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उ.प्र.के २३२ जर्जर प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने को मजबूर नन्हे बच्चे : ऑपरेशन कायाकल्प केवल कागजों तक सिमित

उ.प्र.के २३२ जर्जर प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने को मजबूर नन्हे बच्चे : ऑपरेशन कायाकल्प केवल कागजों तक सिमित

उत्तर प्रदेश के २३२ जर्जर प्राथमिक विद्यालयों को ऑपरेशन कायाकल्प के तहत मंज़ूरी मिलने के छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक धनराशि जारी नहीं हुई। यह देरी डबल इंजन वाली भाजपा सरकार की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

उत्तर प्रदेश के २३२ जर्जर प्राथमिक विद्यालयों को ऑपरेशन कायाकल्प के तहत मंज़ूरी मिलने के छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक धनराशि जारी नहीं हुई। यह देरी डबल इंजन वाली भाजपा सरकार की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है। उत्तर प्रदेश में ऑपरेशन कायाकल्प एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य राज्य के सरकारी स्कूलों और अन्य बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाना है। इसके तहत, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को सुसज्जित किया गया है, जिनमें स्मार्ट क्लासरूम, स्वच्छ पेयजल, वाई-फाई, कंप्यूटर लैब और बच्चों के लिए अनुकूल फर्नीचर शामिल हैं। इस योजना का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना और बच्चों को बेहतर माहौल प्रदान करना है, जो निजी स्कूलों को टक्कर दे सके।

ऑपरेशन कायाकल्प के तहत मंज़ूरी मिलने के छह महीने बीत जाने के बावजूद टूटी दीवारों, गिरती छतों और बदहाल भवनों में बच्चे रोज़ाना अपने जीवन और भविष्य दोनों को जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। भीम आर्मी के चंद्र शेखर आज़ाद ने x पर इस मामले पर सवाल उठाते हुए सर्कार से पूछा है कि , क्या यही “नया उत्तर प्रदेश” है — जहाँ शिक्षा की योजनाएँ फाइलों में दबी हैं और बच्चे खंडहरों में कैद हैं? उनका कहना है कि यह सिर्फ बजट की देरी नहीं है बल्कि यह आने वाली पीढ़ी के सपनों का गला घोंटना है।

जाने ऑपरेशन कायाकल्प के मुख्य उद्देश्य और कार्य

बुनियादी ढांचे का नवीनीकरण: स्कूलों का नवीनीकरण कर उन्हें आधुनिक बनाना है। इसमें दीवारों पर पेंटिंग, रेलिंग के साथ रैंप, विद्युतीकरण और रसोई का नवीनीकरण शामिल है।

सुविधाओं का विस्तार: प्रत्येक विद्यालय में स्वच्छ पेयजल, स्मार्ट क्लासरूम, कंप्यूटर लैब, विज्ञान लैब, कला कक्ष और वाई-फाई जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना।


स्वच्छता और स्वास्थ्य: COVID-19 को ध्यान में रखते हुए हैंडवाशिंग यूनिट का निर्माण और संक्रमण नियंत्रण पर जोर देना।

बच्चों के लिए अनुकूल वातावरण: बच्चों और दिव्यांग बच्चों के लिए अनुकूल और सुरक्षित वातावरण बनाना।

अन्य सामुदायिक भवनों का विकास: ग्राम पंचायतों, आंगनबाड़ी केंद्रों, एएनएम सेंटरों और ग्राम सचिवालयों की मरम्मत और उन्हें ज्ञान और कौशल विकास केंद्र के रूप में विकसित करना।

कौशल विकास और प्रशिक्षण: शिक्षकों और ग्राम प्रधानों जैसे संबंधित व्यक्तियों को तकनीकी और व्यावहारिक प्रशिक्षण देना, ताकि वे इन सुविधाओं का बेहतर उपयोग कर सकें।

कागजों पर यह योजना कितनी भी आकर्षक क्यों न लगे मगर इसकी वास्तविकता बहुत ही गंभीर है. इस योजना को अमल में लाने के लिए होनेवाली देरी यही सूचित करती है कि उत्तर प्रदेश सरकार गरीब और पिछड़े बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है.

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