मराठा आरक्षण और हैदराबाद गजट को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल गरमा गया है. ओबीसी समुदाय इस आरक्षण का विरोध कर रहा है. मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में, ओबीसी नेताओं ने सरकारी निर्णय रद्द करने और जाति प्रमाण पत्रों पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की.
मराठा आरक्षण की पृष्ठभूमि में हैदराबाद गजट लागू होने के बाद राज्य में माहौल गरमा गया है. ओबीसी समुदाय और मराठा समुदाय आमने-सामने है. उनका रुख यही है कि मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए. इस बीच, आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में ओबीसी नेताओं की एक बैठक हुई. इस बैठक में लगभग सभी प्रमुख ओबीसी नेता मौजूद थे. इस बैठक में बोलते हुए छगन भुजबल काफी आक्रामक रुख़ अपनाते नजर आए. उन्होंने यह सवाल उठाया कि हैदराबाद गजट के संबंध में विधि एवं न्याय विभाग से अनुमति लिए बिना सरकारी निर्णय कैसे लिया गया? ओबीसी समुदाय के लिए महाज्योति हेतु सरकारी निधि शीघ्र उपलब्ध क्यों नहीं हो रही है?
ओबीसी नेताओं ने रखी ये मांग
इस बैठक में ओबीसी नेताओं की ओर से दो प्रमुख मांगें रखी गईं. नेताओं का कहना है कि २ सितंबर को सरकार द्वारा लिया गया सरकारी निर्णय ओबीसी के लिए चौंकाने वाला है, मांग की गई है कि इस सरकारी निर्णय को रद्द किया जाए, जबकि दूसरी मांग यह है कि २०१४ से राज्य में जारी जाति प्रमाण पत्र और जाति सत्यापन प्रमाण पत्र पर एक श्वेत पत्र जारी किया जाए.
मराठा आरक्षण और ओबीसी पर घमासान
मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण देने वाले सरकारी आदेश पर कई नेताओं ने अपनी राय रखी. विजय वडेट्टीवार ने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार इस चर्चा का सकारात्मक अंत करे. ओबीसी समुदाय आज बहुत चिंतित है.उन्होंने कहा किमराठवाड़ा में कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठा है. समुदाय में खाई पैदा करने का काम किया जा रहा है. हमने एक अध्ययन किया है, हमारी मांग है कि सरकारी आदेश रद्द किया जाए. हमने फैसला किया है कि 10 अक्टूबर को एक बड़ा मार्च निकाला जाएगा. ओबीसी समुदाय इस मार्च में शामिल होगा.


