भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं, जिनमें महिलाओं की अश्लील तस्वीरें खींचना या फिल्माना भी शामिल है. यह अपराध सिर्फ पुरुषों द्वारा नहीं, बल्कि यदि कोई महिला ही किसी अन्य महिला की निजी तस्वीरें खींचती है तो उसे भी कठोर सजा का सामना करना पड़ सकता है.
नई दिल्ली. भारत में 1 जुलाई, 2024 से भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं की गरिमा और निजता की सुरक्षा के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. खासकर महिलाओं की निजता जैसे कपड़े पहनना, चलने का वीडियो, सोने या बैठने के समय चुराकर या छिपकर फोटो खींचना अब अपराध माना गया है. नए बीएनएस कानून में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो पहले के आईपीसी एक्ट में नहीं थे. नए कानून का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि यदि कोई महिला किसी अन्य महिला की निजी या अश्लील तस्वीरें खींचती है या वीडियो बनाती है, तो उसे भी कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है. पहले केवल पुरुषों के लिए इस तरह के काम करने पर दंड का प्रावधान था.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 73, जो कि पुराने आईपीसी की धारा 354 ग का स्थान लेगी में ‘दृश्य ग्रहण’ या अश्लील चित्रण से संबंधित है. यह धारा स्पष्ट रूप से किसी भी व्यक्ति को अपराधी मानती है. पहला, जो शख्स किसी महिला का कोई ‘निजी कार्य’ करते समय उसका फोटो या वीडियो शूट करता है, जहां उसे अकेले होने की उम्मीद थी या उसे निजता का अधिकार था. दूसरा, वह फोटो या वीडियो को किसी भी माध्यम से फैलाता है या प्रकाशित करता है.
महिला ही महिला का अश्लील फोटो खींच ले तो क्या होगा?
बीएनएस की धारा 73 में अपराधी का लिंग महत्वपूर्ण नहीं होता है. मतलब अगर महिला ही महिला का अश्लील फोटो खींच ले या फिर किसी पुरुष द्वारा किसी महिला का अश्लील फोटो खींचा जाता है. इस धारा में यह तय नहीं किया गया है कि अपराधी केवल पुरुष ही होना चाहिए. कानून की भाषा में ‘कोई व्यक्ति’ शामिल है, जिसका मतलब है कि यदि कोई महिला दूसरे महिला की अश्लील या निजी तस्वीरें खींचती है, तो वह भी धारा 73 के तहत पूरी तरह से अपराधी मानी जाएगी. अक्सर यह अपराध पारिवारिक कलह, प्रतिशोध या ब्लैकमेलिंग के चलते होता है.
धारा 73 के तहत सजा का प्रावधान
बीएएनस की धारा 73 के तहत सजा को अपराध की गंभीरता के आधार पर दो भागों में बांटा गया है. प्रथम दोषसिद्धि (First Conviction) यानी पहली बार दोषी पाए जाने पर अपराधी को कम से कम 1 साल की कैद होगी, जिसे बढ़ाकर 3 साल तक किया जा सकता है. इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा. दूसरी बार या बाद की दोषसिद्धि (Subsequent Conviction). यदि अपराधी दुबारा या बार-बार यही अपराध करता है तो उसे कम से कम 3 साल की कैद होगी, जिसे बढ़ाकर 7 साल तक किया जा सकता है. इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा.
यह अपराध गैर-जमानती (Non-bailable) और असंज्ञेय (Cognizable) है, जिसका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है और गिरफ्तारी के बाद जमानत देना आसान नहीं होगा. इस तरह बीएनएस निश्चित करता है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले साइबर और निजता से जुड़े अपराधों को अत्यंत गंभीरता से लिया जाएगा, चाहे अपराधी कोई भी हो.


