गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में बड़ी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि देश में होने वाली आगामी जनगणना देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी. उन्होंने यह बात भाजपा सांसद रूपा गांगुली के सवाल का जवाब देते हुए बताई. उन्होंने कहा कि आगामी जनगणना में स्व-गणना का प्रावधान होगा.
राज्य मंत्री ने कहा कि जगणना में आंकड़ों को जुटाने के लिए एक मोबाइल ऐप तैयार किया जाएगा. जनगणना से संबंधित गतिविधियों और कार्यों के साथ साथ इसके प्रबंधन के लिए एक पोर्टल भी तैयार किया गया है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जनगणना में, जनसांख्यिकी और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मापदंडों जैसे शिक्षा, एससी / एसटी, धर्म, भाषा, विवाह, प्रजनन क्षमता, विकलांगता, व्यवसाय और व्यक्तियों के प्रवास पर डेटा एकत्र किया जाना है। साथ ही काम या रोजगार और व्यवसाय जैसे प्रवासन के कारणों का डेटा भी एकत्र किया जाएगा।
उन्होंने सदन को बताया कि कोरोना महामारी के कारण जनगणना 2021 और दूसरे क्षेत्रों में होने वाली जनगणना की गतिविधियों को रोक दिया गया है. सरकार ने मार्च में इस बात की घोषणा की थी कि इस साल दो चरणों में जनगणना 2021 को आयोजित कराया जाएगा. पहली जनगणना अप्रैल-सितंबर 2020 में होनी थी जिसमें मकान सूचीकरण और आवास की जनगणना की जानी थी. जनसंख्या जनगणना को 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 तक आयोजित कराया जाना था. कोविड के बढ़ते प्रकोप को देखते हए जनगणना के कार्य को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है.
वही ओबीसी जनगणगना के संदर्भ में सरकार ने स्पष्ट कर दिया है की इस स्तर पर जाति के आंकड़े जारी करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. आजादी के बाद, भारत संघ ने, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जातिगत जनसंख्या की गणना न करने की नीति के रूप में फैसला लिया है.
आपकों बता दें कि भारत में जनगणना की शुरुआत 1881 में हुई थी। भारत के स्वतंत्र होने के बाद भारत में 1951 से 2011 तक की जनगणना में हुई है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, तब मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव जैसे बड़े नेताओं ने जाति आधारित जनगणना की मांग की थी। 1931 में आखिरी बार जाति के आधार पर जनगणना हुई थी।