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धर्म शक्ति का साधन नहीं बल्कि सार्वभौमिक मानवता का लक्ष्य डॉ.रत्नशील खोब्रागडे

धर्म शक्ति का साधन नहीं बल्कि सार्वभौमिक मानवता का लक्ष्य डॉ.रत्नशील खोब्रागडे

वर्त्तमान में धर्म के प्रचलन को देखते हुए यह प्रश्न उठता है कि क्या धर्म शक्ति प्रदर्शन का साधन है ? किसी एक धर्म का अभ्यास करने का अर्थ दूसरों पर दबाव डालना या अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करना नहीं हो सकता। मगर वर्त्तमान में जिस तरह धर्म का उपयोग किसी एक समाज का वर्चस्व साबित करने में हो रहा है उससे देश में गलत सन्देश जाकर एक असंतोष का वातावरण निर्माण हो रहा है।

अमरावती : धम्म चक्र प्रवर्तन दिन के उपलक्ष्य में आयोजित अमरावती विश्वविद्यालय के डॉ.बाबासाहब आंबेडकर विचारधारा विभाग की और से डॉ.आंबेडकर के विचार और आज का यथार्थ इस विषय पर चर्चासत्र का आयोजन किया गया था. वर्त्तमान में धर्म के प्रचलन को देखते हुए यह प्रश्न उठता है कि क्या धर्म शक्ति प्रदर्शन का साधन है ? किसी एक धर्म का अभ्यास करने का अर्थ दूसरों पर दबाव डालना या अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करना नहीं हो सकता। मगर वर्त्तमान में जिस तरह धर्म का उपयोग किसी एक समाज का वर्चस्व साबित करने में हो रहा है उससे देश में गलत सन्देश जाकर एक असंतोष का वातावरण निर्माण हो रहा है। धर्म शक्ति का साधन नहीं बल्कि सार्वभौमिक मानवता का लक्ष्य होना चाहिए। इस आशय का प्रतिपादन अमरावती विश्वविद्यालय के डॉ.बाबासाहब आंबेडकर समन्वयक डॉ. रत्नशील खोब्रागडे ने किया. धम्म चक्र प्रवर्तन दिन के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में वह अपने अध्यक्षीय भाषण में बोल रहे थे.

सीनेट सदस्य डॉ,रविंद्र मुन्द्रे ने अपने भाषण में कहा कि दुनिया का अस्तित्व केवल महासागर, पर्वत, नदियों तक सिमित नहीं अपितु पृथ्वी पर रहने वाला प्रत्येक जीव,मानवी समूह और उसकी संवेदनाएं ,उसके विचार और अन्य प्राणियों के साथ व्यवहार ,सब मायने रखता है. दुनिया में दुःख है, दुःख का कारण है, और उसका उपाय भी है, बुद्ध की यह सीख उसे अन्य धर्मो से अलग करती है .आज जहाँ धर्म राजनीती से जुड़ गया है और राजनीती धर्म के नाम पर चलने लगी है ऐसे समय में मनुष्य का मनुष्य के साथ नाता टूट रहा है. इस बात को गंभीरता से लेते हुए हमें मनुष्यता के भलाई के लिए कदम उठाने चाहिए जो केवल विशुद्ध बुद्धा धम्म के पालन से ही मुमकिन हो पायेगा.

मंच पर सीनेट सदस्य डॉ.रविंद्र मुन्द्रे ,डॉ.वामन गवई,डॉ.भीमराव वाघमारे, डॉ.पवन तायड़े ,प्रो.सुरेश पवार,प्रो.असित गुर्जर,प्रो.तेजस गुर्जर, प्रो.दादाराव मुटकुरे, अध्ययन मंडल के अध्यक्ष्य बी. एल। वानखेड़े ,उपाध्यक्ष्य संजय घरड़े उपस्थित थे। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने भी इस समय अपने विचार व्यक्त किये. तथा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए डॉ.आंबेडकर विचारधारा विभाग के विद्यार्थियों का सहयोग रहा ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी है.

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