इनकम टैक्स एक्ट में दो PAN कार्ड पर सिर्फ 10 हजार जुर्माना होता, लेकिन आजम खान और अब्दुल्ला को 7 साल की सजा कोर्ट ने दी. यह मामला बेटे को चुनाव लड़वाने के लिए धोखाधड़ी से जुड़ा है. कोर्ट ने माना कि पिता-पुत्र ने इसके लिए जमकर कागजी हेराफेरी की. यही वजह है कि सात साल की सजा सुनाई गई है.
नई दिल्ली. इनकम टैक्स एक्ट के तहत किसी व्यक्ति के पास दो PAN कार्ड होना एक दंडनीय अपराध है. यह बात तो आप और हम सभी जानते हैं. इस गलती के लिए अधिकतम 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. ऐसे में सवाल उठता है कि आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को इसी PAN विवाद में 7-7 साल की कठोर सजा कैसे मिल गई? चलिए हम इस पूरे प्रकरण के बारे में आपको समझाते हैं. दरअसल, मामला केवल डुप्लीकेट पैन कार्ड का नहीं बल्कि सरकारी दस्तावेजों में जालसाजी, धोखाधड़ी और राजनीतिक लाभ के लिए अपराध की साजिश का था, जिसमें IPC की गंभीर धाराएं लागू होती हैं.
क्या था पूरा मामला?
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में स्वार सीट से अब्दुल्ला आजम ने नामांकन दाखिल किया था. असली जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 थी. मतलब उम्र 24 वर्ष. विधायक बनने के लिए कम से कम 25 साल जरूरी होता है. आरोप है कि इस बाधा को दूर करने के लिए आजम खान ने साजिश रची और बेटे के लिए दूसरी जन्मतिथि यानी 30 सितंबर 1990 के आधार पर नया PAN कार्ड बनवा दिया. यही फर्जी PAN कार्ड बैंक पासबुक और नामांकन पत्र में लगाया गया, जिससे अब्दुल्ला अयोग्य होने के बावजूद चुनाव लड़ सके और जीत भी गए. साल 2019 में भाजपा विधायक आकाश सक्सेना की शिकायत पर केस दर्ज हुआ. पुलिस ने IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (कीमती दस्तावेज की जालसाजी), 468, 471 (फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा दर्ज किया. ये सभी बेहद संगीन अपराध से जुड़ी धाराएं हैं.
इसलिए हुई 7 साल की सजा
रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने माना कि बाप-बेटे ने न सिर्फ दूसरा PAN बनवाया बल्कि उसे चुनावी नामांकन सहित कई आधिकारिक दस्तावेजों में धोखे से उपयोग किया. इस मामले में सबसे गंभीर धारा 467 के तहत बाप-बेटे को 7 साल तक की कैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने सभी धाराओं में अलग-अलग सजा सुनाई, जिसमें अधिकतम 7 साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना शामिल है. अंतिम रूप से दोनों को 7-7 साल जेल की सजा भुगतनी होगी.
सिर्फ PAN का मामला होता तो सजा नहीं बढ़ती
अगर सिर्फ दो PAN कार्ड रखने की गलती होती तो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 272B के तहत सिर्फ 10 हजार का जुर्माना लगता. लेकिन यहां PAN को फर्जी दस्तावेज बनाकर चुनाव में धोखे से फायदा उठाया गया, जिससे अपराध गंभीर बन गया और IPC की कठोर धाराएं लागू हो गईं. हाल में कई मामलों में राहत पाकर जेल से बाहर आए आजम खान के लिए यह फैसला बड़ी कानूनी चुनौती लेकर आया है. अब्दुल्ला आजम भी फिर जेल जा सकते हैं. अदालत का यह फैसला बताता है कि चुनावी दस्तावेज़ों में जालसाजी को कोर्ट कितनी गंभीरता से लेता है.
2 महीने पहले ही जेल छूटे थे आजम
आजम करीब 2 महीने पहले 23 सितंबर को ही सीतापुर जेल से रिहा हुए थे। उनका बेटा अब्दुल्ला 9 महीने पहले हरदोई जेल से रिहा हुआ था। फर्जी पैन कार्ड का मामला 2019 का है। रामपुर में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने सिविल लाइंस थाने में दोनों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि आजम ने बेटे अब्दुल्ला को चुनाव लड़वाने के लिए दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्रों के आधार पर दो पैन कार्ड बनवाए। असली जन्म तिथि यानी 1 जनवरी, 1993 के मुताबिक, अब्दुल्ला 2017 में चुनाव लड़ने के योग्य नहीं था। उसकी उम्र 25 साल नहीं हुई थी। इसलिए आजम ने दूसरा पैन कार्ड बनवाया, जिसमें उन्होंने जन्म का साल 1990 दिखाया था।


