Awaaz India Tv

H1-B वीजा के लिए आज से 88 लाख वसूलेगा अमेरिका….

H1-B वीजा के लिए आज से 88 लाख वसूलेगा अमेरिका….

नई दिल्ली: अमेरिका ने H1-B वीजा के लिए शुल्क 6 लाख से बढ़ाकर 88 लाख रुपये कर दी है. ट्रंप प्रशासन के इस कदम के बाद लोगों में असमंजस्य पैदा हो गया हैं. ये नई फीस 21 सितंबर यानी आज से लागू होने जा रही है. ट्रंप प्रशासन के इस कदम से सबसे ज्यादा भारतीयों के प्रभावित होने की आशंका हैं, क्योंकि करीब 70 फीसद H1-B वीजा से जाने वाले भारतीय पेशेवर ही हैं. ट्रंप सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले पर चल रहे कन्फ्यूजन दूर किया है.

किसे नहीं देनी होगी नई फीस?
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरोलीन लीविट ने बताया कि 1 लाख डॉलर फीस सिर्फ नए वीजा धारकों के लिए है, मौजूदा वीजा होल्डर्स को यह फीस नहीं देनी है. जो लोग भारत से जल्दबाजी में अमेरिका जा रहे हैं, उन्हें रविवार से पहले वहां पहुंचने या 1 लाख डॉलर फीस देने की जरूरत नहीं है.
इसके अलावा अगर कोई कंपनी या उसका वर्कर अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक हित या सार्वजनिक भलाई से जुड़ा है तो गृह सुरक्षा सचिव उसे शुल्क से छूट दे सकते हैं.

किसे देनी होगी नई फीसद?
अगर कोई कंपनी अमेरिका के बाहर से किसी वर्कर को H-1B वीजा पर बुलाना चाहती है, तो उसे पहले 88 लाख की भारी फीस देने होगी. यह नियम वीजा धारकों के लिए नहीं, बल्कि उन्हें नौकरी देने वाली कंपनियों के लिए है.

भारत के उच्चशिक्षितों पर पड़ेगा असर
H-1B वीजा से अमेरिका जाने वाले कर्मचारी करीब 70 फीसद भारतीय है. हालांकि इसमें ध्यान देने वाली बात है कि जब कंपनियों की बाहर से बुलाने वाले कर्मचारियों लागत बढ़ जाएगी, तो वह भारत जैसे देशों से न्युक्तियां करना कम कर देंगे और अमेरिकी नागरिको को ही प्राथमिकता देंगे. जिसकी वजह से भारत में बेरोजगारी दर बढ़ सकती है.

किसको दिया जाता है H-1B वीजा?
H-1B वीजा एक तरह का वर्कर वीजा है. H-1B वीजा अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों (जैसे वैज्ञानिक, इंजीनियर, कंप्यूटर प्रोग्रामर) को काम पर रखने की अनुमति देता है. इसकी अवधि 3 साल की होती है, जिसे 6 साल तक बढ़ाया जा सकता है.


अमेरिकन फर्स्ट की निति पर काम शुरू, ट्रंप का कहना है हाई स्किल वाले वर्कर पाएंगे जा अमेरिका

मानिए कि आपको किसी मल्टीनेशनल कंपनी से जॉब का ऑफर लेटर मिला है. आप H-1B वीजा के सहारे अमेरिका में नई जिंदगी शुरू करने की उम्मीद लगा रहे हैं. लेकिन तभी खबर आती है कि इस वीजा के लिए कंपनी को अब 1 लाख डॉलर यानी लगभग 88 लाख रुपये चुकाने होंगे. यह बदलाव पूरे भारतीय IT सेक्टर के लिए बड़ा झटका है. टीसीएस से लेकर इंफोसिस और विप्रो जैसी दिग्गज कंपनियों तक, सभी को अपनी स्ट्रैटेजी बदलनी होगी. छोटे स्टार्टअप्स और नए प्रोफेशनल्स के लिए यह रास्ता लगभग बंद जैसा हो सकता है.डोनाल्ड ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के समय से ही अमेरिका फर्स्ट की नीति पर काम कर रहे हैं. ट्रंप का कहना है कि H-1B वीजा का मकसद अमेरिका में हाई स्किल वाले वर्कर को लाना था, लेकिन इसका दुरुपयोग हुआ है.कंपनियों ने इस वीजा का इस्तेमाल कम सैलरी पर विदेशी पेशेवरों को लाकर अमेरिकी नागरिकों की जगह उन्हें नौकरी दी है. ट्रंप का मानना है कि नए नियमों से अमेरिकी लोगों की नौकरी खतरे में नहीं पड़ेगी और सिर्फ हाई स्किल को ही अमेरिका आने का मौका मिलेगा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *