सीजेआई बीआर गवई पर हुए हमले के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है.आप ने १० अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के हर ज़िले में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. पार्टी ने इस हमले को बीजेपी और मोदी सरकार की साज़िश बताया और कहा कि यह सीजेआई की दलित पहचान के कारण हुआ.
भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर सोमवार को हुआ हमला तूल पकड़ता जा रहा है. अब इस हमले खिलाफ कई राजनीतिक दलों ने मोर्चा खोल दिया है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि अगर भारत को बचाना है तो बीजेपी रूपी नफरती सांप को कुचलना होगा. संजय सिंह ने कहा कि १० अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के हर जिले में इस हमले के खिलाफ आम आदमी पार्टी प्रदर्शन करेगी.
आप सांसद ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश पर हमला मोदी सरकार, बीजेपी और आर एस एस की गहरी साजिश का हिस्सा है. उन्होंने कहा, “सीजेआई को गाली देने वाले, मारने की धमकी देने वाले, गले में हांडी बांधकर अपमानजनक वीडियो बनाने वाले, सब बीजेपी की नफरती फौज है, इन पर कोई कार्यवाही नहीं होगी.”मुख्या न्यायाधीश पर हमला संविधान की आत्मा पर हमला है. संजय सिंह के अलावा कई और विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने कहा कि CJI पर हमला उनके दलित होने की वजह से किया गया है.

केजरीवाल ने जताया विरोध
आप प्रमुख ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि जिस तरह से चीफ जस्टिस गवई का सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों द्वारा बेखौफ मजाक उड़ाया जा रहा है और उन्हें धमकाया जा रहा है.
केजरीवाल ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पूरी घटना कोर्ट को डराने-धमकाने और उसे अपने अधीन करने की एक पूर्व नियोजित और व्यवस्थित कोशिश लगती है. कोर्ट को इन गुंडों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट ऐसा नहीं करता है, तो इसका असर और स्वतंत्रता दोनों कम हो जाएंगे.
केजरीवाल ने इसके आगे कहा कि चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाला व्यक्ति, धमकाने वाला व्यक्ति और उनका मज़ाक उड़ाने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी कोर्ट या जज के साथ खिलवाड़ करने की हिम्मत न कर सके.
आप नेताओं ने जताई सहमति
आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने अरविंद केजरीवाल की पोस्ट पर सहमति जताई और चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. इसके अलावा मनीष सिसोदिया ने भी केजरीवाल के ट्वीट को रिशेयर करते हुए लिखा कि अगर आज CJI पर जूता फेंकने वाले और सोशल मीडिया पर उन्हें धमकाने वाले बच निकलेंगे, तो कल कोई भी जज सुरक्षित नहीं रहेगा. ऐसे हमलों पर कठोर और उदाहरण बनने वाली सजा जरूरी है, वरना न्यायपालिका की गरिमा और स्वतंत्रता दोनों खतरे में पड़ जाएंगे.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील राकेश किशोर ने उन पर जूता फेंकने का प्रयास किया. हालांकि कोर्ट में मौजूद पुलिस ने उसे रोक लिया था. कोर्ट में वकील “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेंगे” के नारे लगा रहा था. वहीं चीफ जस्टिस ने इस पूरी घटना को नजरअंदाज करके कोर्ट में शांति बनाए रखने की अपील है. इतना ही नहीं, उन्होंने जूता फेंकने वाले व्यक्ति को भी माफ कर दिया और उसके खिलाफ कोई एक्शन न लेने का निर्णय लिया.