बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथ त्रिपिटक के अंतरराष्ट्रीय पाठ समारोह में आज राष्ट्रनिर्माता डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के प्रति गहन श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया गया। बाबासाहेब ने स्वतंत्रता, समता, न्याय और बंधुत्व के अमर सिद्धांतों को देश की धरती पर मजबूती से स्थापित किया। भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पकार के रूप में उन्होंने शोषितों, वंचितों और हर वर्ग के भारतीयों के मौलिक अधिकारों को अक्षुण्ण रखा, जिससे एक समावेशी राष्ट्र का स्वप्न साकार हुआ। उनके विचार आज भी करोड़ों भारतीयों का मार्गदर्शन कर रहे हैं, जो सामाजिक न्याय की ज्योति को प्रज्वलित रखते हैं।
बोधगया, ६ दिसंबर २०२५: बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथ त्रिपिटक के अंतरराष्ट्रीय पाठ समारोह में आज राष्ट्रनिर्माता डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के प्रति गहन श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया गया। बाबासाहेब ने स्वतंत्रता, समता, न्याय और बंधुत्व के अमर सिद्धांतों को देश की धरती पर मजबूती से स्थापित किया। भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पकार के रूप में उन्होंने शोषितों, वंचितों और हर वर्ग के भारतीयों के मौलिक अधिकारों को अक्षुण्ण रखा, जिससे एक समावेशी राष्ट्र का स्वप्न साकार हुआ। उनके विचार आज भी करोड़ों भारतीयों का मार्गदर्शन कर रहे हैं, जो सामाजिक न्याय की ज्योति को प्रज्वलित रखते हैं।

इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग समारोह (ITCC) के महासचिव भंते विनय रक्खिता महाथेरो ने इस अवसर पर कहा, “बाबासाहेब ने भगवान बुद्ध का धम्म अपनाकर सनातन विरासत को न केवल संरक्षित किया, बल्कि इसे पुनरुज्जीवित भी किया। उनका यह कदम मानवता के कल्याण का प्रतीक है।” वे बोधगया के पवित्र परिसर में आयोजित २०वें अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक चैंटिंग समारोह के पांचवें दिन के मुख्य सत्र को संबोधित कर रहे थे।
समारोह में ITCC के अध्यक्ष भंते संघसेना, सिस्टर वांग्मो डिक्से, रिचर्ड डिक्से, आचार्य राजेश चंद्रा, भिक्षुणी साक्य धम्मदीना सहित देश-विदेश के प्रमुख बौद्ध विद्वान, भिक्षु-भिक्षुणियां और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस भावपूर्ण सभा ने बाबासाहेब के बौद्ध दर्शन से प्रेरित जीवन को सलाम किया, जो समानता और करुणा की नींव पर टिका है।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था, लेकिन इंडिगो एयरलाइंस की उड़ान रद्द होने के कारण वे व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हो सके। उन्होंने एक हार्दिक संदेश भेजा, जिसमें कहा गया, “भगवान बुद्ध और डॉ. आंबेडकर के विचारों के प्रति मेरी अटूट प्रतिबद्धता बनी रहेगी। उनके सिद्धांत ही भारत को विश्व गुरु बनाने का आधार हैं।” यह संदेश समारोह में वाचन कर सुनाया गया, जिसने उपस्थितजनों में उत्साह का संचार किया।
समारोह की प्रमुख झलकियां:
• सुबह ८:०० बजे अभिवादन रैली: डॉ. आंबेडकर के सम्मान में एक भव्य रैली का आयोजन किया गया। भिक्षु संघ, उपासक-उपासिकाएं और श्रद्धालु ‘जय भीम’ व ‘जय bharat ’के नारों के साथ सड़कों पर उतरे। रैली ने बाबासाहेब के संघर्षपूर्ण जीवन को जीवंत कर दिया।
• परित्त चैंटिंग सत्र: ITCC के सहयोग से समन्वय सेवा संस्थान द्वारा बोधि वृक्ष के नीचे डॉ. आंबेडकर परित्त (रक्षात्मक मंत्रपाठ) का विशेष आयोजन हुआ। देश-विदेश से आए सैकड़ों उपासकों ने इसमें भाग लिया, जो शांति और सुरक्षा की कामना के साथ बाबासाहेब की स्मृति को अर्पित किया।
• शाम का दीपोत्सव: सूर्यास्त के साथ बोधगया परिसर में बाबासाहेब की स्मृति में ५००० दीये प्रज्वलित किए गए। यह दृश्य अत्यंत मनमोहक था, जहां हर दीया उनके न्यायपूर्ण संघर्ष का प्रतीक बन गया।
समारोह की शुरुआत सुबह कंबोडिया के भिक्षु संघ द्वारा त्रिपिटक चैंटिंग से हुई। कंबोडियाई संघ ने भी बाबासाहेब के प्रति अपनी गहन श्रद्धा व्यक्त की, उनके बौद्ध धर्म अपनाने को ‘मानव इतिहास का स्वर्णिम अध्याय’ बताया। दोपहर में भिक्षु संघ और उपासकों के लिए भोजन दान का पुण्यकारी आयोजन हुआ, जिसमें जौहर आई और श्रीराम कांबले ने उदारतापूर्वक दान देकर पुण्य लाभ अर्जित किया।
यह समारोह न केवल बौद्ध ग्रंथों के पाठ का माध्यम बना, बल्कि डॉ. आंबेडकर के माध्यम से सामाजिक न्याय और धम्म की एकता को रेखांकित करने वाला ऐतिहासिक मंच सिद्ध हुआ। आने वाले दिनों में भी यह आयोजन विश्व भर के बौद्ध अनुयायियों को प्रेरित करता रहेगा।


