इतिहास में 99 साल के लम्बे अंतराल के बाद एक महत्वपूर्ण घटना घटीत हुई है. ब्रिटेन के जिस यूनिवर्सिटी से डॉ. बाबासाहब आंबेडकर बैरिस्टर की डिग्री हासिल की थी आज उसी ग्रेज इन यूनिवर्सिटी से संवेदन संजय अपरांती बैरिस्टर हुए है। बाबासाहब डॉ.आंबेडकर के पश्चात् ग्रेज इन् से बैरिस्टर की डिग्री हासिल करनेवाले संवेदन पहले अम्बेडकरवादी छात्र है। संवेदन महाराष्ट्र के नाशिक के रिटायर्ड सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस संजय अपरांती के पुत्र है।
संवेदन अपने पारिवारिक जीवन में अम्बेडकरी विचारधारा के सान्निध्य में पले बढे। संवेदन अपरांती कहते है की अब बैरिस्टर होने का बाद उनके समक्ष एक लक्ष्य है, समाज का सक्षमीकरण उसका नवनिर्माण और विद्यार्थियों का मार्गदर्शन। संवेदन कहते है की, वह बैरिस्टर बने है इसका श्रेय फुले-शाहू-आंबेडकर को जाता है. माता-पिता तथा परिवार के सभी सदस्यों का प्रोत्साहन तो है ही .. लेकिन संवेदन अपरांती अपने इस सफर पर एक पुस्तक भी लिखना चाहते है। संवेदन बड़े स्पष्ट शब्दों में कहते है की, फीस भरने से बैरिस्टर हो जाते है यह ख्याल दिमाग से निकाल दे। इसके लिए कड़ी मेहनत और मार्गदर्शन की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है, और वे अन्य छात्र-छात्राओं को बैरिस्टर बनने में मार्गदर्शन भी करेंगे, यदि उनकी इच्छा प्रबल और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण हो तो… बैरिस्टर बनने के बाद संवेदन काफी खुश है. कड़ी मेहनत,समर्पण, त्याग,आत्मविश्वास और विपसन्ना से मंजिल तक पहुंच पाए.