सुप्रीम कोर्ट में CJI बीआर गवई ने नेपाल के हालात पर चिंता जताई, साथ ही भारतीय संविधान पर गर्व व्यक्त किया. जस्टिस विक्रम नाथ ने बांग्लादेश का भी उल्लेख किया.
प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई के दौरान कांस्टीट्यूशन बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने कहा, हमें अपने संविधान पर गर्व है। प्रेसिडेंशियल रेफरेंस मामले की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ अलग-अलग पक्षों को सुन रही थी. इसी बीच सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने भी बहस में हिस्सा लिया. उन्होंने संविधान की शक्ति पर जोर देते हुए इमरजेंसी का जिक्र किया. तुषार मेहता ने कहा, जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तब जनता ने ऐसा सबक सिखाया कि न सिर्फ कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई, बल्कि इंदिरा गांधी अपनी सीट भी हार गईं. इसके बाद दूसरी सरकार आई, लेकिन जब वह जनता को संभाल न पाई तो उसी जनता ने इंदिरा गांधी को दोबारा सत्ता में पहुंचा दिया. यही संविधान की ताकत है. इस पर CJI गवई ने तुरंत सहमति दर्शाते हुए उनके वक्तव्य को सहमति जताते हुए कहा, हां, यही हमारे संविधान की ताकत है और यह राजनीतिक तर्क नहीं, बल्कि सच्चाई है.

पड़ोसी देशों का जिक्र क्यों?
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता और संविधान को लेकर विवाद जारी हैं. नेपाल में हालात ऐसे बन गए हैं कि जनता के गुस्से की वजह से प्रधानमंत्री को पद छोड़ना पड़ा है. चार दिन से देश में आग लगी हुई है. बांग्लादेश में कुछ महीनों पहले ऐसे ही हालात बने थे और प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी.
हमें संविधान पर क्यों है गर्व?
भारत का संविधान दुनिया के सबसे बड़ा और सबसे लोकतांत्रिक संविधान में से एक है. इसने न केवल जनता को बराबरी और अधिकार दिए हैं, बल्कि सत्ता में बैठे नेताओं को भी सीमाओं में रहने का सबक सिखाया है. आपातकाल जैसी स्थिति में भी लोकतंत्र ने अपनी राह बनाई और जनता ने संविधान के जरिए ही सत्ता को पलट दिया. न्यायपालिका ने कई ऐतिहासिक फैसलों के जरिए संविधान की आत्मा को मजबूत बनाए रखा है. CJI गवई की टिप्पणी इसी भरोसे की ओर इशारा करती है कि चाहे कितने भी संकट आएं, भारतीय लोकतंत्र अपने संविधान की वजह से बार-बार मजबूत होकर खड़ा हुआ है.