बिहार विधानसभा चुनाव २०२५ के टिकट बंटवारे में तेजस्वी यादव ने यादव और मुस्लिमों पर भरोसा बनाए रखते हुए सवर्ण, कुशवाहा और दलितों और महिलाओं को भी अच्छी खासी संख्या में टिकट बांटे हैं. आरजेडी के प्रत्याशियों की लिस्ट देखकर ऐसा लग रहा है कि तेजस्वी यादव ने प्रत्याशियों के चयन में ए टू जेड के फॉर्मूले को धरातल पर उतारने की कोशिश की है.
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव २०२५ में आरजेडी के प्रत्याशियों की लिस्ट में तेजस्वी यादव की झलक दिखती है. पिता लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी की कमान लेने के बाद से तेजस्वी यादव पार्टी में वोटबैंक के स्तर पर बड़ा बदलाव करने की कोशिश में हैं. लालू-राबड़ी ने अपने दौर में जहां मुस्लिम और यादवों को अपने साथ जोड़ा वहीं, तेजस्वी यादव इस दायरे को मेंटेन करते हुए समाज के कुछ और लोगों का वोटबैंक जोड़ना चाहते हैं. २०१९,२०२४ के लोकसभा चुनाव और २०२० के विधानसभा चुनाव के अनुभव से तेजस्वी समझ चुके हैं कि केवल यादव और मुस्लिम वोटों के दम पर सत्ता में काबिज नहीं हो सकते हैं. इसलिए तेजस्वी यादव कभी ए टू जेड तो कभी बहुजन , सवर्ण,महिलाएं, गरीब वर्ग.का नारा देते नज़र आते हैं.
२०२५ के विधानसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में तेजस्वी यादव की चली तो उन्होंने ए टू जेड और ‘BAAP’ अर्थात एससी एसटी फॉर्मूले को धरातल पर उतारने की कोशिश की है.
५२ यादव और १८ मुस्लिमों को टिकट के जरिए MY पर फोकस
विधानसभा चुनाव में राजद ने अपने १४३ उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. लिस्ट से साफ है कि पार्टी ने इस बार भी अपने परंपरागत यादव–मुस्लिम वोट बैंक पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया है. राजद ने ५२ यादव उम्मीदवार और १८ मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. पिछली बार भी पार्टी ने १८ मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जिनमें से ८ ने जीत दर्ज की थी. इस तरह देखें तो १४३ में से ७० सीटों पर यादव–मुस्लिम उम्मीदवार उतारे गए हैं- यानी करीब आधी सीटों पर कोर वोट बैंक का दांव.
आरजेडी ने अपनी लिस्ट में १६ अगड़ी जाति के उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है, जिनमें ७ राजपूत, ६ भूमिहार और ३ ब्राह्मण शामिल हैं. शिवानी शुक्ला, राहुल शर्मा और वीणा देवी जैसे नामों के जरिए पार्टी भूमिहार समुदाय को साधने की कोशिश में है. पिछली बार महागठबंधन को भूमिहारों से सबसे ज्यादा समर्थन मिला था, इसलिए पार्टी इस भरोसे को दोहराना चाहती है. इसके अलावा तेजस्वी यादव ने २४ महिलाओं को भी टिकट दिया है.
कुशवाहा वोटरों पर नजर
आरजेडी ने इस बार कुशवाहा समाज को भी साधने की कोशिश की है. पार्टी ने १३ कुशवाहा उम्मीदवारों को टिकट दिया है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव २०२४ में कुशवाहा वोटरों के एक हिस्से ने इंडिया गठबंधन को समर्थन दिया था,राजद को उम्मीद है कि एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी और सीटों को लेकर असहमति का असर इस बार गठबंधन के वोट बैंक पर पड़ेगा. ऐसे में आरजेडी का यह दांव राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है.
अति पिछड़ों को साधने की रणनीति
यादव और कुशवाहा के साथ-साथ पार्टी ने इस बार २१ उम्मीदवार अति पिछड़ी जातियों से उतारे हैं. इनमें बीमा भारती, अजय डांगी, अनीता देवी, भरत भूषण मंडल, अरविंद सहनी, देव चौरसिया और विपिन नोनिया जैसे नाम शामिल हैं. आरजेडी ने हाल ही में मंगनीलाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भी संदेश दिया कि पार्टी अब अत्यंत पिछड़ों के ३६ % वोट बैंक को अपने साथ जोड़ना चाहती है. यह बिहार की राजनीति में एक नई सामाजिक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.
रिजर्व सीटों पर भी मजबूत दावेदारी
आरजेडी ने इस बार २१ सुरक्षित सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें २० अनुसूचित जाति और १ अनुसूचित जनजाति की सीट शामिल है. अनुसूचित जाति वर्ग में रविदास, पासवान और पासी समुदायों को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया है. माना जा रहा है कि शराबबंदी कानून के बाद पासी वर्ग में एनडीए के प्रति नाराजगी है और आरजेडी ने टिकट बंटवारे में इस पहलू को ध्यान में रखा है.
समझें आरजेडी का संतुलन साधने वाला फॉर्मूला
नॉमिनेशन के आखिरी दिन जारी लिस्ट से यह साफ है कि आरजेडी ने इस बार न सिर्फ अपने कोर वोट बैंक को मजबूत रखने की कोशिश की है, बल्कि नए सामाजिक समीकरणों को भी साधने का प्रयास किया है. अब देखना होगा कि यह जातीय और राजनीतिक संतुलन का फॉर्मूला मैदान में कितना कारगर साबित होता है, इसका फैसला तो नतीजे ही बताएंगे.