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एप्सटीन फाइल्स में सम्पूर्ण पारदर्शिता चाहती है मैरिकी जनता …ट्रंप से जुड़ी तस्वीरें 24 घंटे में हुईं डिलीट

एप्सटीन फाइल्स में सम्पूर्ण पारदर्शिता चाहती है मैरिकी जनता …ट्रंप से जुड़ी तस्वीरें 24 घंटे में हुईं डिलीट

अमेरिका में एप्सटीन जांच से जुड़े 16 दस्तावेज, जिनमें ट्रंप की तस्वीर भी थी, DOJ की वेबसाइट से अचानक हटा दिए गए. सरकार ने कोई सफाई नहीं दी. जारी फाइलों में FBI इंटरव्यू, चार्जिंग मेमो और कई ताकतवर नाम गायब हैं. इससे कवरअप और चुनिंदा खुलासों के आरोप तेज हो गए हैं.

अमेरिका में जेफ्री एप्सटीन केस एक बार फिर सियासी और कानूनी भूचाल का कारण बन गया है. अमेरिकी न्याय विभाग की वेबसाइट से एप्सटीन जांच से जुड़े कम से कम 16 अहम दस्तावेज अचानक गायब हो गए हैं. इनमें वह तस्वीर भी शामिल थी, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप, जेफ्री एप्सटीन, मेलानिया ट्रंप और एप्सटीन की करीबी सहयोगी घिस्लेन मैक्सवेल साथ नजर आ रहे थे. सबसे बड़ा सवाल यही है कि ये फाइलें क्यों हटाई गईं और सरकार ने जनता को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी. ये दस्तावेज शुक्रवार को सार्वजनिक किए गए थे, लेकिन 24 घंटे से भी कम समय में शनिवार तक वेबसाइट से गायब हो गए. ट्रंप से जब हाल ही में पूछा गया था कि उनकी तस्वीरें एप्सटीन के साथ हैं, तो इस पर उन्होंने कहा था कि एप्सटीन बहुत से लोगों को जानता था.

हटाई गई फाइलों में क्या था?
हटाई गई फाइलों में नग्न महिलाओं की पेंटिंग्स, दराजों और अलमारियों में रखी तस्वीरों की सीरीज और निजी फोटो कलेक्शन शामिल था. इन्हीं में से एक तस्वीर में दराज के भीतर ट्रंप की फोटो दिखाई दे रही थी. अमेरिकी न्याय विभाग ने न तो यह बताया कि फाइलें क्यों हटाई गईं और न ही यह स्पष्ट किया कि यह कदम जानबूझकर उठाया गया या गलती से. विभाग के प्रवक्ता ने मीडिया के सवालों का जवाब तक नहीं दिया. इस चुप्पी ने सोशल मीडिया, कांग्रेस और पीड़ितों के बीच गुस्से और शक को और गहरा कर दिया. हाउस ओवरसाइट कमेटी के डेमोक्रेट सांसदों ने एक्स पर सवाल उठाया कि अगर ट्रंप वाली तस्वीर हटाई जा सकती है, तो और क्या-क्या छिपाया गया है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी जनता को पूरी पारदर्शिता चाहिए, न कि चुनिंदा खुलासे.
दरअसल, यह विवाद सिर्फ फाइलों के हटने तक सीमित नहीं है. कांग्रेस के दबाव में हाल ही में जो हजारों पन्नों के दस्तावेज जारी किए गए, उनमें भी कई सबसे अहम रिकॉर्ड गायब हैं. इनमें FBI की ओर से पीड़ितों से लिए गए इंटरव्यू, न्याय विभाग के आंतरिक मेमो और यह जानकारी शामिल नहीं है कि एप्सटीन को 2008 में सिर्फ एक मामूली राज्य स्तरीय अपराध में दोषी क्यों ठहराया गया. इन फाइलों में ब्रिटेन के पूर्व प्रिंस एंड्रयू जैसे ताकतवर नामों का भी लगभग कोई जिक्र नहीं है. इससे यह सवाल उठ रहा है कि जांच की दिशा किसने तय की और किन लोगों को जांच के दायरे से बाहर रखा गया.

चौंकाने वाले खुलासे
हालांकि कुछ चौंकाने वाले तथ्य जरूर सामने आए हैं. इनमें 1996 की एक शिकायत शामिल है, जिसमें एप्सटीन पर बच्चों की तस्वीरें चुराने का आरोप लगाया गया था. इसके अलावा ग्रैंड जूरी की गवाही में FBI एजेंट्स ने बताया कि 14 साल तक की नाबालिग लड़कियों से पैसे देकर यौन शोषण कराया गया.

क्या ताकतवर लोगों को बचाया जा रहा है?
एक गवाही में 21 साल की महिला ने बताया कि जब वह 16 साल की थी, तब एप्सटीन ने उसे काम पर रखा और बाद में दूसरी लड़कियां लाने के लिए पैसे दिए. उसने कहा कि अगर लड़की नाबालिग होती थी तो उससे 18 साल बताने को कहा जाता था. हर लड़की लाने पर उसे 200 डॉलर दिए जाते थे. अब सवाल यह है कि क्या यह देरी, नामों पर कालिख और फाइलों का गायब होना सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है या फिर ताकतवर लोगों को बचाने की कोशिश. ट्रंप के रिपब्लिकन समर्थक जहां बिल क्लिंटन की तस्वीरों को उछाल रहे हैं, वहीं ट्रंप से जुड़ी चीजें बेहद सीमित रखी गई है.

क्या कहता है न्याय विभाग ?
न्याय विभाग का कहना है कि पीड़ितों की पहचान बचाने के लिए दस्तावेज धीरे-धीरे जारी किए जाएंगे, लेकिन पीड़ितों और सांसदों का आरोप है कि यह पारदर्शिता नहीं, बल्कि समय लेने की रणनीति है. एप्सटीन की एक पीड़िता मरीना लासेर्दा ने कहा कि एक बार फिर अमेरिकी न्याय व्यवस्था उन्हें निराश कर रही है. 2019 में जेल में एप्सटीन की मौत को आत्महत्या बताया गया था, लेकिन उसके बाद से ही यह मामला साजिश, कवरअप और सत्ता के दुरुपयोग का प्रतीक बन चुका है. अब फाइलों का गायब होना इस शक को और मजबूत करता है कि एप्सटीन केस में पूरी सच्चाई अब भी परदे के पीछे है.

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