Awaaz India Tv

संविधान दिवस विशेष : क्यों सिर्फ डॉ आंबेडकर को ही संविधान निर्माता कहते हैं?

संविधान दिवस विशेष : क्यों सिर्फ डॉ आंबेडकर को ही संविधान निर्माता कहते हैं?

संविधान सभा की ज्यादातर बैठकों में औसतन 300 सदस्य मौजूद रहे और सभी सदस्यों को संविधान के निर्माण में समान अधिकार प्राप्त था। तो आखिर क्यों डॉ. आंबेडकर को ही संविधान का निर्माता कहा जाता है?

‘मुझे जो भी श्रेय दिया जा रहा है वो मेरे अकेले का नहीं है। इसका कुछ हिस्सा जाता है सर बीएन राव को जो हमारी इस सभा के संवैधानिक सलाहकार हैं। जिन्होंने संविधान की ड्राफ्टिंग के लिए संविधान का कच्चा मसौदा तैयार किया। इस श्रेय का कुछ हिस्सा उस ड्राफ्टिंग के कमेटी के सदस्यों को भी जाना चाहिए।’ ये बाबा साहब के भाषण का वो अंश है जो उन्होंने 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में संविधान को प्रस्तुत करते हुए दिया था। इस दिन संविधान के उस प्रारूप को स्वीकार किया, जिसे डॉ. बीआर आंबेडकर की अध्यक्षता में ड्राफ्टिंग कमेटी ने तैयार किया था। इसी रूप में संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ और भारत एक गणराज्य बना। इसी की याद में 26 नवंबर के दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं।

क्यों सिर्फ डॉ आंबेडकर को ही संविधान निर्माता कहते हैं?

सवाल उठता है कि संविधान सभा की ज्यादातर बैठकों में औसतन 300 सदस्य मौजूद रहे और सभी सदस्यों को संविधान के निर्माण में समान अधिकार प्राप्त था तो आखिर क्यों डॉ. आंबेडकर को ही संविधान का मुख्य वास्तुकार या निर्माता कहा जाता है? इसका जवाब है कि संविधान बनाने में सबसे ज्यादा मेहनत डॉ अंबेडकर ने ही की थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *