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धम्मचक्र प्रवर्तन दिन (धम्मदीक्षा दिन) का इस वर्ष भी आयोजन नहीं !

धम्मचक्र प्रवर्तन दिन (धम्मदीक्षा दिन) का इस वर्ष भी आयोजन नहीं !

दीक्षाभूमी नागपुर में इस साल भी अर्थात 2021 में धम्मचक्र प्रवर्तन दिन (धम्मदीक्षा दिन ) का आयोजन नहीं किया जायेंगा। महाराष्ट्र सरकार ने COVID 19 प्रोटोकॉल के कारण किसी भी बड़े धार्मिक आयोजन को अनुमति नहीं दी है. नागपुर जिला प्रशासन ने इस संदर्भ में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्मारक समिति दीक्षाभूमी तथा ड्रैगन पैलेस टेम्पल, कामठी के अध्यक्ष के साथ मीटिंग की. इस मीटिंग में राज्य सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार दोनों स्थानों पर भीड़ के इकठ्ठा होने पर पाबन्दी लगा दी गई है. इस संबंध में नागपुर नगर निगम, पुलिस विभाग, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य प्रमुख विभागों से भी चर्चा हुई.

हालांकि राज्य सरकार के जारी आदेश के मुताबिक धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत दे दी है, लेकिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने पर रोक लगा दी है.

15 अक्टूबर को दीक्षाभूमि पर कार्यक्रम में शामिल होने वालों की संख्या लाखों में है और सभी संस्थाओं व विभागों का मत है कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन संभव नहीं है. इसलिए प्रशासन ने जानकारी दी है कि इस साल यह वार्षिक अभिवादन समारोह नहीं होगा।

धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के उत्सव को मनाने के लिए इस दिन देश-विदेश से कई बौद्ध अनुयायी नागपुर की दीक्षाभूमि पर एकत्रित होते हैं.यहां 1 ही दिन में करोडो की किताबे बिकती है. दुनिया में ऐसा कही नहीं होता. यहां लोग भगवान बुद्ध-डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की विचारों की ऊर्जा तथा प्रेरणा लेने आते है. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने बौद्ध धम्म अपनाने के बाद करोड़ो लोगों की जिंदगियां ट्रांसफॉर्म हुई थी.

डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने बौद्ध धम्म इसलिए अपनाया था, क्योंकि बौद्ध धम्म में जातियां नहीं होती. यह धम्म समानता, मैत्रीभावना पर आधारित है.

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