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“जय भीम” ऐप एक नई सोच, एक नई प्रेरणा

“जय भीम” ऐप एक नई सोच, एक नई प्रेरणा

जय भीम एप्प

दुनिया का इतिहास अति प्राचीन है, मानव की उत्त्पत्ति उसका विकास, उसकी संस्कृति का निर्माण, संस्कृति का विकास अनगिनत वर्षो के बाद हुवा है, अपने आप को व्यक्त करने के लिए मानव ने बोली-भाषा विकसित की, एक दूसरे को समझने के लिए, एक दूसरे की भावनाये समझने के लिए एक माध्यम की जरुरत थी जो थी भाषा, बोली, और इसी जरुरत के कारण दुनियामें हजारो भाषाओंका निर्माण हुवा. भगवान बुद्ध के काल में धम्म को समझाने के लिए बुद्ध ३० वर्षो तक चारिका करते रहे, लोगो को प्रवचन देते रहे, ताकि लोगो तक मुक्ति का मार्ग धम्म पहुंचते रहे, पश्चात जब प्रियदर्शी सम्राट अशोक धम्मराजिक बन धम्मानुशाशन करने लगे तो पहली धम्म संगीति में उन्होंने इस जरिये को बदलने की कोशिश की और धम्म को लिपिबद्ध कर संरक्षित किया.

समय बीतता गया और माध्यम भी बदलते गए, अब शिलालेख, स्तम्भलेख, ताम्रपत्र ये सब माध्यम पुराने हो गए, उसकी जगह प्रिंट और पेपर ने ले ली, भारत में स्वतंत्रता और जातिमुक्ति का आंदोलन छिड़ा और जिसके सारथि योद्धा बन उभरे डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर, स्वतंत्रता-समता-बंधुता-न्याय की लड़ाई को और मुखर करने के लिए और दूर दराज़ में पहुंचने के लिए मूकनायक बहिष्कृत भारत समता जनता, प्रबुद्ध भारत को जन्म लेना पड़ा.

कालानुरूप किताबो और समाचारपत्रों के सिवाय अब रेडियो भी इससे जुड़ गया, दुनिया में रेडिओ क्रांति हुई जिसे हम आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कहते है. अब विचार, अभिव्यक्ति, संस्कृति, हम पढ़ने के साथ साथ सुन भी सकते थे, अब समझाना और समझना रेडिओ की वजह से और भी आसान हो गया था। इसी के साथ एक बड़ी क्रांति गई वो थी टेलेविज़न क्रांति, इससे हम सुनने के साथ साथ देख भी सकते थे. 1936 में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन(BBC) ने दुनिया की पहली टेलीविजन सेवा को प्रारम्भ किया। 1939 तक टेलिविजन प्रसारण संयुक्त राज्य अमेरिका में भी शुरू हो गया। और भारत में इसकी शुरुवात दूरदर्शन के जरिये १९५९ में हुई.

तब से आज तक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी फिर कलर टीवी फिर फ्लैट एलईडी, स्मार्ट इंटरनेट टीवी तक हम पहुंच गए, उसके बाद इंटरनेट और मोबाइल ने हमारे जीने का तरीका बदल दिया, आज दुनिया हमारी मुट्ठी में मतलब दुनिया हमारे मोबाइल में आ गई है, मोबाइल से हम समझने लगे है, समझाने लगे है, खुद को व्यक्त करने लगे है. अब विचारधाराओं की लड़ाई भी मोबाईल से ही लड़ी जा रही है, हजारो मोबाईल एप्प जैसे वॉट्सप, फेस बुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम इत्यादि इसी तरह चाहे गीत हो या संगीत युवक और युवतियो के लिए भी खुद को व्यक्त करने के लिए कई पलटफोर्म है जैसे इंस्टाग्राम रील, यूट्यूब शॉर्ट्स, एम् एक्स टकाटक, मोज, जोश, चिंगारी, स्नैपचाट, फेसबुक शार्ट वीडियोस, मित्रोंन, ट्रेल लेकिन इन सभी प्लेटफॉर्म्स में एक कमी है के इनमे से एक भी हमारा खुद का नहीं है. देश की युवाओ में बहोत टेलेंट है, हर क्षेत्र का मगर उसे सामने ले जाने का अपना जरिया नहीं है , और उसी जरिये की कमी करने के लिए ही “जय भीम शार्ट वीडियो अप्प” का निर्माण हुवा है.

