मायावती ने बिहार चुनाव में प्रचार की घोषणा की है. ६ नवंबर से वे भभुआ में रैली करेंगी. BSP ने सभी २४३ सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला किया है. मायावती का यह कदम NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर में नया मोड़ ला सकता है.
लखनऊ. बिहार विधानसभा चुनाव २०२५ के पहले चरण के चुनाव प्रचार का शोर आज खत्म हो जाएगा. इससे पहले सभी राजनीतिक दलों में समीकरण बनाने की होड़ तेज हो गई है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी बिहार की चुनावी सियासत में कूदने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, बसपा सुप्रीमो मायावती पहले चरण के चुनाव प्रचार से दूर रही हैं, लेकिन ६ नवंबर से बिहार में अपने प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगी. उनकी पहली रैली भभुआ हवाई अड्डे के मैदान में होगी, जहां वे रामगढ़ और कैमूर विधानसभा सीटों के BSP प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगी.
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार में २४३ विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा—६ नवंबर को पहले चरण में १२४ सीटों पर और ११ नवंबर को बाकी ११९ पर. वोटों की गिनती १४ नवंबर को होगी. BSP ने सभी २४३ सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला किया है, और अब तक १२८ उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. मायावती का यह दौरा दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है, खासकर उन इलाकों में जहां BSP का पारंपरिक समर्थन है.
मायावती की एंट्री से आ सकता है ट्विस्ट
मायावती की एंट्री बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकती है. NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर के बीच BSP का स्वतंत्र रुख विपक्षी गठबंधन के वोटों को बांट सकता है. मायावती ने लखनऊ में हाल ही में हुई राष्ट्रीय समन्वयकों की बैठक में बिहार इकाई को निर्देश दिए थे कि बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया जाए. उनके आगमन से पहले BSP के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद ने बिहार का दौरा कर पार्टी की जमीनी मजबूती का आंकलन किया था. मायावती ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय” के सिद्धांत पर वोटरों तक पहुंचें, और जातिगत जनगणना, आरक्षण मजबूती तथा गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दों पर जोर दें.
बिहार चुनावी माहौल में मायावती का कदम NDA के लिए भी चुनौती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने विकास और कानून-व्यवस्था के एजेंडे पर प्रचार तेज किया है, जबकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने रोजगार और पलायन के मुद्दे उठाए हैं. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी सभी सीटों पर उतर रही है. मायावती के प्रचार अभियान में वे महिलाओं और युवाओं को विशेष रूप से टारगेट करेंगी, और अपनी रैलियों में कहा, “बिहार के बहुजन समाज को अब जागरूक होकर वोट की ताकत समझनी होगी. हम न NDA के भ्रष्टाचार को स्वीकार करेंगे, न महागठबंधन की वादाखिलाफी को.”


