प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा भारत-भूटान संबंधों में नया अध्याय बनी। उन्होंने भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक और मौजूदा राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक से मुलाकात की। दोनों देशों ने ऊर्जा, रक्षा और तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
थिंपू: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान की राजकीय यात्रा भारत-भूटान रिश्तों में एक नया मील का पत्थर साबित हुई है। इस दौरान उन्होंने भूटान के चौथे राजा द्रुक ग्याल्पो जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से मुलाकात की। यह यात्रा भूटान के चौथे राजा (जिन्हें प्यार से K4 कहा जाता है) के 70वें जन्मदिन के जश्न के साथ जुड़ी थी। पीएम मोदी को गर्मजोशी भरा स्वागत मिला और सांस्कृतिक उत्सवों ने दोनों देशों की गहरी दोस्ती को और मजबूत किया।
रणनीतिक बातचीत और सहयोग के नए रास्ते
राजधानी थिंपू में पीएम मोदी ने भूटान के मौजूदा राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक के साथ विस्तृत चर्चा की। दोनों पक्षों ने ऊर्जा, क्षमता निर्माण, कनेक्टिविटी, रक्षा और तकनीक जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत भूटान के विकास सफर में हमेशा साथ खड़ा है और हमें अपने पड़ोसी व करीबी दोस्त के तौर पर इस साझेदारी पर गर्व है। इस दौरान क्षेत्रीय व वैश्विक चुनौतियों पर भी बात हुई और स्थिरता व सहयोग के साझा विजन को दोहराया गया।
आध्यात्मिक व सांस्कृतिक रिश्ते की मिसाल
यात्रा का खास पल रहा भारत से लाए गए भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का भव्य स्वागत। यह अवसर ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल और चौथे राजा के जन्मदिन से जुड़ा था। पीएम मोदी ने कहा कि इन अवशेषों को जिस आदर व श्रद्धा से स्वीकार किया गया, वह भारत-भूटान के लोगों के बीच गहरे आध्यात्मिक व सांस्कृतिक बंधन को दर्शाता है। यह बंधन साझा बौद्ध विरासत और शांति-समन्वय के मूल्यों पर टिका है।
हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का संयुक्त उद्घाटन
यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि रही 1020 मेगावाट के पुनात्सांगचू-II जलविद्युत परियोजना का पीएम मोदी और राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक द्वारा संयुक्त उद्घाटन। इसे दोनों देशों की दोस्ती का स्थायी प्रतीक बताया गया। ऊर्जा सहयोग भारत-भूटान साझेदारी का सबसे अहम हिस्सा है। इस मौके पर नवीकरणीय ऊर्जा व स्वास्थ्य क्षेत्र में कई समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए। भूटान के विकास के लिए नई क्रेडिट लाइन की भी घोषणा की गई।


