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मायावती की बड़ी बैठक, यूपी विधानसभा चुनाव २०२७ की बनाई रणनीति; अखिलेश और सपा पर बोला हमला

मायावती की बड़ी बैठक, यूपी विधानसभा चुनाव २०२७ की बनाई रणनीति; अखिलेश और सपा पर बोला हमला

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने आज लखनऊ में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक की. बैठक में यूपी के सभी जिलों से पार्टी पदाधिकारी शामिल हुए लेकिन, बसपा सुप्रीमो के भतीजे और पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद नहीं पहुंचे.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के २०२७ में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है. जिसमें मायावती ने पार्टी नेताओं को विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर दिशा-निर्देश दिए. बैठक में प्रदेश भर से वरिष्ठ बसपा नेता, जिला अध्यक्ष, समन्वयक और अन्य प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए.

आकाश आनंद बिहार में व्यस्त
बैठक में आकाश आनंद के शामिल नहीं होने का कारण उनका बिहार की राजनीति में शामिल होना बताया जा रहा है. आकाश आनंद इन दिनों बिहार के दौरे पर है, जहां वो बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ रणनीति बनाने में जुटे हैं. बसपा सुप्रीमो मायवती ने बैठक में समाजवादी पार्टी पर एक बार फिर जोरदार निशाना साधा. कहा कि जब स्मारकों के रखरखाव का काम वर्तमान सरकार ने कराया तो आभार जताना तो बनता ही है. यह भी समाजवादी पार्टी को बुरा लग रहा है.

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के नेताओं का किया आभार व्यक्त .

इसके अलावा उन्होंने बीती ९ अक्टूबर को देश-प्रदेश से लाखों की संख्या में आए कार्यकर्ताओं के सरकारी बसों से आने को लेकर विपक्षियों की तरफ से की जा रही बयानबाजी पर भी जोरदार पलटवार किया. बसपा के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर नौ अक्टूबर को हुई महारैली की सफलता पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ ही मीटिंग में शामिल हुए उत्तराखंड के नेताओं का भी आभार व्यक्त किया.

बहुजन समाज पार्टी कार्यालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बसपा करोड़ों गरीबों, शोषितों-पीड़ितों के खून पसीने के सहयोग के बल पर चलने वाली पार्टी है. इसीलिए बसपा सरकार में व्यापक जनहित व जनकल्याण के बड़े-बड़े कार्य, दूसरी पार्टियों की तरह वोट के राजनीतिक स्वार्थ की खातिर नहीं, बल्कि पूरे सेवा, समर्पण भाव व ईमानदारी के साथ देशहित में किये गए हैं.

जिसका नतीजा वास्तव में ‘सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति’ के प्रमाण के रूप में सबके सामने है. बीएसपी के महा-आयोजन में लाखों-लाखों की ऐतिहासिक भीड़ रेल, प्राइवेट बसों व अपने-अपने खुद के छोटे-मोटे संसाधनों आदि के साथ-साथ पैदल भी चलकर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने आई.
ये उनकी पार्टी के प्रति समर्पण का जीता-जागता प्रमाण है, लेकिन अधिकांश किराये पर रैली व जनसभा करने वाली विरोधी पार्टियों के नेता ‘खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए इसमें सरकारी बसों के मुहैया कराने की अपनी तुच्छ व संकीर्ण राजनीति करने से बाज नहीं आए. ये उनकी जातिवादी चाल, चरित्र व चेहरे का स्पष्ट प्रमाण है.

आभार प्रकट करने की राजनीतिक ईमानदारी सपा व कांग्रेस में नहीं
बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि सपा सरकार के जातिवादी द्वेष के कारण स्मारक उपेक्षा का शिकार रहे. बसपा सरकार में लखनऊ में निर्मित व पर्यटन स्थल के रूप में विकसित भव्य स्थल, स्मारक, पार्क से टिकट की बिक्री के रूप में प्राप्त धन को उन्हीं स्मारकों के रख-रखाव पर खर्च करने की पार्टी की लिखित मांग को अगर वर्तमान यूपी सरकार ने मान लिया है तो उसके लिए आभार प्रकट करने की राजनीतिक ईमानदारी भी सपा व कांग्रेस जैसी विरोधी पार्टियों को अच्छा नहीं लगना स्वाभाविक है, क्योंकि उनके चरित्र में राजनीतिक ईमानदारी का साहस कहां?
बसपा सरकार में बहुजन समाज में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में बनाए गए नए जिले, यूनिवर्सिटी, कॉलेज, अस्पताल व अन्य संस्थानों आदि के अधिकांश नाम बदलने के साथ-साथ, इन वर्गों के आरक्षण की तरह ही, विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को निष्क्रिय व निष्प्रभावी नहीं किया होता तो उनका नाम दो जून 1995 की स्टेट गेस्ट हाउस काण्ड की तरह ही, इतिहास के काले पन्नों में दर्ज होने से बच सकता था, लेकिन अभी इसका पछतावा नहीं होना राजनीतिक द्वेष, छलावा व बेईमानी नहीं तो और क्या है?

‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ बीएसपी की राजनीती का आधार

मायावती ने कहा कि वैसे भी साम, दाम, दण्ड, भेद जैसे हथकण्डों के साथ-साथ अन्दरुनी मिलीभगत के लिए किसी स्तर तक गिर जाना बीएसपी का स्वाभाव नहीं है, बल्कि राजनीति खुली किताब व पूरे तौर से पाक-साफ है. नीले आसमान के नीचे खुल कर समर्थन या विरोध की ‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ की राजनीति पसंद है, जो कि जग-ज़ाहिर है. वैसे भी अपनी आदत से मजबूर विरोधी लोग बीएसपी के महा-आयोजन के सम्बंध में सरकारी बसें मुहैया कराने जैसी अंध विरोध व आधारहीन बातें करके अगर लोगों में अपना मज़ाक खुद ही उड़ा रहे हैं तो कोई क्या कर सकता है. 15 जनवरी को जन्मदिन पर आर्थिक सहयोग की परम्परा को जारी रखने की अपील करते हुए मायावती ने बैठक में कहा कि अपने वोट की शक्ति के बल पर बसपा राजनीतिक सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर बहुजन समाज को ‘लेने वाले से देने वाला समाज’ बनाना चाहती है. इसके लिये पूरे तन, मन और धन से अनवरत सहयोग ज़रूरी है.

बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के दिए आदेश
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि बैठक में बसपा सुप्रीमो ने दिशा निर्देश दिए हैं कि नौ अक्टूबर की रैली के चलते संगठन का जो काम अधूरा रह गया था उसे पूरा किया जाए. बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए मेहनत करने में जुट जाएं.२०२७ में हरहाल में उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनानी है. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सभी पदाधिकारियों ने संकल्प लिया है कि पूरी मेहनत करेंगे और २०२७ में बीएसपी की सरकार बनाएंगे.

संगठन का १० % काम जो बचा हुआ है उसे भी जल्द पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव को लेकर फिलहाल यहां पर कोई बात नहीं हुई है. आजम खान के लगातार मायावती की प्रशंसा करने के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि इस बारे में भी बैठक में कोई बात नहीं हुई है.

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