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बोधगया में पांच नाबालिग बच्चों को नीच बोलकर पंगत से उठाया, विरोध करने पर पीटा

बोधगया में पांच नाबालिग बच्चों को नीच बोलकर पंगत से उठाया, विरोध करने पर पीटा

भगवान बुद्ध को जहा सम्बोधि प्राप्त हुई ऐसे बोधगया में ही जातिवाद का मामला सामने आया है. यहां नीच जाति कहकर लोगों को पंगत से उठा दिया गया। पंचायत में फैसला नहीं हुआ तो पीड़ित थाने गया, लेकिन वहां भी किसी ने बात नहीं सुनी।

घटना बोधगया के मगध यूनिवर्सिटी थाना क्षेत्र के पड़रिया गांव की है। रविवार की दोपहर इस मसले को लेकर गांव में पंचायत भी हुई्, लेकिन दो में से एक पक्ष के मौके पर नहीं आने की वजह से कोई बात नहीं बनी। इसके बाद पीड़ित पक्ष अपना आवेदन लेकर मगध यूनिवर्सिटी थाने पहुंचा तो उसे वहां से यह कहते हुए लौटा दिया गया कि दोपहर बाद आना।

जाति नहीं जाती

इस सन्दर्भ में छोटकी पड़रिया के महादलित टोला में रहनेवाले मधेश्वर पासवान और पांचो नाबालिग पीड़ितों ने बताया की बीते 5 जून को गांव का विनोद विश्वकर्मा पुत्र अजय विश्वकर्मा निमंत्रण देने आये थे. निमंत्रण पर ही बच्चें वहा गए. पड़रिया गांव के एक व्यक्ति के बेटे का तिलक समारोह चल रहा था। शनिवार की रात 10 बजे गांव के लोगों को पंगत में बिठाकर खाना खिलाया जाया जा रहा था। पंगत में सभी समाज के लोग बैठे थे। प्रमेंद्र कुमार का आरोप है कि भोज में खाना परोसा ही जा रहा था कि किसी युवक ने पंगत में बैठे हमारे भाइयों व मुझे यह कहते हुए उठा दिया कि छोटी जाति के लोग ऊंची जाति के साथ पंगत में नहीं बैठते। यही नहीं, उन लड़कों को यहां तक कह दिया गया कि इससे तो धरती भी अपवित्र हो जाती है। यह बात सुनते ही पंगत में बैठे हम तीनों लड़कों ने विरोध किया तो मामला गरम हो गया और वे मारपीट पर उतारू हो गए। प्रमेंद्र ने बताया कि वह वहां से किसी तरह से जान बचाकर घर लौट आया। प्रमेंद्र का आरोप है कि मामला रात तक ही नहीं रहा, सुबह भी उन युवकों ने घेरकर हमारी पिटाई कर की।

पोलिस प्रशासन भी जातीय मानसिकता का शिकार

मामले को लेकर दबंगो ने अगले दिन रविवार की सुबह भी उन बच्चों के साथ मारपीट किया। बाद में मामले को पंचायत में लाया गया। लेकिन दोनों पक्ष में बात नहीं बना। इस मामले में बोधगया डीएसपी विनोद रावत ने बताया कि घटना की जानकारी नहीं है। अगर पीड़ित लिखित शिकायत करता है तो निश्चित करवाई होगी। इस सन्दर्भ में थानाध्यक्ष ने फ़ोन नहीं उठाया, पुलिस सर्वर्णों का पक्ष ले रही है ऐसा आरोप पीड़ित बच्चों के परिवार ने किया. भारत में आज भी जाती को ही मेरिट माना जाता है. ये ऊंच-नीच वाला वायरस सदियों से दलितों-वंचितों को सन्मान से जीने नहीं दे रहा

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