बड़े जोर शोर से ये जुमला फेका गया था, देश नहीं बिकने दूंगा, इस जुमले के मायने क्या है। कोरोंना काल में लॉक डाउन के चलते और उसके बाद भी संसद में बैठकर, बहुमत का फायदा लेकर एक एक करके देश को नीलाम किया जा रहा है । गैस से लेकर, रास्तो तक, रेल से लेकर एयरपोर्ट तक, पानी से लेकर देश के बहुमूल्य खनिज तक, सब कुछ बोली पर है। बोली लगाओ और देश को नोच के खा जाओ। जब से बीजेपी जब से सत्ता में आई है रोना रो रही है के पिछले70 सालो में देश में कुछ नहीं हुआ,देश बरबाद हो गया, और 70 सालो की देश की विरासत, देश की संपत्ति जो हमारे पुरखो के खून पसीने की कमाई से, आपके हमारे टैक्स से जो सार्वजनिक संपत्ति निर्माण हुई उसे आज बेचा जा रहा है। एयरपोर्ट तो नीलाम हो ही रहे है लेकिन अब ये खबर आई है की एयरपोर्ट-ट्रेन के बाद अब ‘हाइवे’ भी बेचेगी मोदी सरकार।
केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार देश को बेचने की पूरी प्लानिंग बना चुकी है। साल 2014 में सत्ता संभालने के बाद मोदी सरकार ने कई सरकारी संस्थानों का निजीकरण कर दिया हैं। अब खबर सामने आ रही है कि मोदी सरकार देश की कई सरकारी संपत्तियों को बेचने की तैयारी में जुट गई है। खबर के मुताबिक, मोदी सरकार ने टेलीकॉम टॉवर, रेल, हवाई अड्डों, ट्रांसमिशन लाइन, गैस पाइपलाइन, पीएसयू समेत कई सरकारी संपत्तियों को बेचने या फिर लीज पर देने का फैसला ले लिया है।दरअसल इन सरकारी संपत्तियों को बेचकर मोदी सरकार को अगले 4 सालों में 60 खरब जुटाने है। इस संदर्भ में देश के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रोड में भी जारी कर दिया है। शायद मोदी सरकार को पता है की इन बचे 4 सालो बाद जनता इन्हे ठुकरा देगी इसलिए जल्दबाज़ी में देश को बेचने का प्लान बनाया गया होगा।
और मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का विपक्षी दलों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस पहले भी कई बार मोदी सरकार प्रदेश को पूंजीपतियों के हाथों बेचने का आरोप लगा चुकी है। इस कड़ी में अब कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है। कांग्रेस नेता ने लिखा है कि ‘अब बिकेंगे ‘Highway’ भी? शुक्र है सरकार की नजर आम जनता की ‘किडनी’ तक अभी नही पहुंची है, नही तो वो भी बेच डालेंगे ये हुक्मरान..
आपको बता दें कि देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम की शुरुआत की है। इसे मोदी सरकार के 4 साल की योजनाओं के हिसाब से बनाया गया है। नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन में मोदी सरकार ब्राउनफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट से पैसे जुटाएगी। दरअसल मोदी सरकार का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से सरकार की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है।सरकार इस वक्त पैसों की तंगी से जूझ रही है। इस वजह से ही देश की सरकारी संपत्तियों को या तो बेचा जाएगा या फिर लीज पर दिया जाएगा।
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राहुल गांधी: ‘हिन्दुस्तान की पूंजी बेची जा रही है, ये युवाओं के भविष्य पर आक्रमण है’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि नेशनल मोनेटाइज़ेशन पाइपलाइन पॉलिसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले 70 सालों में जो संसाधन बनाए गए थे, सरकार उन्हें बेच रही है.राहुल गांधी पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि “बीजेपी ये दावा करती है कि पिछले 70 सालों में कोई काम नहीं हुआ है. लेकिन इन सालों में जो राष्ट्रीय संपत्तियां बनाई गई हैं, उन्हें बेचा जा रहा है.” उन्होंने कहा, “हिन्दुस्तान की पूंजी बेची जा रही है, ये आपके भविष्य पर आक्रमण है. नरेंद्र मोदी जी अपने 2-3 उद्योगपति मित्रों के साथ हिन्दुस्तान के युवा पर आक्रमण कर रहे हैं, इसे आप अच्छी तरह समझिए.”
“जैसे ही एकाधिकार बनता जाएगा उसी तेज़ी से आपको रोज़गार मिलना बंद हो जाएगा. इस देश में जो छोटे और मध्यम व्यवसाय हैं जो कल आपको रोज़गार देंगे वो सब बंद हो जाएंगे, ख़त्म हो जाएंगे. 3-4 व्यवसाय रहेंगे इनको रोज़गार देने की कोई ज़रूरत नहीं रहेगी.”
राहुल गांधी ने ये आरोप लगाया कि मोदी सरकार की इस निजीकरण की योजना का मकसद अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में एकाधिकार पैदा करना और नौकरियां ख़त्म करना है.
राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए स्मृति इरानी ने कहा, “साल 2008 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के संदर्भ में एक आरएफपी तब घोषित हुआ जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. क्या राहुल गांधी का ये आरोप है कि जिस सरकार की मुखिया उनकी माता जी थी वे सरकार देश बेचने का दुस्साहस कर रही थी.”
“पारदर्शिता के साथ जिस सरकार ने राष्ट्र की तिजोरी को भरने का काम किया और कांग्रेस के लुटेरों से सुरक्षित किया उस सरकार पर छींटाकशी करने का राहुल गांधी का प्रयास है.”
” वित्त मंत्री द्वारा जो घोषणा हुई उसमें स्पष्ट कहा गया कि सरकार अपनी ऑनरशिप रिटेन करेगी और मॉनिटराइजेशन की प्रक्रिया में सरकार की ऑनरशिप को मेंटेन करने के साथ-साथ ये भी चिन्हित किया गया कि सभी राज्य अपने नोडल ऑफिसर इस प्रक्रिया के लिए घोषित करेंगे.”
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को छह लाख करोड़ की महत्वाकांक्षी नेशनल मोनेटाइज़ेशन पाइपलाइन की घोषणा की थी. इस योजना के तहत, सड़क, रेलवे स्टेशन, यात्री ट्रेन, स्टेडियम, एयरपोर्ट जैसे बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों को निजी कंपनियों को लीज पर दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया है.मोदी सरकार कुछ तो बेचेगी और कुछ को किराये पर भी चढ़ायेगी देखते है क्याचीजे बेचेगी और क्या किराये पर चढ़ायेगी
सरकार जिन सेक्टरों को लीज पर देगी वो है सड़क, रेलवे, एयरपोर्ट, स्टीडियम, नेटवर्क, गैस पाइपलाइन, मोबाइल टावर, २६७०० किलोमीटर की सड़क लीज पर देगी सरकार जिससे १.६ लाख करोड़ रूपये जुटाएंगी सरकार, ९० पैसेंजर ट्रैन, ४०० रेलवे स्टेशन, ७४१ किलोमीटर कोकण रेलवे, १५ रेलवे स्टेडियम, २६५ गोदाम, और ४ हिल रेलवे, जिससे सरकार के कटोरे में आएंगे कारण 1.५२ लाख करोड़ रूपये, इसके आलावा २५ एयरपोर्ट नीलम होंगे, पावर ट्रांस्मिशन को २८६०८ सर्किट किलोमीटर लाइन, २.३६ लाख किलोमीटर की फाइबर कनेक्टिविटी भी बाजार में नीलाम होगी, ८१५४ किलोमीटर की गैस पाइप लाइन भी बेचने के लिए तैयार है, १५९१७ मोबाइल टॉवर भी कौड़ी के दामों में बेचे जायेंगे और सरकार का दावा है की इससे देश में पैसा आएगा, इसको एक कहावत के जरिये समझते है “सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को काटना” और सरकार वही कर रही है
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बात तो सच है की जैसे शिक्षा का निजीकरण कुवा शिक्षा महंगी हुई, और देश के कई बच्चो को शिक्षा से वंचित रहना पड़ा, या फिर उनके अभिभावकों को काफी आर्थिक परेशानियों से गुजरना पड़ा, बैंक प्राइवेट हुए तो बैंक कर्मियों की छटनी हुई उन्हें रोज़गार से हाथ धोना पड़ा, बीएसएनएल जैसे बाकि सेक्टर जब प्रायवेट हुए तो तो लाखों कर्मचरियो को घर वापस बिठाया गया, एयरपोर्ट नीलाम हुए तो एविएशन सेक्टर में भूचाल आया, अब इतनी महंगाई के दौर में अगर रेल जो देश की जीवनवाहिनी है अगर वो नीलाम होती है तो क्या आम आदमी रेल में सफर कर पायेगा क्यों की आज प्लेटफार्म की टिकट ५० रूपया है और पार्किंग के लिए ३० से ५० रूपये देने पड़ते है, जब ये प्राइवेट हाथो में चला जायेगा तो आप सोचिये क्या होगा, नेशनल हाईवे भी प्राइवेट होंगे और आपको टोल टैक्स के साथ साथ अब रास्तो के मेंटनेंस का भी चार्ज देना पड़ेगा, शायद आप आपकी गाड़ियों को बेच कर भी ये टैक्स दे पाए, क्योंकि पेट्रोल और और डीज़ल ने पहले से कमर तोड़ कर रखी है, क्या देश के संसाधनों को नीलम करना ही एकमात्र उपाय है, अगर सरकार दूसरे उपाय नहीं कर सकती तो उसे सत्ता में रहने का क्या नैतिक अधिकार है ? ये देश के साथ देश की गौरवपूर्ण विरासत के साथ एक धोका है, देख नहीं बिकने दूंगा का जुमला फेकने वाला सारा देश एक एक कर के बेच रहा है और आप राम मंदिर, हिन्दू मुस्लिम, भारत पाकिस्तान, लव जिहाद, और लॉन्चिंग का घंटा बजते रहो , बाकी आप सब समझदार है.
प्रीतम बुलकुंडे