महाराष्ट्र के मराठवाड़ा , पश्चिमी महाराष्ट्र और विदर्भ कभी बाढ़ तो कभी सूखे का शिकार हो रहे हैं. हाल ही की अतिवृष्टि ने फसलो , घरों और पशुधन को नष्ट कर दिया है। सरकारी निष्क्रियता और नौकरशाही ने किसानों का संकट और बढ़ा दिया है .
महाराष्ट्र: कई जिलों में पिछले कुछ दिनों लगातार भारी बारिश हो रही है. सबसे बुरा हाल मराठवाड़ा क्षेत्र का है. यहां बारिश की वजह से पिछले २४ घंटों में करीब १० लोगों की मौत हो चुकी है. इस दौरान करीब ११,८०० लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. सरकार की ओर से राहत बचाव कार्य जारी है.ऐसा सरकार का कहना है . मगर बीते दस साल में पांच हजार से ज्यादा किसानों की आत्महत्या देख चुके इन इलाकों में अब इस आसमानी आफत औऱ सुल्तानी कहर के बाद और भी खबरें आने लगी है. कुछ ऐसे गांव है जो लगातार पानी में डूबे हुये हैं और खाने के नाम पर बस कच्चे अनाज के दाने ही बचे हैं. हम इसे आसमानी आफत और सुल्तानी कहर इसलिए कह रहे हैं कि आसमान से बारिश इतनी बरसी की जो बीते सौ साल में भी नही हुयी .. जिस मराठवाडा और विदर्भ में तीन सौ मिलीलीटर पानी भी पूरी बरसात में नहीं बरसता था वहां इस बार तीन दिन में एक से डेढ हजार मिलीलीटर पानी बरस गया . क्या खेत क्या खलिहान क्या चूल्हा और क्या गौठान सब जगह पानी भर गया .अब तक करीब चालीस लोगों की जान चुकी है . लेकिन पशुओं के मारे जाने की संख्या तो हजारों में हैं .
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की.
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को बाढ़ की स्थिति की विस्तृत समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को मराठवाड़ा क्षेत्र में जारी भारी बारिश के बीच नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए. बताया जा रहा है कि इस बैठक में राज्य के छत्रपति संभाजीनगर, बीड, हिंगोली, जालना, लातूर, नांदेड़, धाराशिव, परभणी और सोलापुर जिलों के कलेक्टर भी शामिल हुए.

इन जिलों की हालत ज्यादा खराब
मीडिया रिपोर्टस मुताबिक, मराठवाड़ा छत्रपति संभाजीनगर और नांदेड़ जिलों में स्थिति गंभीर बनी हुई है. इन जिलों में अभी भी भारी बारिश का क्रम जारी है. वहीं जयकवाड़ी बांध से पानी छोड़े जाने के कारण गोदावरी नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद छत्रपति संभाजीनगर और नांदेड़ जिलों के कई इलाकों में बाढ़ आ गई है. पानी भरने के कारण निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.

सरकार कह रही है कि अभी 8 हजार रुपये प्रति किसान मुआवजा देंगे लेकिन बाद में इसे और भी देंगे. कितना ये किसी को पता नहीं . सरकार ने तो फसल बीमा से नुकसान का पैरामीटर ही बदल दिया पहले ये तीन हेक्टेयर तक 13 हजार रुपये तक था जिससे किसान को कम से इतना मिल जाता कि अगली फसल खरीद लेता लेकिन अब इसे घटाकर दो हेक्टेयर और प्रति हेक्टेयर आठ हजार कर दिया गया है. फसल बीमा में भी नुकसान का आंकलन फसल की कटाई के बाद कम हुए उत्पादन पर होता है लेकिन जब फसल ही नहीं होने वाली तो नुकसान का आकलन कैसे होगा..
मराठवाड़ा में 20 सितंबर से हो रही बारिश
बताया जा रहा है कि 20 सितंबर से लगातार हो रही बारिश के कारण मराठवाड़ा क्षेत्र बाढ़ की चपेट में है, जिससे हजारों हेक्टेयर जमीन पर फसलों, घरों और सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है. कई गांवों का संपर्क टूट गया है और निचली सड़कें और पुल डूब गए हैं. भारी बारिश की वजह मराठवाड़ा क्षेत्र को बहुत नुकसान हुआ है.

महंगाई बढ़ेगी.
इस इलाके में सोयाबीन और कपास के साथ साथ गन्ना और प्याज की फसल भी बड़े पैमाने पर होत है. संतरा अनार और बाकी फल भी लगाये जाते हैं लेकिन इस बार फसल पर ऐसा पानी फिरा है कि अगली फसल अब अप्रैल मे ही आयेगी यानी एक फसल का नुकसान होगा जिसके चलते अगले महीने से ही दामों में आग लग सकती है. मसलन प्याज की बात करें अभी प्याज के दाम 25 रुपये कितो तक ही है और थोक में दाम 1500 रुपये क्विंटल तक ही है .इसलिए कि लोग नयी फसल आने से पहले पुराना स्टाक निकालते हैं और नयी फसल अक्टूबर के बीच तक आना शुरु हो जाती है लेकिन बारिश के कारण बड़ी मात्रा में पुराना स्टाक भीगकर खराब हो गया और अब नया स्टाक आने वाला नहीं है जाहिर है सप्लाई कम होगी तो महंगाई बढ़ेगी.