बहुजन समाज पार्टी के वोट काटने के लिए तरह-तरह से राजनैतिक दल प्रयास करते रहते है. केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने यूपी चुनाव से पहले बसपा के वोट काटने के लिए प्रयास शुरू कर दिए है. सच तो यह है की आठवले की पार्टी देश में कही भी जनाधार नहीं है, लेकिन फिर भी वो अपने अनर्गल बयानों से खुद को लाइमलाइट में रखने की कोशिश करते रहते है.
रामदास आठवले ने दलित, अल्पसंख्यक और बहुजनों से मायावती की बसपा का साथ जोड़कर आरपीआई का समर्थन करने की अपील की है. आठवले की पार्टी ने 2017 का चुनाव अकेले लड़ा था लेकिन कोई जीत नहीं पाया था. तब आठवले ने कहा था कि उनके कैंडिडेट बीएसपी का वोट काटकर बीजेपी की मदद करेंगे.
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, केंद्र और राज्य में सरकार चला रही बीजेपी के अंदर और एनडीए में उसके सहयोगी दलों के नेता प्रेशर पॉलिटिक्स का खुला खेल खेलने लगे हैं. अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री तथा RPI आठवले के नेता रामदास आठवले ने एक ट्वीट किया है कि लोग मायावती की बहुजन समाज पार्टी को बाय-बाय करके आरपीआई ज्वाइन करें.
आठवले ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्वीटर पर लिखा है- “बीएसपी को करो बाय बाय. जॉईन करो आरपीआय. ओ मेरे भाय. सबकी है आरपीआय. दलित, अल्पसंख्यांक, बहुजनांना आता एकच पर्याय, फक्त आरपीआय! आरपीआय ! ” आठवले ने 2017 के विधानसभा चुनाव में केंद्र में एनडीए का पार्टनर और मोदी सरकार का मंत्री रहते हुए यूपी में कई सीटों पर आरपीआई कैंडिडेट उतारे थे. हालांकि तब खुद आठवले ने कहा था- “आरपीआई को दलितों का समर्थन है. अगर मेरे उम्मीदवार बीएसपी का वोट काटते हैं तो इससे बीजेपी को फायदा होगा.” आठवले ने यूपी चुनाव लड़ने पर सफाई दी थी कि उनके लड़ने से बीजेपी को फायदा होगा क्योंकि उनकी पार्टी दलितों का वोट काटेगी तो मायावती की बसपा को नुकसान होगा.