इस मोबाइल ऐप के माध्यम से देश के छोटें-बड़े शहरों से युवाओं के टैलेंट को प्लैटफॉर्म मिलेंगा युवाओं की क्रिएटिविटी को प्रोत्साहित करना तथा उनके ध्येय तथा सपनों को पूरा करने की लिए ये ऐप प्रभावी तरीके से मार्गदर्शन करेंगा। साथ ही जिन युवाओं के वीडियोस वायरल होंगे, तथा अच्छा परफॉर्म करेंगे उन्हें धनराशि भी मिलेंगी. “जय भीम ऐप दुनिया के युवाओ के टैलेंट को सामने लाएगा, युवाओ की क्रिएटिविटी को बढ़ावा देगा और  प्रभावी सकारात्मक सोच का निर्माण होगा, “जय भीम ऐप न युवाओ को मनोरंजन के साथ जोड़ेगा बल्कि मनोरंजन के क्षेत्र के नये नए दरवाजे भी खोलेगा, जिससे लाखो युवाओ के सेलिब्रिटी बनने के सपनो को सच में तब्दील होते हुवे भी आप देख पाएंगे। युवाओ की प्रतिभा न केवल दुनिया के कोने कोने में पहुंचेगी बल्कि उस प्रतिभा को एक मुकाम और सन्मान भी मिलेगा। जयभीम ऐप का उद्देश्य केवल मनोरंजन का ही साधन नहीं तो इससे आप व्यवसाय और शिक्षा का भी अवलोकन कर पाएंगे अपने व्यक्तित्व को और भी निखार पाएंगे, जिससे आप में और भारत के तमाम युवाओ में भारतीय संविधान के समता- स्वातंत्र्य- न्याय और बंधुता की सकारात्मक सोच निर्माण होगी तथा ये एप्प इस देश में खुशहाली, भाईचारा, सहिष्णुता और शांति प्रस्थपित करने में भी मददगार होगा।

कई लोग ये सवाल पूछते है के ऐप का नाम “जय भीम” क्यों? एक सर्वे के मुताबिक देश के कई युवाओं और युवतियो ने इस ऐप के नाम को संविधान जनक राष्ट्रनिर्माता  बाबासाहब आंबेडकर के नाम से जोड़ने का आग्रह किया, कई युवाओ ने कहा के हम एक दूसरे से जब मिलते है तो सबसे पहले जयभीम ही कहते है, चाहे प्रत्यक्ष मिले या ऑनलाइन, फेसबुक, वॉट्सप पर हम जयभीम लिखकर ही चाट की शुरुवात करते है, तो क्यों न इसी को अप्प का नाम दिया जाये। युवा कहते है की जयभीम यह आत्मसन्मान को बल देता है, जयभीम स्वाभिमान तथा समानता का जज्बा हममे लता है, जय भीम अपने आप में देश का एक बड़ा संघर्ष है. आज पूरी दुनिया में “जय भीम” आन-बान-शान का सांस्कृतिक प्रतिक है, इसलिए इस एप्प का नाम “जय भीम” है

अब आप सब का इंतज़ार ख़त्म हो गया २६ जनवरी २०२२ को जय भीम एप्प की शुरुवात हो रही है, आप इसे अपने फ़ोन में गूगल प्ले स्टोर से डाऊनलोड कर इसका उपयोग कर सकते है, अपने परिचित दोस्तों को लिंक भेज उन्हें भी इसे डाऊनलोड करने के लिए प्रोस्ताहित कर सकते है. एक नई सोच आएगी “जय भीम” के साथ, एक नई प्रेरणा जागेगी “जय भीम” के साथ, महिलाओ और युवतियो का विकास होगा “जय भीम” के साथ, उच्च शिक्षा और टेक्नोलॉजी का आदान प्रदान होगा “जय भीम” के साथ, देश का सांस्कृतिक सन्मान दुनिया तक पहुंचेगा “जय भीम” के साथ, उद्योग जगत के दरवाजे खुलेंगे “जय भीम” के साथ. देश में उन्नत विकास की गंगा बहेगी “जय भीम” के साथ. तो आइये हो जाये हम सब भी “जय भीम” के साथ।

जय भीम, नमो बुद्धाय, जय संविधान, जय प्रबुद्ध भारत।

प्रीतम बुलकुंडे

प्रोडक्शन डायरेक्टर आवाज़ इंडिया टीवी

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1 Comment

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  • LaKhan rohidas kale , January 27, 2022 @ 2:25 pm

    जय भीम

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