सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में जूता फेंकने की घटना को लेकर भोपाल में शनिवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के नेतृत्व में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान वकील राकेश किशोर का पुतला दहन किया गया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
भोपाल: आज मध्य प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के नेतृत्व में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में जूता फेंकने की घटना और ग्वालियर हाईकोर्ट के वकील अनिल मिश्रा द्वारा संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर पर की गई अमर्यादित टिप्पणी के विरोध में किया गया। प्रदर्शन के दौरान वकील राकेश किशोर का पुतला दहन किया गया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
प्रदर्शन का नेतृत्व मध्य प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने किया। उन्होंने इस घटना को संविधान, न्यायपालिका और सामाजिक समरसता पर सीधा हमला बताया।
दलित समाज की सुरक्षा और सम्मान पर गंभीर सवाल
प्रदीप अहिरवार ने कहा कि यह हमला किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं, बल्कि भारत के संविधान, न्यायपालिका और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर हमला है। देशभर के करोड़ों बाबा साहब अंबेडकर के अनुयायी इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि आजादी के ७८ साल बाद भी अगर सुप्रीम कोर्ट में एक दलित मुख्य न्यायाधीश सुरक्षित नहीं हैं, तो यह पूरे दलित समाज की सुरक्षा और सम्मान पर गंभीर सवाल है।”
पुतला दहन और चेतावनी
प्रदर्शन के दौरान मनुवादी मानसिकता के प्रतीक वकील राकेश किशोर का पुतला दहन किया गया. कांग्रेस नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग देशभर में आंदोलन के लिए बाध्य होगा। उन्होंने कहा कि वकील अनिल मिश्रा के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि (UAPA) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए और देशद्रोह की धाराएं भी लगाई जाएं। उच्च पदों पर बैठे दलित प्रतिनिधियों पर किया गया यह हमला भारत के संविधान और विवेक पर हमला है। ज्ञापन की प्रतियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को भी भेजी गई हैं।
ज्ञापन में रखी गईं पांच प्रमुख मांगे
- सुप्रीम कोर्ट परिसर में मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई पर हमले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी वकील को गिरफ्तार किया जाए।
- ग्वालियर हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनिल मिश्रा के खिलाफ देशद्रोह सहित कड़ी कानूनी कार्रवाई हो तथा उनकी वकालत की मान्यता (सर्टिफिकेट) तत्काल रद्द की जाए।
- जातीय नफरत और भेदभाव के खिलाफ देश में “शून्य सहिष्णुता नीति” लागू की जाए।
- न्यायपालिका और अन्य संवैधानिक संस्थानों में दलित समुदाय की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए।
- संविधान, समानता और सामाजिक न्याय के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रव्यापी जनजागरूकता अभियान चलाया जाए।