बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि आईपीएस पूरन कुमार की मौत के मामले में हरियाणा सरकार लीपापोती करने के बजाय गंभीरता से लेकर जांच कराए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को जारी अपने बयान में कहा कि हरियाणा में आईजी रैंक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वाई. पूरन कुमार द्वारा जातिवादी शोषण व प्रताड़ना के कारण की गई आत्महत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इससे दलित व बहुजन समाज के लोग उद्वेलित हैं।
सरकार की नीयत व नीति की बात
अधिकारी पुराण कुमार ने विगत मंगलवार को खुद को गोली मरकर आत्महत्या की थी। तत्पश्चात लखनऊ में आयोजित महारेली में मायावती मुख्या न्यायाधीश बीआर गवई अवमानना प्रकरण, और आय पी एस पूरन कुमार की आत्महत्या जैसे गंभीर और ज्वलंत विषयों पर अपना मत प्रदर्शित करेंगी यह उम्मीद लाखों लोग लगाए हुए थे. मगर कांशीरामजी के परिनिर्वाण पर आयोजित महारेली में काफी लोगों को उनके भाषण से निराशा हुयी. मगर आज मायावती ने पूरन कुमार आत्महत्या प्रकरण पर अपना मत व्यक्त करते हुए x पर बलिकः है कि आयपीएस पूरन कुमार घटना एक सभ्य सरकार के लिए शर्मनाक है। यह साबित करती है कि लाख दावों के बावजूद जातिवाद का दंश कितना अधिक शासन-प्रशासन में हावी है। सरकारें इसको रोक पाने में विफल साबित हो रही हैं। वैसे यह सब सरकार की नीयत व नीति की बात ज्यादा है। उन्होंने इस घटना की समयबद्ध स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच की मांग करने के साथ दोषियों को सख़्त सजा देने को कहा।
… .फिर भी जातिवाद पीछा नहीं छोड़ता
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट व केंद्र सरकार से भी इस घटना का संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। कहा कि ऐसी घटनाओं से उन लोगों को जरूर सीख लेनी चाहिए जो एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण को आर्थिक स्थिति से जोड़ कर क्रीमी लेयर की बात करते हैं, क्योंकि धन व पद पाने के बाद भी जातिवाद उनका पीछा नहीं छोड़ता है।
हरियाणा सरकार इस घटना को पूरी संवेदनशीलता एवं गंभीरता से ले तथा इसकी भी लीपापोती करने का प्रयास ना करे तो यह उचित होगा। जाँच के नाम पर खानापूर्ति भी नहीं होनी चाहिये, जैसा कि आरोप लगने शुरू हो गये हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट व केन्द्र सरकार भी इस घटना का उचित संज्ञान ले तो यह बेहतर। ऐसी घटनाओं से ख़ासकर उन लोगों को ज़रूर सीख लेनी चाहिये जो एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण को आर्थिक स्थिति से जोड़ कर क्रीमी लेयर की बात करते हैं, क्योंकि धन व पद पा लेने के बाद भी जातिवाद उनका पीछा नहीं छोड़ता है और हर स्तर पर जातिवादी शोषण, अत्याचार व उत्पीड़न लगातार जारी रहता है, जिसकी ताज़ा मिसाल हरियाणा की वर्तमान घटना है।