यूपी में २०२७ में होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा अपना गिरता हुआ ग्राफ बचा पाएगी या नहीं, ये तो आने वाला समय ही बताएगा. मगर, बसपा से छिटका दलित और पिछड़ा वोट बैंक फिर से इक्कठा करने के लिए हाथी ने नई चाल चलना शुरू कर दिया है. आइए समझते हैं…
लखनऊ: आम तौर से किसी घटना पर ट्वीट और प्रेस रिलीज जारी करने वाली बहुजन समाज पार्टी अब अलग-अलग जगहों पर प्रतिनिधिमंडल दल भेज रही है. खुद को जमीन से जुड़ा हुआ सबित करने के लिए बहुजन समाज पार्टी आमूल चूल बदलाव करती हुई नजर आ रही है. राजधानी के काकोरी में दलित व्यक्ति के साथ हुई तथाकथित घटना के बाद बहुजन समाज पार्टी कुछ ज्यादा ही आक्रामक नजर आ रही है.
आमतौर से बहुजन समाज पार्टी किसी दूसरी पार्टियों से बिल्कुल अलग नजर आती है. एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में काम करने वाली दूसरी सियासी पार्टियों में धरना प्रदर्शन और विभिन्न जगहों पर प्रतिनिधिमंडल भेजने की प्रथा चलती है. वहीं बहुजन समाज पार्टी में प्रेस रिलीज और X के माध्यम से अपनी बात रखे जाने की प्रथा चलती आ रही है. मगर, पिछले कुछ दिनों से बहुजन समाज पार्टी अपनी जमीनी राजनीति को तेजी से बदलती हुई नजर आ रही है. बहुजन समाज पार्टी को यह बात पता चल चुकी है कि जब तक वह आम जनता से कनेक्ट नहीं होगी तब तक सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा.
साल २०१२ से सत्ता से बाहर जाने के बाद से बहुजन समाज पार्टी सही से उत्तर प्रदेश में अभी तक प्रदर्शन नहीं कर पाई है. लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की सीटों की संख्या शून्य हो गई और विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाला एक ही व्यक्ति बचा. एक ऐसी पार्टी जो २००७ से लेकर २०१२ तक उत्तर प्रदेश में एब्सलूट मेजॉरिटी के साथ सत्ता में थी. अचानक उसके साथ इस तरह की घटना हो गई.
राजनीति के जानकार इस बात को साफ तौर से मानते हैं कि बहुजन समाज पार्टी आम जनता से कटने की वजह से उनको सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. अगर बहुजन समाज पार्टी अपने पुराने मॉडल पर काम करती तो अभी भी उसकी साख और उसके वोट बैंक और सीटों की संख्या बढ़ जाती. बहुजन समाज पार्टी तेजी से खुद को बदलती हुई नजर आ रही है.
वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय ने बताया, कहा जाता है की सियासत में जो खुद को नहीं बदलता है सियासत उसे ही बदल देती है. शायद ऐसा ही बहुजन समाज पार्टी के साथ वाक्या पेश आया है. अब पिछले कुछ महीनो से बहुजन समाज पार्टी न खुद को तेजी से बदल रही है बल्कि वह अपने प्रतिनिधिमंडल को भी जमीन पर भेज कर इस बात का एहसास करवाना चाहती है कि अब बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से सक्रिय है.