भारत एक जाति प्रधान देश है और हम सब जानते हैं कि कैसे यहाँ समाज जातियों में बंटा हुआ है। जाति के हिसाब से किसी का नुक़सान किया जाता है तो किसी को फ़ायदा भी पहुँचाया जाता है। वर्तमान में देश के शासक बने लोग कभी देश को धर्म के आधार पर बाँटते रहते हैं तो कभी जाति के आधार पर। अब देश की सीमाओं की रक्षा करने वाली सेना में भी जातीय बँटवारा किया जा रहा है। जिस सेना में आरक्षण भी लागू नहीं है, उसी सेना में अब अग्निवीर कैंडिडेट्स से उनकी जाति पूछी जा रही है।
सेना में अग्निवीरों के लिए जाति-प्रमाण पत्र जरूरी
इंडियन आर्मी में भर्ती के लिए फ़ॉर्म भरने वाले अग्निवीरों से अब उनकी जाति और धर्म के सर्टिफिकेट माँगे जा रहे हैं। आर्मी की ओर से जारी नोटिफिकेशन में जाति प्रमाण पत्र देने की बात कही है लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि आर्मी में आरक्षण लागू नहीं है इसलिए SC-ST, OBC या EWS को आर्मी की नौकरियों में आरक्षण का फ़ायदा नहीं मिलता।ऐसे में अब सवाल उठता है कि जिन नौकरियों में आरक्षण मिलता ही नहीं है, सरकार उनकी जातियों के बारे में क्यों जानना चाहती है ?
क्या जाति के आधार पर होगी छंटनी ?
जानकार आशंका ज़ाहिर कर रहे हैं कि कहीं जब 25 % अग्निवीरों को पक्का करने का टाइम आएगा तो जातियों के हिसाब से छंटनी तो नहीं होगी ? इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सी मंडल ने ट्विटर पर लिखा ‘अग्निवीर के लिए सेना जाति का सर्टिफिकेट माँग रही है। जब सेना में आरक्षण देना नहीं है तो कास्ट सर्टिफिकेट का सरकार/सेना क्या करने वाली है? ये सच सामने आ रहा है सेना आज़ादी के बाद भी जाति–धर्म के आधार पर ही चल रही है। भारतीय एक साथ खा ही नहीं सकते। सरकार सैनिकों की जाति क्यों जानना चाहती है? क्या अग्निवीर में SC, ST, OBC को 50% रिज़र्वेशन देना है? या सरकार इन सर्टिफिकेट का इस्तेमाल 25% को पर्मानेंट करते समय करेगी? मक़सद क्या है, जब कोटा है नहीं? सेना, मोदी और राजनाथ सिंह स्पष्टीकरण दें।’
दिलीप मंडल ने ये भी आशंका ज़ाहिर की है कि कहीं 4 साल बाद अग्निवीरों को जाति के हिसाब से पक्का ना किया जाए क्योंकि अग्निवीर योजना में 4 साल बाद 75 % सैनिकों को रिटायर कर दिया जाएगा और सिर्फ़ 25 % को ही पक्की नौकरी मिलेगी। दिलीप मंडल ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा ‘जाति जनगणना न कराने वाली सरकार सेना में भर्ती के लिए पहली बार जाति का सर्टिफिकेट माँग रही है। इसका इस्तेमाल 75% को छाँटने में हो सकता है। अगर ये मक़सद नहीं है तो सरकार बताए कि जब आर्मी भर्ती में आरक्षण नहीं है तो उसे कैंडिडेट की जाति क्यों जाननी है? मेट्रिमोनियल सर्विस है क्या? भारतीय इतिहास में पहली बार सेना में भर्ती जाति के आधार पर होगी? शर्मनाक @narendramodi
राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट करते हुए लिखा जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की
संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन RSS बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने लिखा मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर”
भारत में जातीय मानसिकता को देखते हुए इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता की अग्निवीरों को पक्का करते हुए जाति के आधार पर भेद किया जा सकता है। साथ ही ये भी सवाल उठता है कि क्या भारतीय एक नहीं हैं और सेना में जाति-धर्म से उठकर एक साथ नहीं रह सकते?