू” का मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव के लिए यह दोहरी चुनौती है, एक ओर उन्हें OBC समाज को साधे रखना होगा। दूसरी ओर भाजपा का परंपरागत वोट बैंक यानी सामान्य वर्ग की नाराजगी भी संभालनी होगी।

कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण में की थी बढोत्तरी

मध्यप्रदेश में कांग्रेस की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने २०१८ में २७ प्रतिशत ओबीसी आरक्षण प्रस्ताव कैबिनेट में पारित कर लागू किया था। इसके पहले ओबीसी आरक्षण १४ प्रतिशत था। आरक्षण के प्रतिशत में हुई बढोत्तरी के कारण २७ प्रतिशत ओबीसी आरक्षण खिलाफ और पक्ष में ६४ याचिकाएं दायर की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने २७ प्रतिशत आरक्षण पर स्टे दे दिया। फिलहाल मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण १४ प्रतिशत है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में प्रचलित है।

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