महाराष्ट्र के मेलघाट में कुपोषण से 65 नवजात बच्चों की मौत पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई.कोर्ट ने कहा, “यह भयावह है, सरकार को चिंतित होना चाहिए.” कोर्ट ने स्वास्थ्य, आदिवासी, महिला-बाल और वित्त विभाग के चार प्रधान सचिवों को 24 नवंबर को पेश होने का आदेश दिया.
मुंबई:महाराष्ट्र के मेलघाट इलाके में कुपोषण से 65 नवजात बच्चों की मौत पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने सरकार के “बेहद लापरवाह रवैये” पर सवाल उठाते हुए कहा कि “यह भयावह स्थिति है, सरकार को चिंतित होना चाहिए”. कोर्ट ने चार विभागों के प्रधान सचिवों को तलब करते हुए पूछा, “आपकी चिंता आखिर कहां है?”
जस्टिस रेवती मोहिटे डेरे और संदेश पाटिल की खंडपीठ ने कहा कि जून 2025 से अब तक मेलघाट में शून्य से छह महीने की उम्र के 65 शिशुओं की मौत हो चुकी है. अदालत ने इस स्थिति को “हॉरिफिक (भयावह)” बताया और कहा कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर विफलता को दिखाता है. बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा, “यह बताता है कि सरकार का रवैया कितना गंभीर है. आपका नजरिया बेहद कैज़ुअल (लापरवाह) है. यह बेहद दुखद स्थिति है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे विषय को इतनी हल्के में लिया जा रहा है.”
चार विभागों के सचिवों को 24 नवंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश
हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य, आदिवासी विकास, महिला एवं बाल विकास, और वित्त विभाग के प्रधान सचिवों को 24 नवंबर को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है. अदालत ने चारों विभागों से इस संबंध में शपथपत्र (अफिडेविट) दायर करने को भी कहा है. इसमें अब तक उठाए गए कदमों का विवरण देना होगा.
डॉक्टरों को प्रोत्साहन देने और जवाबदेही तय करने की सलाह
बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि मेलघाट जैसे दुर्गम और आदिवासी इलाकों में तैनात डॉक्टरों को अधिक वेतन दिया जाना चाहिए ताकि उन्हें वहां काम करने की प्रेरणा मिले. न्यायालय ने कहा, “कुछ जवाबदेही तय करनी होगी. ऐसी जगहों पर काम करने के लिए डॉक्टरों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, वरना हालात कभी नहीं सुधरेंगे.”


