श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र निकावेरेटिया में बुधवार रात एक भीषण हादसा हुआ, जिसमें सात बौद्ध भिक्षुओं की मौत हो गई। मृतकों में एक भारतीय, एक रूसी और एक रोमानियाई नागरिक शामिल हैं। यह दुखद घटना प्रसिद्ध बौद्ध मेडिटेशन सेंटर ना उयाना आरण्य सेनासनाया में घटी, जो कोलंबो से लगभग 125 किलोमीटर दूर है। जानकारी के मुताबिक, केबल टूट गई थी जिसके कारण रेलगाड़ी तेज गति से नीचे की ओर लुढ़क गई और पटरी से उतरकर एक पेड़ से टकराने के बाद पलट गई।
यह सेंटर अपने ध्यान शिविरों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है और यहां आने-जाने के लिए विहार परिसर में केबल से संचालित रेलगाड़ी (ट्रॉली जैसी परिवहन व्यवस्था) का उपयोग किया जाता है। बुधवार रात इसी रेलगाड़ी में भिक्षु सवार थे। अचानक तकनीकी खराबी या नियंत्रण बिगड़ने से यह ट्रॉली पलट गई। हादसे में सात भिक्षुओं की मौके पर ही मौत हो गई। छह अन्य गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें चार की हालत नाजुक बताई जा रही है।

स्थानीय पुलिस ने बताया कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है। हादसे के तुरंत बाद राहत एवं बचाव कार्य चलाया गया और घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस का कहना है कि हादसे की असली वजह तकनीकी खराबी, लापरवाही या ओवरलोडिंग में से क्या है, इसका पता जांच रिपोर्ट से चलेगा।* इस दुर्घटना को देखते हुए मेडिटेशन सेंटर प्रशासन के परिवहन व्यवस्था की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं।
केबल ऑपरेटेड ट्रेन कैसे संचालित होती है ?
केबल ऑपरेटेड ट्रेन वह ट्रेन होती है जिसे लोहे की मजबूत केबल के सहारे खींचा या नियंत्रित किया जाता है। इसमें ट्रेन के डिब्बों को खुद इंजन से शक्ति नहीं मिलती, बल्कि उन्हें ऊपर या नीचे खींचने के लिए स्टील केबल और मोटराइज्ड पुली सिस्टम का प्रयोग किया जाता है।
पहाड़ी इलाकों में अक्सर होता है उपयोग
केबल ऑपरेटेड ट्रेन का पहाड़ी इलाकों और ढलानों पर विशेष रूप से उपयोग होता है। इसमें ट्रेन के डिब्बे पटरियों पर रखे जाते हैं। एक तरफ मजबूत स्टील की रस्सी (केबल) जुड़ी होती है। यह केबल मोटर और पुली सिस्टम से जुड़ी रहती है। मोटर जैसे ही चालू होती है, वह केबल को खींचती है और ट्रेन धीरे-धीरे ऊपर चढ़ती या नीचे उतरती है।

कई देशों में लोकप्रिय है केबल ऑपरेटेड ट्रेन
श्रीलंका के अलावा केबल ऑपरेटेड ट्रेनें कई अन्य देशों में भी चलाई जाती है। स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया और जर्मनी में पहाड़ी इलाकों के बीच यह बेहद लोकप्रिय है। यह तकनीक यात्रियों को रोमांचक अनुभव देती हैं लेकिन सुरक्षा मानकों से अनदेखी भारी पड़ सकती है।
ना उयाना आरण्य सेनासनाया सेंटर दुनिया भर से साधकों और भिक्षुओं को आकर्षित करता है। यहां ध्यान शिविरों में भाग लेने के लिए हर साल सैकड़ों विदेशी आते हैं। मृतकों में भारतीय, रूसी और रोमानियाई नागरिक होने से इस हादसे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहरा शोक पैदा किया है। बौद्ध समुदाय ने इसे आध्यात्मिक जगत के लिए बड़ी क्षति बताया है।


