समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम (SIR) प्रक्रिया को हल्के में लेने वाले नेताओं को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि जो नेता सक्रिय नहीं दिखेंगे, उनका टिकट पहले ही कट चुका समझें. बिहार चुनाव परिणामों के बाद सपा ने SIR को लेकर आक्रामक रुख अपनाया है और समय सीमा बढ़ाने की मांग भी की है.
लखनऊ: मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम (SIR) को सीरियस ना लेने वाले पार्टी नेताओं को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो नेता इस प्रक्रिया को गंभीरता से नहीं ले रहे, उनका टिकट कटना तय है. अखिलेश यादव ने यह भी निर्देश दिया कि जब तक SIR की प्रक्रिया चल रही है, किसी भी अन्य जिले का नेता लखनऊ में घूमता हुआ नहीं दिखना चाहिए, अन्यथा पार्टी उसके टिकट पर विचार ही नहीं करेगी. अखिलेश यादव ने आखिर क्यों यह आक्रामक रुख अपना? इसका जवाब पार्टी की हालिया रणनीति और बिहार चुनाव के नतीजों से जुड़ा है.
बिहार नतीजों के बाद बदली रणनीति
दरअसल, बिहार चुनाव परिणामों ने समाजवादी पार्टी को सतर्क कर दिया है. भीतर की बैठकों में अखिलेश यादव ने नेताओं को SIR पर ध्यान न देने के लिए खरी-खोटी भी सुनाई, जिससे साफ संकेत मिल रहे है कि अखिलेश यादव एसआईआर के मुद्दे पर किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त करने के मुड में नहीं है. अखिलेश ने कहा कि जो नेता SIR प्रक्रिया में सक्रिय नहीं हैं, उन्हें पार्टी की जिम्मेदारियों से दूर रखा जाएगा और यदि वे टिकट के दावेदार हैं, तो पहले ही मान लें कि उनका टिकट कट चुका है.
यूपी में सपा हुई पूरी तरह से सर्तक
बिहार चुनाव के जो नतीजे सामने आए है, उसके बाद सपा यूपी में पूरी तरह से सर्तक हो चुकी है. बिहार में SIR प्रक्रिया के दौरान कई सारे आरोप-प्रत्यारोप चुनाव आयोग पर लगे थे. इस बीच, समाजवादी पार्टी भी लगातार यही कह रही है कि SIR प्रक्रिया में समय सीमा को 3 महीने और बढ़ा दिया जाए. समाजवादी पार्टी चाहती है कि इस समय सीमा में उनके लोग लगातार लोगों से संपर्क करके इस प्रक्रिया को और सरल बना लेंगे.
SIR प्रक्रिया में कम समय, कई जगह फॉर्म तक नहीं पहुंचे
पार्टी लगातार यह भी कह रही है कि SIR के लिए तय समय बहुत कम है और कई क्षेत्रों में अभी तक फॉर्म भी नहीं पहुंचे हैं. इसलिए सपा ने चुनाव आयोग से समय सीमा को तीन महीने बढ़ाने की मांग की है ताकि कार्यकर्ता अधिक प्रभावी रूप से लोगों तक पहुंच सकें.
यह करो या मरो वाली स्थिति
पार्टी प्रवक्ता फखरूल हसन के अनुसार, यह प्रक्रिया सपा के लिए बिल्कुल ‘करो या मरो’ की स्थिति की तरह है. सपा नहीं चाहती कि SIR की खामियों या समय की कमी के कारण उसके समर्थकों के वोट प्रभावित हों. अखिलेश यादव का सख्त रुख यह भी संकेत देता है कि वे पार्टी में नई ऊर्जा लाना चाहते हैं और जो पदाधिकारी सक्रिय नहीं हैं, यह उनके लिए एक सीधा अल्टीमेटम है.


