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अब छात्रवृत्ति में नहीं होगी देरी, CM देवेंद्र फडणवीस का निर्देश- वेतन जैसा ऑटो सिस्टम हो लागू

अब छात्रवृत्ति में नहीं होगी देरी, CM देवेंद्र फडणवीस का निर्देश- वेतन जैसा ऑटो सिस्टम हो लागू

महाराष्ट्र में छात्रों को स्कॉलरशिप के वितरण में देरी की शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं। लेकिन अब यह तस्वीर बदलने जा रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों की वेतन वितरण प्रणाली की तरह छात्रवृत्ति वितरण के लिए भी एक समान “ऑटो सिस्टम” तैयार किया जाए, ताकि छात्रों को समय पर लाभ मिल सके।

बुधवार को सह्याद्री अतिथि गृह में आयोजित महाराष्ट्र राज्य उच्च शिक्षा एवं विकास आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि छात्रवृत्ति को लेकर छात्रों को अब लंबे इंतजार से छुटकारा मिलना चाहिए। इसके लिए विभागवार समन्वय बनाकर समयबद्ध योजना तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग, अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग और आदिवासी विकास विभाग वित्तीय वर्ष के प्रावधान और वितरण की स्पष्ट टाइमलाइन तय करें।

इस बैठक में राज्य में नए कॉलेजों की स्थापना और उच्च शिक्षा के विस्तार पर भी अहम निर्णय लिए गए। मुख्यमंत्री ने बताया कि गैर-कृषि विश्वविद्यालयों वाले क्षेत्रों में कॉलेज शुरू करने के लिए उपयुक्त स्थान चिन्हित किए जा रहे हैं। इससे ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों के छात्रों को उच्च शिक्षा के अवसर मिलेंगे। सामाजिक उत्तरदायित्व को ध्यान में रखते हुए, राज्य के समाज कार्य महाविद्यालयों में महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएँगे। इसके लिए, अधिकारियों को विश्वविद्यालय स्तर पर एक समिति बनाने और तीन महीने के भीतर नए समाज कार्य महाविद्यालयों को स्थायी गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्रदान करने की रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

बैठक में बताया गया कि 739 कॉलेजों को पात्र माना गया है, जिनमें से 593 कॉलेजों को अंतिम मंजूरी दी गई है। यह कदम राज्य में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि छात्रों को मिलने वाले सभी शैक्षणिक लाभ पारदर्शी और स्वचालित प्रणाली से मिलें, ताकि बीच में भ्रष्टाचार या तकनीकी गड़बड़ी की कोई गुंजाइश न रहे।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह “ऑटो सिस्टम” सफलतापूर्वक लागू होता है तो हजारों छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति मिलेगी और उनका शैक्षणिक भविष्य सुरक्षित होगा। साथ ही, शिक्षा में पारदर्शिता और सुगमता दोनों बढ़ेगी।

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