भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने विदेश की धरती से देश में कानून के शासन को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने मॉरीशस की धरती से बुलडोजर एक्शन पर बयान दिया किया है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश श्रीमती रेहाना बीबी मुंगली-गुलबुल के निमंत्रण पर तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मॉरीशस पहुँचे। आगमन पर, न्यायमूर्ति गवई ने अपने परिवार के साथ मॉरीशस स्थित महात्मा गांधी संस्थान (एमजीआई) में गांधी जयंती समारोह में भाग लिया और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। एमजीआई, भारत और मॉरीशस की एक संयुक्त पहल है, जो भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है।

भारत के चीफ जस्टिस बीआर. गवई ने शुक्रवार को मॉरीशस से भारत में कानून के शासन की बात कही. उन्होंने मॉरीशस विश्वविद्यालय के सर मौरिस रॉल्ट मेमोरियल लेक्चर के दौरान कहा कि लोकतंत्र का मतलब कानून को अपने मन की शक्ति बनाने के बजाय न्याय प्रदान करना होता है. अपने संबोधन में बीआर गवई ने ‘सबसे बड़े लोकतंत्र में कानून का शासन’ विषय पर अपना व्यख्यान दिया.इससे पहले, न्यायमूर्ति गवई ने उप-प्रधानमंत्री पॉल रेमंड बेरेंजर से मुलाकात की, जहाँ उनकी बातचीत भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर केंद्रित रही।
भारत की न्याय व्यवस्था पर क्या बोले
अपने संबोधन में उन्होंने भारतीय संवैधानिक यात्रा की भी बात की. उन्होंने महात्मा गांधी के ताबीज़ और डॉ. बी.आर. अंबेडकर की संवैधानिक दृष्टि को शासन के नैतिक दिशासूचक के रूप बताया. उन्होंने कहा, ‘कानून का शासन केवल नियमों का समूह नहीं है. यह एक नैतिक और मोरल फ्रेमवर्क का डिजाइन है, जिसे समानता बनाए रखने, मानवीय गरिमा की रक्षा करने और एक विविध और जटिल समाज में शासन का मार्गदर्शन करने के लिए बनाया गया है. ’उन्होंने गुलामी और जनजातियों को निशाना बनाने वाले औपनिवेशिक कानूनों का उदाहरण देते हुए कहा, ‘केवल किसी कानून को वैध कर देने से निष्पक्षता या न्याय प्रदान नहीं हो जाता है. यह याद रखना ज़रूरी है कि किसी चीज को वैध बना देने का मतलब यह नहीं कि वह न्यायसंगत है. इतिहास इस दर्दनाक सच्चाई के अनगिनत उदाहरण हैं.

राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल से मुलाकात
अपनी यात्रा के दौरान, न्यायमूर्ति गवई ने राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल से मुलाकात की और शैक्षिक सहयोग तथा न्यायिक सहयोग पर ज़ोर देते हुए बहुआयामी भारत-मॉरीशस साझेदारी पर चर्चा की। उन्होंने प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम से भी मुलाकात की। उनकी चर्चा जीवंत सांस्कृतिक जुड़ाव और मज़बूत जन-जन संबंधों पर केंद्रित रही, जो दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंधों की नींव हैं। प्रधानमंत्री रामगुलाम ने अपनी हालिया भारत यात्रा की यादें ताज़ा की।

‘बुलडोजर केस’ पर चर्चा
मुख्य न्यायाधीश गवई ने अवैध तोड़फोड़ पर अपने ही २०२४ के फैसले का भी चर्चा की . जिसे ‘बुलडोजर केस’ के नाम से जाना जाता है. कोर्ट ने सरकारी फैसले जिसमें दंड के रूप में अभियुक्तों के घरों को ध्वस्त करने में कार्यपालिका के अतिक्रमण के विरुद्ध सुरक्षा उपाय निर्धारित किए थे।. इस फैसले के बारे में बात करते हुए, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि कार्यपालिका एक साथ न्यायपालिका, जूरी और जल्लाद की भूमिकाएं नहीं निभा सकती. चीफ जस्टिस ने कहा, ‘इस फैसले में एक स्पष्ट संदेश दिया गया है कि भारतीय न्याय व्यवस्था कानून के शासन से चलती है, बुलडोजर के शासन से नहीं.’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सत्ता का प्रयोग निष्पक्ष रूप से किया जाए, न कि प्रतिशोध के साधन के रूप में.अपने भाषण की शुरुआत से पहले चीफ जस्टिस गवई ने मॉरीशस के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सर मौरिस रॉल्ट को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने उनको प्रख्यात न्यायविद बताया. गवई ने कहा, ‘उन्होंने हमें याद दिलाया कि अनियंत्रित शक्ति संस्थाओं को नष्ट कर देती है तथा व्यक्तिगत इच्छा नहीं, बल्कि कानून ही सर्वोच्च रहना चाहिए.’