आजाद समाज पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर रावण ने कहा ही की उनकी पार्टी सभी पांच राज्यों में अपने उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने कहा हां, मैं कांशीराम जी का चेला रहा हूं, आज भी उनके सिद्धांत मेरे आदर्श हैं। वह कहा करते थे- जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी। इस सिद्धांत के आधार पर समान विचार दलों के साथ अगर कोई गुंजाइश बनती है तो गठबंधन हो सकता है। नवभारत टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में वो बोल रहें थे।
AMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन पर उन्होंने कहा की ओवैसी साहब से मेरी जो मुलाकात हुई, वह कोई टेबल टॉक नहीं थी। वह एक टीवी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे और मुझे भी उस कार्यक्रम में बुलाया गया था। इस तरह की मुलाकात तो तमाम नेताओं के साथ हुआ करती है। रही बात गठबंधन की तो मैंने पहले ही कहा, मैं जिस नजरिये के साथ समाज के वंचित तबके की लड़ाई लड़ रहा हूं, उसके दायरे में अगर न्यूनतम साझा कार्यक्रम के साथ समान विचार वाले दलों के गठबंधन की कोई गुंजाइश बनती है तो गठबंधन हो सकता है, उसमें कोई भी दल हो सकता है। किसी का नाम अभी तय नहीं है।
भाजपा के साथ गठबंधन के सवाल पर उन्होंने दो टूक जवाब दिया उन्होंने कहा, नहीं, क्योंकि बीजेपी की विचारधारा हमसे मेल नहीं खाती। वह राष्ट्रवाद के नाम पर छलावा करती है। वह बुनियादी मुद्दों की राजनीति नहीं करती। मैं अभी यूपी गया था, वहां 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में 20 हजार पद जो पिछड़ा वर्ग और एससी वर्ग के थे, उसे वहां की बीजेपी सरकार ने छल लिया है।
मायावती जी के साथ आपने कई बार काम करने की इच्छा जताई, लेकिन वह आपका साथ लेने को तैयार नहीं हुईं, इसकी क्या वजह आप देखते हैं? इस सवाल पर उन्होने जवाब दिया वह बोले वजह तो जरूर कुछ न कुछ होगी, लेकिन वह तो बहन जी ही बता सकती हैं। जहां तक मेरा सवाल है वह मेरी सम्मानित थीं, हैं और रहेंगी। मैं उनके नेतृत्व में काम कर चुका हूं।