बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना अगस्त, 2024 में विद्रोहों के दौरान हालात बिगड़ने पर किसी तरह भारत आ गई थीं. तब से वे यहीं पर किसी गुप्त स्थान पर शरण लिए हुए हैं. आज उन्हें मौत की सजा मिलने के बाद सवाल ये उठने लगा कि क्या भारत शेख हसीना को बांग्लादेश सरकार को सौंपेगा?
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना अगस्त, 2024 में विद्रोहों के दौरान हालात बिगड़ने पर किसी तरह भारत आ गई थीं. तब से वे यहीं पर किसी गुप्त स्थान पर शरण लिए हुए हैं. आज उन्हें मौत की सजा मिलने के बाद सवाल ये उठने लगा कि क्या भारत शेख हसीना को बांग्लादेश सरकार को सौंपेगा?
पड़ोसी देश बांग्लदेश में आज का दिन बेहद अहम रहा. साल 2024 में हुए विद्रोहों के दौरान वहां हुई हिंसा और अशांति को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर जो आरोप लगाए गए थे, अब कोर्ट ने उस पर अपना फैसला दे दिया. शेख हसीना को हत्या और लाशों को गायब करने के तथाकथित मामले में दोषी करार दिया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है. तत्कालीन गृहमंत्री असदुज्ज़मान खान कमाल को भी सजा-ए-मौत सुनाई गई है.
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना अगस्त, 2024 में विद्रोहों के दौरान हालात बिगड़ने पर किसी तरह भारत आ गई थीं. तब से वे यहीं पर किसी गुप्त स्थान पर शरण लिए हुए हैं. आज उन्हें मौत की सजा मिलने के बाद सवाल ये उठने लगा कि क्या भारत शेख हसीना को बांग्लादेश सरकार को सौंपेगा? इसकी मांग पहले भी यूनुस कर चुके हैं. दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण की संधि भी है, लेकिन भारत शेख हसीना को लेकर क्या फैसला लेगा?
बांग्लादेश ने की अपील – शेख हसीना को वापस करो
बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल के फैसले में फरार आरोपियों शेख हसीना और असदुज्ज़मान खान कमाल को जुलाई हत्याकांड में दोषी मानकर मौत की सजा सुनाई है. अब बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इन दो लोगों को किसी भी दूसरे देश की ओर से शरण देना बेहद गलत और न्याय का अपमान माना जाएगा. ऐसे में बांग्लादेश की ओर से मांग की गई है कि शेख हसीना और असदुज्जमान खान कमाल को तुरंत बांग्लादेश अधिकारियों के हवाले किया जाए. दोनों देशों के बीच मौजूद प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक भारत से ये मांग की गई है. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है.
भारत-बांग्लादेश के बीच है प्रत्यपर्ण संधि?
भारत–बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) दोनों देशों के बीच अपराधियों को एक-दूसरे के हवाले करने की कानूनी व्यवस्था है. यह संधि 2013 में लागू हुई और इसका उद्देश्य है कि गंभीर अपराध करने वाले आरोपी किसी भी देश में भागकर बच न सकें. संधि के तहत हत्या, अपहरण, आतंकवाद, हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी, वित्तीय अपराध सहित अधिकांश गंभीर अपराधों में प्रत्यर्पण किया जा सकता है.
क्या भारत मना कर सकता है शेख हसीना का प्रत्यर्पण?
भारत-बांग्लादेश की प्रत्यर्पण संधि में कुछ ऐसे प्रावधान हैं जिनकी वजह से भारत शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंपने से मना कर सकता है. इस संधि के अनुच्छेद 6 के तहत, यदि अपराध पॉलिटिकल नेचर का है, तो प्रत्यर्पण को मना किया जा सकता है. हालांकि शेख हसीना पर हत्या, अपहरण और आतंकवाद के आरोप हैं, लेकिन इस संधि का अनुच्छेद 8(1)(a)(iii) उन्हें बचा सकता है. इसके मुताबिक प्रत्यर्पणकर्ता यह साबित कर सके कि आरोप ‘न्यायिक दृष्टि से सद्भावना के तहत (not made in good faith in the interests of justice) नहीं किया गया है, तो प्रत्यर्पण को मना किया जा सकता है. हसीना विरुद्ध आरोप राजनीतिक प्रतिशोध पर आधारित हो सकते हैं और इसलिए भारत यह तर्क दे सकता है कि प्रत्यर्पण करना अन्यायपूर्ण होगा.


