Awaaz India Tv

मद्रास हाईकोर्ट ने 10% सवर्ण आरक्षण देने से इनकार किया

मद्रास हाईकोर्ट ने 10% सवर्ण आरक्षण देने से इनकार किया

मद्रास हाई कोर्ट ने अखिल भारतीय कोटा (AIQ) के तहत राज्य के योगदान वाली सीटों में मेडिकल और डेंटल कोर्सेज में 10 फीसदी आरक्षण को अनुमति देने से इंकार कर दिया है. वही ओबीसी वर्ग के आरक्षण को ग्रीन सिग्नल दिया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने इसी साल 29 जुलाई को मेडिकल एडमिशन के लिए बड़ा फैसला किया है. सरकार ने ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षण को मंजूर कर लिया था. सरकार ने ओबीसी वर्ग में 27% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया. मद्रास हाई कोर्ट ने कहा की सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण संभव नहीं है।

बता दें क‍ि, देशभर के मेडिकल संस्थानों में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाली NEET परीक्षा में ओबीसी आरक्षण को लेकर काफी समय से आंदोलन रहा था. मामला उस वक्त ज्यादा गर्म हुआ था जब शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 12 जुलाई को नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी नीट 2021 की तारीखों का ऐलान किया. उन्होंने कहा था कि इस बार भी नीट परीक्षा में ओबीसी को आरक्षण नहीं होंगा। इसके बाद कई छात्र संगठनों ने देश व्यापी आंदोलन शुरू कर दिया . साथ ही कई राजनीतिक दलों ने भी आरक्षण की मांग की. इसके बाद केंद्र सरकार ओबीसी आरक्षण देने को मजबूर हुई।

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके ने केंद्र सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के संकेत देते हुए एक याचिका दायर की थी. जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग की थी. कहा गया कि सभी सीटें सरकारी कॉलेजों की हैं. डीएमके की ओर से दायर की गई इस याचिका पर सुनावई के बाद मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार को यह फैसला सुनाया.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 29 जुलाई को देश भर के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एडमिशन के लिए ऑल इंडिया कोटा में अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी और आर्थिक तौर पर कमजोर तबके यानि ईडब्लूएस के लिए आरक्षण को मंजूरी दे दी. नए नियम के तहत ओबीसी के छात्रों को 27 फीसदी और इडब्लूएस के छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. सरकार का दावा है कि एमबीबीएस सीटों पर 1500 ओबीसी और 550 इडब्लूएस केटेगरी के छात्रों को इसका लाभ मिलेगा.

बता दें कि राज्यों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए दो तरह ऑल इंडिया कोटा और स्टेट कोटा के नियम है. स्टेट कोटे में राज्य के मूल निवासी छात्रों को दाखिला मिलता था. वहीं ऑल इंडिया कोटे में राष्ट्रीय स्तर पर मेरिट लिस्ट के आधार पर अन्य राज्यों के छात्रों को भी दाखिला मिलता है. राज्यों के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में 15 फीसदी अंडर ग्रेजुएट सीटें और 50 फीसदी पोस्ट ग्रेजुएट सीटें ऑल इंडिया कोटे में रहती है. बाकी बची सीटें स्टेट कोटे में आती है. गौर हो कि ऑल इंडिया कोटा भी सुप्रीम कोर्ट के 1986 के फैसले से लागू हुआ था.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *