अमेरिका के न्यूजर्सी में एक संस्था पर मंदिर बनाने के लिए भारत से दलित मजदूरों को अवैध रूप से ले जाने और कम वेतन देने के आरोप में मुकदमा दायर हुआ है. अमेरिका की केंद्रीय जांच संस्था एफबीआई मामले की जांच कर रही है.
मुकदमे में बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) पर मानव तस्करी और वेतन कानून के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं. एफबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि संस्था ने मामले की जांच शुरू कर दी है .
बीएपीएस पर आरोप है कि उसने 200 से भी ज्यादा श्रमिकों से जबरन भारत में ही रोजगार के समझौतों पर हस्ताक्षर करवाए. ये सभी श्रमिक दलित हैं. इनमें से अधिकतर श्रमिकों को अंग्रेजी नहीं आती. उन्हें न्यूजर्सी आर-1 वीजा पर लाया गया जो उन लोगों के लिए होते हैं जो धार्मिक कार्यों से जुड़े होते हैं. श्रमिक जब न्यूजर्सी पहुंच गए तो उनके पासपोर्ट जप्त किये गए और फिर उनसे मंदिर में सुबह के 6.30 से शाम के 7.30 बजे तक काम करवाया गया.
उन्हें छुट्टियां भी बहुत कम दी जाती थीं और करीब 450 डॉलर मासिक वेतन दिया जाता था. मुकदमे में दी गई जानकारी के मुताबिक यह लगभग 1.20 डॉलर प्रति घंटा के बराबर था. इसमें से भी श्रमिकों को हर महीने सिर्फ 50 डॉलर नकद दिए जाते थे.. मुकदमे में कई श्रमिकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील डैनिएल वर्नर ने कहा, “यह काफी स्तब्ध कर देने वाला है कि ऐसा हमारी नाक के नीचे हो रहा है. यह और भी ज्यादा अशांत करने वाला है कि ऐसा सालों से न्यूजर्सी में मंदिर की दीवारों के पीछे हो रहा था.”
अमानवीय व्यवहार
वर्नर ने यह भी बताया कि कुछ श्रमिक वहां एक साल, कुछ दो साल तो कुछ उससे भी ज्यादा समय से थे और उन्हें बिना बीएपीएस के किसी व्यक्ति को साथ लिए वहां से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी. बीएपीएस के सीईओ कनु पटेल को मामले में मुल्जिम बनाया गया है. उन्होंने न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार से कहा, “मैं आदरपूर्वक वेतन वाले दावे से असहमति व्यक्त करता हूं.”
संस्था के एक प्रवक्ता मैथ्यू फ्रैंकेल ने बताया कि “हम इन आरोपों को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और उठाए गए मुद्दों की गहराई से समीक्षा कर रहे हैं.” इटैलियन और भारतीय संगमरमर से बना यह मंदिर न्यूजर्सी की राजधानी ट्रेंटन के बाहर रोब्बिंसविल में स्थित है और 162 एकड़ में फैला हुआ है. मुकदमे में दावा किया गया है कि श्रमिक एक ऐसे परिसर में रहते थे जिसके चारों तरफ बाड़ लगी हुई थी.
सुरक्षाकर्मियों और कैमरों के जरिए उनकी गतिविधि पर नजर रखी जाती थी. उन्हें बताया गया था कि अगर वो वहां से निकले तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं थे. मुकदमे में यह भी कहा गया है कि पटेल और दूसरे लोग इन श्रमिकों निरीक्षण करते थे. मुकदमे में ना चुकाए हुए वेतन और अन्य मुआवजों की भी मांग की गई है. बीएपीएस हिंदू धर्म के तहत एक वैश्विक संप्रदाय होने का दावा करता है जिसकी स्थापना 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ही हुई थी.
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने ट्विटर पर लिखा है जिस स्वामीनारायण संप्रदाय BAPS के अमेरिका में बन रहे मंदिर में दलित मज़दूरों से ग़ुलामी कराने के केस की जाँच FBI कर रही है, उसकी स्थापना किसी भगवान ने नहीं, यूपी में जन्मे घनश्याम पांडे ने की थी। कोई SC, ST, OBC इस संस्था का प्रमुख नहीं बन सकता। ये चंदा और श्रम “दान” कर सकते हैं।
हिंदू सवर्णों ने अमेरिका में भारत का नाम ख़राब कर दिया है। भारत से दलित मज़दूरों को ले जाकर गुलामों की तरह एक मंदिर में काम कराया। पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया। लगभग मुफ़्त में काम कराया। डराया। धमकाया। FBI ने कल वहाँ छापा मारा है।