उत्तर प्रदेश में आज से विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान शुरू हुआ. BLO घर-घर जाकर मतदाताओं से गणना फॉर्म भरवाएंगे. यह प्रक्रिया ७ फरवरी २०२६ को समाप्त होगी. अभियान में ५१ करोड़ मतदाताओं को कवर किया जाएगा. फॉर्म में व्यक्तिगत जानकारी, पता, फोटो आदि भरनी होगी.
लखनऊ. चुनाव आयोग ने बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश समेत नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) अभियान मंगलवार से शुरू कर दिया है. इस चरण में बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं से गणना फॉर्म भरवाएंगे, जिससे फर्जी या पुरानी एंट्रीज हटाई जा सकें और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ा जा सके. प्रक्रिया ७ फरवरी २०२६ को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ समाप्त होगी. बिहार के बाद यह SIR का दूसरा बड़ा चरण है, जहां सुप्रीम कोर्ट में भी इसकी वैधता पर सुनवाई चल रही है.
चुनाव आयोग के अनुसार, यह अभियान लगभग ५१ करोड़ मतदाताओं को कवर करेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश के करीब १५ करोड़ मतदाता शामिल हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “SIR एक जन-केंद्रित अभियान है, जो लोकतंत्र की मजबूती सुनिश्चित करेगा. BLO हर घर में कम से कम तीन बार जाएंगे, ताकि कोई मतदाता छूट न जाए.” यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा ने बताया कि २८ अक्टूबर से ३ नवंबर तक निर्वाचन रिटर्निंग अधिकारी (ERO) ने मौजूदा मतदाताओं के लिए पूर्व-भरे हुए गणना फॉर्म छापे हैं, जो BLO आज से वितरित करेंगे.
SIR प्रक्रिया के चरण
SIR का यह चरण चार मुख्य स्टेज में होगा. जिसके तहत BLO हर मतदान केंद्र के लगभग १ हजार मतदाताओं के घर जाएंगे. वे पूर्व-भरा हुआ फॉर्म देंगे, जिसमें नाम, EPIC नंबर, पता, विधानसभा क्षेत्र, पार्ट नंबर, सीरियल नंबर और मौजूदा फोटो पहले से अंकित होगा. यदि BLO न आएं, तो मतदाता १९५० हेल्पलाइन पर संपर्क कर अपना फॉर्म मंगवा सकते हैं या voters.eci.gov.in पर BLO का संपर्क देख सकते हैं. सभी फॉर्म जमा होने के बाद ERO और सहायक ERO सत्यापन करेंगे. ड्राफ्ट सूची में केवल वे नाम शामिल होंगे, जिन्होंने फॉर्म भरा. जिनका नाम न हो, उनके लिए पंचायत भवन या स्थानीय निकाय कार्यालय पर सूची चस्पा की जाएगी, जिसमें नाम न आने का कारण भी बताया जाएगा. मतदाता फॉर्म ७ (नाम हटाने), फॉर्म ८ (सुधार) या फॉर्म ६ (नया पंजीकरण) भरकर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं. शहरी और प्रवासी मतदाता ऑनलाइन पोर्टल के जरिए भी आवेदन कर सकेंगे. राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (BLA) प्रतिदिन 50 फॉर्म तक BLO को जमा कर सकेंगे. सभी दावों-आपत्तियों के निपटारे के बाद फाइनल सूची जारी होगी, जो २०२७ के यूपी विधानसभा चुनावों का आधार बनेगी.
गणना फॉर्म के लिए आवश्यक जानकारी
गणना फॉर्म सरल है, लेकिन सटीकता जरूरी है. पूर्व-भरा फॉर्म मिलने पर मतदाता निम्नलिखित विवरण अपडेट या सत्यापित करेंगे:
व्यक्तिगत जानकारी: पूरा नाम, जन्म तिथि, लिंग, माता-पिता का नाम, वैवाहिक स्थिति.
पिछले SIR (2003) से लिंक: यदि नाम २००३ की मतदाता सूची में है, तो उसका EPIC नंबर, पार्ट और सीरियल नंबर भरें. यदि नहीं मिले, तो माता-पिता या निकट संबंधी का विवरण दें. यह सत्यापन के लिए अनिवार्य है.
वर्तमान पता और फोटो: यदि पता बदला हो, तो नया पता साफ लिखें. नई पासपोर्ट साइज फोटो चिपका सकते हैं.
दस्तावेज प्रमाण: पहचान के लिए आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी, राशन कार्ड, बैंक पासबुक आदि में से कोई एक. नागरिकता प्रमाण के लिए जन्म प्रमाणपत्र या स्कूल सर्टिफिकेट. नए मतदाताओं के लिए फॉर्म 6 के साथ घोषणा पत्र.
विशेष सहायता: बुजुर्ग, दिव्यांग या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए BLO या वॉलंटियर मदद करेंगे. फॉर्म में अभिभावक/रिश्तेदार के हस्ताक्षर की कॉलम भी जोड़ी गई है, जिसे BLO काउंटर-साइन करेंगे. यदि फॉर्म न भरा जाए, तो नाम ड्राफ्ट सूची से कट सकता है. BLO पड़ोसियों से भी सत्यापन करेंगे, जैसे मृत्यु या स्थानांतरण की स्थिति में.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और चुनौतियां
उत्तर प्रदेश में SIR को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘SIR PDA प्रहरी’ अभियान शुरू किया है, जिसमें वरिष्ठ कार्यकर्ता पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं के नाम बचाने की निगरानी करेंगे. उन्होंने कहा, “हर वोट की रक्षा करना लोकतंत्र बचाना है.” कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने भी आशंका जताई कि यह अभियान सत्ताधारी भाजपा के पक्ष में वास्तविक मतदाताओं के नाम काटने का हथकंडा हो सकता है. वहीं, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने समर्थन देते हुए कहा, “चुनाव आयोग का यह कदम सराहनीय है. केवल योग्य मतदाता ही सूची में रहें.” बिहार SIR में ६८ लाख नाम हटे और २१ लाख नए जुड़े थे, जिससे यूपी में भी इसी पैमाने की उम्मीद है. आयोग ने प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर BLOs को तैयार किया है, जिसमें ECINet ऐप के जरिए डिजिटल सत्यापन पर जोर दिया गया.


