पिछले कुछ वर्षो में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या 2017 में 1,33,049 थी और पांच साल बाद 31 अक्टूबर, 2022 तक यह बढ़कर 1,83,741 हो गई है। देश से बड़ी संख्या में भारतीय अपनी नागरिकता छोड़कर हमेशा के लिए विदेश जा रहे हैं। उन्होंने ये भी बताया कि लगभग 32 मिलियन भारतीय या भारतीय मूल के लोग विदेशों में रहते हैं।
इस संदर्भ में संसद में सरकार ने एक चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि 2011 से अबतक 1.6 मिलियन यानी 16 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी. इसी साल 31 अक्टूबर तक 183,741 भारतीय ने अपनी नागरिकता त्याग दी है. यह जानकारी विदेश मंत्रालय के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में दी. कांग्रेस के एक सांसद के पूछने पर कि 2015 से कितने भारतीय ने अपनी नागरिकता त्याग दी – मंत्री ने पिछले आठ साल के आंकड़े पेश किए.
16 लाख लोगों ने 2011 से छोड़ी भारत की नागरिकता
जानकारी के अनुसार, 2015 में अपनी भारतीय नागरिकता त्यागने वाले भारतीयों की संख्या 1,31,489, 2016 में 1,41,603, 2017 में 1,33,049, 2018 में 1,34,561, 2019 में 1,44,017, 2020 में 85,256 और 2021 में 1,63,370 थी।
भारत की नागरिकता अपनाने वाले बेहद कम
विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन ने यह भी बताया कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के नागरिकों के अलावा 2015 में 93, 2016 में 153, 2017 में 175, 2018 में 129, 2019 में 113, 2020 में 27, 2021 में 42 और 2022 में सिर्फ 60 विदेशी नागरिकों ने भारतीय नागरिकता हासिल की. इस बीच बीजेपी के एक सांसद राहुल कासवान द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि हजारों की संख्या में ऐसे भारतीय हैं जो विदेशी जेलों में बंद हैं और सजा काट रहे हैं.
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