जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में इस बार पिछले साल की तुलना में कम मतदान हुआ. इस साल ६७ प्रतिशत मतदान हुआ मगर मुकाबला रोचक हो गया है. फिलहाल उम्मीदवारों का भाग्य मतपेटी में बंद हो गया है. अब निगाहें काउंटिंग पर हैं. आइए जानते हैं कि परिणाम कब तक आ सकता है.
JNU Elections: यह बात सही है कि जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में इस बार पिछले साल की तुलना में कम मतदान हुआ. इस साल ६७ प्रतिशत मतदान हुआ मगर मुकाबला रोचक हो गया है. फिलहाल उम्मीदवारों का भाग्य मतपेटी में बंद हो गया है. अब निगाहें काउंटिंग पर हैं.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानि कि जेएनयू में छात्रसंघ चुनाव मतदान खत्म होते ही काउंटिंग शुरू हो गई है. बुधवार को काउंटिंग पूरे दिन चलेगी. अब निगाहें रिजल्ट पर टिकी हुई हैं. इस बार भी कैंपस में जोरदार उत्साह देखने को मिला. मतदान में छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और करीब ७६ प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. हालांकि पिछले साल की तुलना में यह तीन प्रतिशत कम है. वोटों की गिनती मंगलवार रात ९ बजे से ही शुरू हो गई है. जैसे ही मतदान खत्म हुआ गिनती शुतु हो गई है. उम्मीद है कि नतीजे ६ नवंबर को घोषित हो जाएंगे.

मंगलवार को मतदान दो चरणों में हुआ. पहला सत्र सुबह १० बजे से दोपहर १ बजे तक और दूसरा सत्र दोपहर २. ३० बजे से शाम ५. ३० बजे तक चला. इस बार ऐसा लग रहा है कि जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. एक ओर वामपंथी संगठनों ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) का गठजोड़ है. दूसरी तरफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं NSUI ने मुकाबले को और दिलचस्प बना रही है.
चार केंद्रीय पदों के लिए २० उम्मीदवारों ने लगाया दांव
कुल चार केंद्रीय पदों अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव के लिए २० उम्मीदवारों ने दांव लगाया है. इसमें छह महिलाएं भी शामिल हैं. इसके अलावा १८ स्कूल केंद्रों से १११ अभ्यर्थी काउंसलर पद के लिए मैदान में हैं. अध्यक्ष पद की दौड़ में मुख्य मुकाबला वाम गठबंधन की अदिति मिश्रा, एबीवीपी के विकास पटेल और एनएसयूआई के विकाश बिश्नोई के बीच है. अदिति मिश्रा ने समानता और समावेशी जेएनयू के लिए संघर्ष जारी रखने का वादा किया है. विकास पटेल ने जवाबदेही और समाधान आधारित राजनीति की बात कही.
एनएसयूआई प्रत्याशी विकाश बिश्नोई ने छात्रवृत्तियों, अनुसंधान सहायता और छात्र कल्याण को अपनी प्राथमिकता बताया. स्वतंत्र उम्मीदवारों ने भी हॉस्टल सुरक्षा, लैब सुविधाओं और शोध निधि जैसे मुद्दों को उठाया है. पिछले साल वाम संगठनों ने चार में से तीन पदों पर जीत दर्ज की थी. जबकि एबीवीपी ने दस साल बाद संयुक्त सचिव का पद हासिल किया था. इस बार दोनों गुटों के बीच टक्कर और भी कड़ी मानी जा रही है.
महिला प्रतिनिधित्व में बढ़त
दिलचस्प बात यह है कि इस बार महिला प्रतिनिधित्व में जोरदार बढ़त हुई है. चुनाव समिति के मुताबिक केंद्रीय पैनल के करीब ३० प्रतिशत और स्कूल काउंसलर पदों के२५ प्रतिशत नामांकन महिला उम्मीदवारों के हैं. यह जेएनयू की छात्र राजनीति में बढ़ती महिला भागीदारी का संकेत है. कैंपस में चुनावी पोस्टरों, नारों और बहसों का माहौल देखने को मिला.
गरुवार को किसी भी समय घोषित होंगे परिणाम
फिलहाल अब सबकी निगाहें काउंटिंग पर टिकी हैं. जैसे जैसे मतगणना आगे बढ़ रही है. छात्रों में क्रेज बढ़ता जा रहा है. देखना होगा कि इस बार जेएनयू का जनादेश किस ओर जाएगा. क्या वाम संगठन अपनी बढ़त बरकरार रखेंगे या एबीवीपी और एनएसयूआई मिलकर कुछ नया इतिहास रचेंगे. इसका जवाब गरुवार को किसी भी समय मिल सकता है.


