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मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी ! स्कूल का मतलब जीवन में प्रकाश का मार्ग : RJD विधायक फतेह बहादुर सिंह राजद विधायक

मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी ! स्कूल का मतलब जीवन में प्रकाश का मार्ग : RJD विधायक फतेह बहादुर सिंह राजद विधायक

RJD अर्थात राष्ट्रीय जनता दल के विधायक फतेह बहादुर सिंह ने एक बार फिर क्रांतिकारी टिप्पणी की है। इस बार उन्होंने मनुवादी लोगों द्वारा शिक्षा के देवी कहे जानेवाले सरस्वती पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि सरस्वती को ब्राह्मण ग्रंथों में ब्रह्मा की पुत्री बताया गया है और फिर ब्रह्मा ने उसी से शादी की। फतेह बहादुर सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास के बाहर एक पोस्टर लगाया है जिसको लेकर विवाद हो रहा है. सावित्री बाई फुले को आरजेडी विधायक फतेह बहादुर ने पोस्टर के जरिए भारत की पहली शिक्षिका कहा है. पोस्टर के जरिए उन्होंने सावित्री बाई फुले के विचार को भी सामने रखा है. पोस्टर में लिखा गया है ‘मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी का मार्ग और स्कूल का मतलब होता है जीवन में प्रकाश का मार्ग…

“विद्यालयों में सरस्वती की जगह सावित्रीबाई फुले की तस्वीर लगनी चाहिए”

दरअसल, राजद के डेहरी से विधायक फतेह बहादुर सिंह ने बिहार के औरंगाबाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरस्वती को ब्राह्मण ग्रंथों में ब्रह्मा की पुत्री बताया गया है और फिर ब्रह्मा ने उसी से शादी की। पूजा चरित्रवान की होनी चाहिए चरित्रहीनों की नहीं। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में सरस्वती की जगह सावित्रीबाई फुले की तस्वीर लगनी चाहिए। प्रार्थना सावित्रीबाई की होनी चाहिए। भारत सरकार को भारत रत्न देना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि जब 60 वर्ष कांग्रेस की सरकार रही तो उसने भारत रत्न की उपाधि क्यों नहीं दी? विधायक ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों पर सवर्णों और मनुवादियों की पकड़ रही है। लेकिन आज कांग्रेस बदल रही है ऐसा दांवा भी उन्होंने किया.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को लेकर कहा कि उन्होंने ब्राह्मणों की अधीनता स्वीकार कर ली है। वे कहते हैं कि तीन प्रतिशत ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं, थे और रहेंगे तो फिर बाकी 97 प्रतिशत तो शूद्र ही हैं न।

फतेह बहादुर सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास के बाहर एक पोस्टर लगाया है जिसको लेकर विवाद हो रहा है. सावित्री बाई फुले को आरजेडी विधायक फतेह बहादुर ने पोस्टर के जरिए भारत की पहली शिक्षिका कहा है. पोस्टर के जरिए उन्होंने सावित्री बाई फुले के विचार को भी सामने रखा है. पोस्टर में लिखा गया है ‘मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी का मार्ग और स्कूल का मतलब होता है जीवन में प्रकाश का मार्ग, जब मंदिर की घंटी बजती है तो हमें संदेश देती है कि हम अंधविश्वास, पाखंड, मूर्खता और अज्ञानता की ओर बढ़ रहे हैं और जब स्कूल की घंटी बजती है तो यह संदेश मिलता है कि हम तर्क पूर्ण ज्ञान और वैज्ञानिकता व प्रकाश की ओर बढ़ रहे हैं. अब तय करना है कि आपको किस ओर जाना चाहिए.’

सावित्री बाई फुले की जयंती को लेकर लगाया गया है पोस्टर
पोस्टर में लालू-राबड़ी, तेजस्वी, कर्पूरी ठाकुर, जगदेव प्रसाद, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की भी फोटो है. सावित्री बाई फुले की जयंती समारोह 7 जनवरी को है. उसी दिन इस जयंती पर रोहतास में कार्यक्रम है. उस संदर्भ में पोस्टर लगा है. फतेह बहादुर सिंह ने कुछ समय पहले मां दुर्गा को काल्पनिक बताया था. मां सरस्वती के बारे में कहा था कि ब्राह्मण के ग्रंथों में लिखा है कि सरस्वती ब्रह्माजी की बेटी थी, लेकिन ब्रह्मा ने उनसे शादी की. पूजा चरित्रवानों की होनी चाहिए चरित्रहीन की नही. सरस्वती की जगह सावित्रीबाई फुले की पूजा होनी चाहिए.

बीजेपी की राजनीति के खिलाफ आरजेडी का स्ट्रेटजी
लोकसभा चुनाव है. 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन है. बीजेपी की राम मंदिर की जो राजनीति है उसके खिलाफ लड़ाई लड़ने का मन आरजेडी ने बना ली है.

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