पुलिस ने पाया है कि जिन सुसाइड नोट्स को आत्महत्या से पहले लिखा बताया गया था, वे असल में बाद में ‘प्लांट’ की गई थीं. पुलिस ने तीन मामलों में फर्जी दस्तावेज और झूठी जानकारी देने के आरोप में केस दर्ज किए हैं. ये पूरी कार्रवाई अब महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बन गई है.

लातूर :महाराष्ट्र के लातूर से एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है. आरक्षण के समर्थन में हुई आत्महत्याओं की जांच में पुलिस ने पाया है कि जिन सुसाइड नोट्स को आत्महत्या से पहले लिखा बताया गया था, वे असल में बाद में ‘प्लांट’ की गई थीं. पुलिस ने तीन अलग-अलग मामलों में धोखाधड़ी और झूठी जानकारी देने के आरोप में केस दर्ज किया है. पुलिस ने बताया कि कई मामलों में पीड़ितों ने सुसाइड नोट्स खुद नहीं लिखे थे, बल्कि उनके परिजनों ने बाद में ये नोट रखे थे. इसका मकसद आत्महत्याओं को आरक्षण आंदोलन से जोड़कर समाज में सहानुभूति और सरकार से आर्थिक मदद हासिल करना था .
पहला मामला — बलीराम श्रीपती मुले , अहमदपुर तालुका (शिंदगी गांव)
२६ अगस्त को बलीराम श्रीपती मुले नामक व्यक्ति ने ज़हर खाकर आत्महत्या की कोशिश की, लेकिन वह बच गया. जांच में सामने आया कि उसके चचेरे भाई ने उसकी जेब में मराठा आरक्षण के लिए आत्महत्या लिखी चिट्ठी बाद में रखी थी.
दूसरा मामला —शिवाजी मेले , निलंगा तालुका (दादगी गांव)
शिवाजी मेले की मौत बिजली के झटके से हुई थी. उनकी जेब से महादेव कोली समाज के आरक्षण के लिए आत्महत्या का नोट मिला था, लेकिन जांच में पता चला कि यह चिट्ठी भी परिजनों ने बाद में रखी थी.
तीसरा मामला — अनिल बलीराम राठोड , चाकूर तालुका
अनिल बलीराम राठोड की मौत के बाद उनकी जेब से बंजारा समाज के आरक्षण के लिए आत्महत्या से जुडी चिट्ठी मिली, लेकिन पुलिस जांच में यह नोट फर्जी साबित हुआ. यह नोट उनके ही तीन रिश्तेदारों ने तैयार कर रखा था.
इन तीनों मामलों में पुलिस ने फर्जी दस्तावेज़ और झूठी जानकारी देने के आरोप में केस दर्ज किए हैं. लातूर के पुलिस अधीक्षक अमोल तांबे ने कहा कि इन मामलों में हमने स्पष्ट पाया कि आत्महत्याओं को राजनीतिक और सामाजिक रूप देने की कोशिश की गई. सभी मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच जारी है.
आरक्षण के नाम पर आत्महत्याओं का इस्तेमाल कर झूठी कहानी गढ़ने का यह राज्य का पहला मामला माना जा रहा है. पुलिस की कार्रवाई अब पूरे महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बन गई है.